Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 38
________________ गाथा २०० ] बंधविहाणपसत्थी णामेण जो अजिअदेवगुरू हवी, जं णो जिओ कउवसग्गसूरेहि गुणं ॥१९३॥ (वसंततिलया) मुणिचंदसूरिसीसो, बीओ वादिंददेवसूरीसो । जगविक्खाओ जेआ, दिगंबरायरिअकुमुअचंदस्स ॥१४॥ (पच्छागीई) से वग्गवेअगिरिसे११४३।११३४,जणीणिवाऽद्दे वयं च वीरसिवे११५२। कट्ठाऽस्सीसे ११७४ पयवी, सग्गो तक्किहदसणकप्पे १२२६ ।।१९।। (पच्छापुश्विगा मुहचवलाऽज्जा) बंभी कण्णाअ मणइ, संकेता जस्स हत्थफासेणं । सो जयउ वीरसूरी, गुणजलही वाइमिगसिंघो ॥१६॥ (पच्छाज्जा) सिरिहेमचन्दसूरी, मलधारी सो बहुस्सुओ जयउ । गुणमणिरोहणसेलो, परमपसंतरसमुत्तिसमो ॥१६७|| (पच्छाज्जा) एत्थ हवीम तयाणिं, सीसो सिरिदेवचंदसूरिस्स । कलिकालसव्ववेत्ता, सूरी सिरिहेमचंदक्खो ॥१९॥ (पच्छाज्जा) कोडितिगसिलोगाणं, कत्ता जो सिद्धरायभूवस्स । पडिबोहगो तहा णिव-कुमारपालपमुहाणं पि ॥१६॥ __ (पच्छापुस्विगांतचवलाज्जा) वायरणकव्वकोस-च्छंद-अलंकारलिंगपमुहाणं । विसयाण जेण रइभा, गंथाऽणेगा विउलमइणा ॥२०॥ (पच्छाज्जा)

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