Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ गाथा १५६ ] बंधविहाणपसत्थी [२१ तरलुव स जसोदेवो सरस्सइकठभूसणो, गुरू सोहीअ रविप्पहसूरिपयहारभूसणो । कुवाईणं अवजसकद्दमेहि खलु सामीकया, दिसा जस्स जसोगंगाणीरेहि विमलीकया ॥१४॥ (चित्तलेहा) सिरिसंभूयमुणिदो, हवी तेत्तीसमो जुगपहाणो । तस्स सबलमुणिपडिमा १२२१-संखे वासे जणी वीरा ॥१५॥ . (पच्छाज्जा) सिद्धाइगुणगिहिवये १२३१, गेहीअवयं स आसि जुगपवरो। बिंदुसमिइतवमाणे १२५०, मग्गमिओ सुण्णदुगविस्से १३०० ।।१५१॥ (पच्छाज्जा) सिरिबप्पट्टिसूरी, जगे जयउ आमरायबोहयरो । बालो वि अमियतेजो, विज्जद्दी लद्धबंभिवरो ॥१५२।। (मुहचवलापच्छाज्जा) जम्मोऽस्स मयसये८००ऽद्दे, णिवा लहीअ स वयं मुणीहि ८०७ जए। सम्भूहि ८११ भासि सूरी, खमिओ रुदास्सगुत्तीहि ८९५ ॥१५३।। . (पच्छाज्जा) विअडपज्जुण्णगुरू विमासी, भवीण पज्जुण्णदवग्गिमेहो । विअङ्कपज्जुण्णसमो गणिंदो, जसाइदेवस्स पईससेले ॥१५४।। (उविंदवज्जा ) माढरसंभूअगुरू, होसी चउतीसमो जुगपहाणो । जाओ वीरा वासे, स अहोरत्तघडियागुहक्खि१२६०मिए ॥१५५।। (पच्छागीई) सत्तरिसुरगुरुहत्थे १२७०, लहीअ वयमासि उण जुगपहाणो । अज्जजिणभवसयमिए १३००, खचक्किविस्से १३६० दिवं पत्तो॥१५६॥ (पच्छाज्जा)

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64