Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 25
________________ १४ ] मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- [गाथा ६६ तः विमुत्तिपहदंसी जो ज्ञओ व मासी, सामंतमहसूरीसपट्टधामे। स खतत्तंगेऽद्द वुड्डदेवसूरी, जयउ परिठविअकोरंटगवीरच्चो ॥६६॥ (नत्तगई) तह सिरिजज्जगसूरी, वीरपइटुं कुणीअ सच्चउरे । णाहडकजिणभवणे, वीरा खह यीइ६७०मिअवासे ॥९॥ (पच्छाज्जा) जगम्मि अण्णाणतमस्स णासगो, संसोसगो दुण्णयकद्दमाण जो । भवज्जरासीअ पयोहगो गुरू, पज्जोयणोऽग्घीअ स देवपट्टखे ॥१८॥ ____ (संखणिही सुगंदिणी या) अजं तं माणदेवं, गुणगणणिलयं, पासिऊणं वरी; णेच्छंती पट्टकण्णा, इयरपइवरं, सूरिपज्जोयणस । अंसुप्पिं बंमिलच्छी, पयविहिसमये, विक्ख से भाविभंसो; एवं खिण्णं गुरु जो, कलिअ छ विगई भत्तभिक्खं चयो ॥१६॥ (सद्धरा) दट जं पउमाइसेविअपयं, सक्खं थिजुत्तो अयं; एवं कोऽवि विमूढसंकिअमणो, ताहिं गरो सिक्ग्विओ । गड्डूलक्खपुरथिओ वि सरये, वारीअ संतित्थवा; जो सागंभरिपट्टणुत्थमरयं, तत्थुल्लसद्धत्थणा ॥१०॥ (सद्लविक्कीडिअं) तेवीसमो जुगवरो, स वायणायरिअरेवतीभित्तो । वीराऽहऽस्स जणी जिण कमलअवस्थाऽलिपय६३६ संखे ॥१०१।। (पच्छापुठिवगा मुहचवलाज्जा) गेहीअ स दिक्खं गो-कसायमहजागवडरकोण (६५९) मिए । जुगपवरो खगिहरसे (६८९), खमिओ णगलोगपालणये (७४८) ॥१०२॥ (पच्छाज्जा)

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