Book Title: Ashtsahastri Part 3
Author(s): Vidyanandacharya, Gyanmati Mataji
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 644
________________ स्याद्वाद का लक्षण ] तृतीय भाग [ ५६५ ज्ञानार्थपर्याययोर्जेयार्थपर्याययोनिज्ञेयार्थपर्याययोश्चेति । व्यञ्जनपर्यायनगमः षोढा-शब्दव्यञ्जनपर्याययोः समभिरूढव्यञ्जनपर्याययोरेवंभूतव्यञ्जनपर्याययोः शब्दसमभिरूढव्यञ्जनपर्याययोः शब्दैवंभूतव्यञ्जनपर्याययोः समभिरूढवभूतव्यञ्जनपर्याययोश्चेति । 'अर्थव्यञ्जनपर्यायनंगमस्त्रेधा ऋजुसूत्रशब्दयोः, ऋजुसूत्रसमभिरूढयोः “ऋजुसूत्रैवंभूतयोश्चेति। द्रव्यपर्यायनैगमोष्टधा- 'शुद्धद्रव्यर्जुसूत्रयोः शुद्धद्रव्यशब्दयोः शुद्धद्रव्यसमभिरूढयोः शुद्धद्रव्यैवंभूतयोश्च, एवमशुद्धद्रव्यर्जुसूत्रयोरशुद्धद्रव्यशब्दयोरशुद्धद्रव्यसमभिरूढयोरशुद्धद्रव्यवंभूतयोश्चेति । लोकसमयाविरोधेनोदाहार्यम् । तथा पर्यायार्थिकस्य मूलनयस्याशुद्ध्या 'तावहजुसूत्रः, तस्य कालकारकलिङ्गभेदेनाप्यभेदात् । शुद्ध्या शब्दस्तस्य कालादिभेदेन भेदात् । शुद्धितरया समभिरूढस्तस्य पर्याय ___ व्यंजन पर्याय नैगम के ६ भेद हैं-दो शब्द व्यंजन पर्यायों का नैगम, दो समभिरूढ़ व्यंजन पर्यायों का नैगम, दो एवंभूत व्यंजन पर्यायों का नैगम, शब्द और समभिरूढ़ व्यंजन पर्यायों का नैगम, शब्द और एवंभूत व्यंजन पर्यायों का नैगम, समभिरूढ़ और एवंभूत पर्यायों का नैगम ये ६ भेद हैं। अर्थ व्यंजन पर्याय नैगम के ३ भेद हैं ऋजुसूत्र और शब्द का नैगम, ऋजूसूत्र और समभिरूढ़ का नैगम, ऋजुसूत्र और एवंभूत का नैगम ये तीन भेद हैं । द्रव्य पर्याय नैगम ८ प्रकार का है-शुद्ध द्रव्य और ऋजूसूम का नैगम, शुद्ध द्रव्य और शब्द का नैगम, शुद्ध द्रव्य और समभिरूढ़ का नैगम, शुद्ध द्रव्य और एवंभूत का नैगम, इसी प्रकार से अशुद्ध द्रव्य और ऋजूसूत्र का नैगम, अशुद्ध द्रव्य और शब्द का नगम, अशुद्ध द्रव्य और समभिरूढ़ का नगम, अशुद्ध द्रव्य और एवंभूत का नैगम ये आठ भेद हैं। इन नयों के उदाहरण लोक एवं शास्त्र से अविरुद्ध लगा लेना चाहिये। उसी प्रकार से मूल पर्यायाथिक नय के अशुद्धि-भेद से ऋजुसूत्र होता है क्योंकि वह लिंग, कारक और कालादि के भेद से भी अभिन्न है। पर्यायाथिक नय की शुद्धि अभेद से शब्द नय होता है वह कालादि के भेद से भेदरूप है। तथा पर्यायाथिकनय की शुद्धितर से समभिरूढ़ नय होता है वह पर्याय के भेद से भी भेद करता है अर्थात् पर्यायवाची शब्दों में परस्पर भेद होने से यह नय वस्तु में भी भेद को देखता है। 1 शब्दनयसंबन्धिनोः । दि० प्र०। 2 ता । ब्या० प्र० । 3 अत्र द्रव्यशब्देन षद्रव्यस्य घटादिकार्य द्रव्यस्य च ग्रहणम् । दि० प्र०। 4 अर्थश्चव्यञ्जनञ्च ते च ते पर्यायौ च । दि० प्र०। 5 ताद्धि विषयौ । ब्या० प्र० । 6 ऋजुसूत्रार्थपर्याययोः । इति पा० । दि० प्र० । 7 वर्तमानसमयत्तिपर्यायमात्रग्राही ऋजुसूत्रस्तस्यातीतानागतयोविनष्टान्त्सन्नत्वेन व्यवहाराभावा । ब्या० प्र०। 8 ने केवलं पर्यायाभेदेन । ब्या० प्र०। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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