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समर्पण
जेओश्रीए आ संसाररूपी अटवीमांथी उद्धार करी मने मोक्षरूपी नगरीमां जवा माटे संयमरूपी सन्मार्गमा चढावीने ग्रहणशिक्षा अने आसेवनशिक्षा द्वारा सतत बार बार वर्ष सुधी भोभियापणु' बजायु,
treat अपार वात्सल्य पूर्ण कृपादृष्टिथी ज हुं अतिगहन अने गंभीर एवा कर्मसाहित्यनु सर्जन सम्पादन अने प्राचीन कर्म साहित्य सम्पादन करी शक्यो छु,
ते परम पूज्य परमोपकारी प्रातःस्मरणीय परमशासनप्रभावक कर्मसाहित्यसूत्रधार सिद्धान्तमहोदधि सुविशाल गच्छाधिपति परमाराध्यपाद स्वर्गत आचार्यदेवेश -
श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराजा नी परम पवित्र स्मृतिमां
आपनो कृपाभिलाषी - मुनि वीरशेखर विजय