Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
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१०] मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- [गाथा ६५ तः स महाविज्जासिद्धो, अपुव्वसुयसागरो होगामी । जयउ महगुणी पण्णू , पालित्तो बाल वयसूरी ॥६॥
(पच्छाज्जा) वुडढ्डेण वि जेण किवं, सरस्सईअ लहिऊण कुसुमजुअं । मुसलं पि कयं खाओ, सो सूरी वुड्डवाइ त्ति ॥६६॥
(पच्छाज्जा) सीसो तस्स गुणणिही, महाकवी विततसासणपहावो । उत्तिण्णसमयजलही, पबोहगो विक्कमाइभूवाणं ॥६॥
(पच्छागीई) सिवलिंगफोडणं जो, विहाय कल्लाणमंदिरथवेणं । पयडीअ. महपहावग-मवंतिपासपहुणो बिबं ॥८॥
(मुहचवलापच्छाज्जा) सम्मइतक्काइगणय-गंथाणं कारगो अणेगाणं जयउ जगम्मि स सूरी, दिवायरो सिद्धसेनगुरू ॥६६॥
(पच्छाज्जा) ताउ सिरिधम्मसूरी, हवीभ पंचदसमो जुगपहाणो । जम्मोऽस्स वीरमोक्खा, सयंकपावग३६२पमाणेऽहे ॥७॥
(पच्छापुश्विगा महाचवलान्जा) विगइजुएऽहिसयमिए, गेण्हीअ वयं स खऽक्खगइ४५०माणे । जुगपवरो आसि गओ, सग्गं गोत्थणखगकसाये४६४ ॥७१।।
(पच्छाज्जा) स सीहसूरी गुरुदिण्णपट्टे, सोहीअ इंदूमिव अंतरिक्खे । भवीण अण्णाणरिउस्स सीसं, छिंदीअ खग्गो इव जस्स वाणी ॥७२॥
(उवजाई)

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