Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
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१६ ]
मुणिवीर सेहर विजयविरइभ- [ गाथा १११ तः
1
महुराअ वायणाए, कत्ता सो जयड खंदिलायरिओ जस्स इमो अणुओगो, पयरइ अड्डमरहेऽज्जावि ॥ १११ ॥
(पच्छाज्जा)
तत्तत्थमासकारो, जयेउ एगादसंगवित्तियरो 1 सिरिमहुमित्तविणेयो ऽज्जगंधहत्थी
तिपुव्वण्णू 1182211 (मुहचवलापच्छाज्जा )
वायणायरिओ ।
हिमवंतखमासमणो, पुव्वविओ जयउ विक्कतबहुपएसो, कालिअसुअधारगो धीरो ॥१५३॥
( पच्छाज्जा)
सिरिणागज्जुणसूरी, जयेड पणत्रीसमो जुगपहाणो । ओहसुअसमायारी, चरणणिही वायणायरिभो ॥११४॥
( पच्छाज्जा)
वीराऽग्गिणिहिये ७९३८६, जाओ सोदिक्खिओ हयम्भमये ८०७ | रागथणि ८२६ जुगवरो, हवीअ खमिओ जुगणहं के ९०४ ॥ ११५ ॥ (पच्छा पुब्बिगांतचवलाज्जा)
णयीअ
रिद्धि परं देवानंद सूविरो जस्स पसरिअकित्तिअच्छायणेण छष्णामरा, ण हवन्ति लोगाण चम्मच्छीण णयणगोअरा ॥ ११६ ॥
सूरिजयदेवपट्टसिरिं वरदुमगणो गिरिं
जह
(कुसुमिया)
1
सिरिमल्लवाइसूरी, तथा हवीअ महवाइजिअत्रोद्धो । सम्मइटीगा-पम्हचरित्तणयचक्काणं
॥११७॥
(पच्छा पुब्बिगा मुहचवलाज्ज । )
कत्ता

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