Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
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मुणिवीरसेहर विजयविरइअ- [ गाथा ६ तः जक्खो पायज्जजुग्गं, भवजनहितरि, जस्म सेवीअ पासो; मव्वाणं विग्घवुदं, हरउ दुहयरं, तित्थणाहो स पासो ॥६॥
(सद्धरा) सिरिवीरो चरणंगुलेण फुसिअं, कम्पीअ देवायलं; हरिसंकं अवोइउं जणिमहे, उप्पण्णमेत्तो वि जो । जयए जस्स दुहाकुले कलिजुगे, जिवाणदं सासणं; मम सो दाउ सिवं भवज्जतरणी, तूहेसरो अंतिमो ॥७॥
(मत्तेहविक्कीडियं) वीरा जेहिं, गहिअ तिवई, गुम्हिआ बारसंगी; गट्ठो वीर-ज्जुमणिउदये, जाणतणाण धयारो । अंगं जेसिं, पणमइ पहुँ, कम्मसत्तू णसन्ति; कल्लाणत्थं, मइ गणहरा, होंतु ते गोअमाई ॥८॥
_ (मंदक्कंता) माणो वि चारित्तलाहस्स जस्स, रागोवि णाहस्स सेवाअ जस्स । सोगो वि केवल्लणाणस्स जस्स, चित्तं चरित्तं अहो गोअमस्स ॥६॥
(लयग्गाहिं) स कप्पद्दुमाई हि ओमिज्जए किं, मणोवंछिआ पुरए जस्स णामं । सहत्थेण दिक्खाछलेणं विवाहो, कयो जेण मुत्तीअ सद्धं भवीणं ।१०।
(भुजंगप्पयायं) स गिहत्थे पण्णासं, वासा तीसं वयम्मि सव्वविए । बारस ठाउं सिद्धो, वीरसिवाऽहे दुवालसमे ॥११॥
(पच्छाज्जा) रसिंदू गच्छीसो, , पढमजुगवरो, वीरपट्टाहिसित्तो, सुहम्मो सो आसी, कयमविपया, जोगखेमो णिवोव्व ।

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