Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ गाथा ११० ] बंधविहाणपसत्थी . [ १५ पऊसंसुव्व सोम्मो, स णयह हरिसं, माणदेवाहिवस्स; वत्ती पद्दिसिंगे, भविगणजलहि, माणतुगक्खसूरी । भूवं बोहीअ भत्ता, तणुठिअणिगडा, चित्ति पंडिएहिं; थोत्ता भत्तामरा जो, जह मयऽइसया, पाअपासा करेणू ॥१०३। (सद्धरा) जेणं कयो भीइहरो जणाणं, रक्खाअ थोत्तो नमिऊणसण्णो । पउट्ठदेवाइकओद्दवेहि, दुग्गोव्व भूवेण रिऊद्दवेहिं । १०४॥ (उबजाई) चउवीसमो जुगवरो, स वायणायरिअसिंहसूरिवरो । जम्मोऽस्सऽद्दे वीरा, हरबाहतुरंगम७१८पमाणे ॥१०॥ (परुळापुश्विगाइचवलाज्जा) गेण्डीअ संजमं सो, आयारपकप्पवाह७२८संखेऽद्दे । मंगलुवायहये ७४८ जुग-वरो गओ खं रसकरगये ८२६ ॥१०॥ (पच्छाज्जा) वायगवरो सिरिउमासाई, तत्तत्थसुत्तआईणं । कत्ता णेगाण जयउ, पुठवविदो घोसणंदिपट्टहरो ॥१०७।। (पच्छागीई) मउलिव्व वरेणंगं, विभूसी पइंदिरं । माणतुंगक्खसूरिस्स, वीरसूरी गणीसरो ॥१०८!! (अणुटठुभं) पट्ठ णमिपासाए, गागपुरे करीअ जो । वीरा सुरद्धपायाल-क्खेत्त७७०ऽद्दे किंचिसाहिए ॥१०९।। (अणुठुभं) सूरीसरो सो जयदेवसण्णो, दूरीकयासेसकुवाइवुदो । भूसीअ वीरायरिअस्स पट्ट, जहा सुको चूअतरुस्स साहं ॥११०॥ (उवजाई)

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64