Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ १२ ] मुणिवी से हरविजयविरइभ- [ गाथा ८१ तः संघो ठवेऊण पटम्मि णीओ, दुब्मिक्खदेसाउ सुभिक्खदेसं । दयाऽद्विणा जेण भषाउ मोक्खं, खित्ता विमाणे विणिणीसुणान्व ॥ ८१ ॥ (उबजाई) सुवण कोडी अरूपिणि जो, दिक्खीअ संबुज्झ सरागकण्णं । पबोहिओ बोद्धमयानुसारी, भूवो वि जेणं पउरेहि सद्धं ||८२|| (उवजाई) बीist रसणिहिजुंग (४१६) - मिए जणी से वयं बलखअंगे (४९६।५०४) मइगुण संघसरे (५४८) जुग-पवरो स दिवं जुगगयस रे (५६४ ) ||८३|| (पच्छाज्जा) चरमो अवि दसपुब्बी, सो दसपुवीण अचरमो जाभी । तो वुच्छिष्णाणि तुरिम - भागिइसंघयणदसमपुव्वाणि ॥८४॥ | (पच्छागीई) आसी तयाऽज्जर क्लब-सूरी गुणवीसमो जुगपहाणो 1 जेण विहत्तो चउहा, मभोगो कालमासिज्ज 115211 ( पच्छ ।ज्जा) वीरा सबेसमखेऽद्दे, जम्मोऽस्स वयं च वेअवेअसरे । थंमिस रे५८४ जुगवरो, स गओ दिवमस्सणिहिभू५७ ||२६|| ( पच्छाज्जा) तो बीसमो जुगबरो, दुम्बं लिआ पुप्फमित्तसूरिवरो । जन्मोsस वीरमोक्खा ऽहं नहसाययविसयि५५० माणे॥ ८७|| (पच्छाज्जा) गेहीअ स पव्वज्जं, सायरपज्जत्तिहरमुह ५६७५माणे । जुगपवरोऽस्स णिहिसरे ५६७, हवीय संजमरि उम्मि६१७ दिवं ||८|| (पच्छाज्जा) अइकुसलं रयणत्तय-पंचाचारेसु वायणायरिअं नमिणत्थव कारं, वंदे तं विलायरिचं ॥ ८६ ( पच्छाज्जा)

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64