Book Title: Ashtapahuda
Author(s): Kundkundacharya, Mahendramuni
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 14
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates विषय स्त्रियोंके ध्यान की सिद्धि भी नहीं जिन सूत्रोक्त मार्गानुगामी ग्राह्यपदार्थों में से भी अल्प प्रमाण ग्रहण करते हैं तथा जो सर्व इच्छाओंसे रहित हैं वे सर्व दुःख रहित हैं ३. चारित्रपाहुड नमस्कृति तथा चारित्र पाहुड लिखने की प्रतिज्ञा सम्यग्दर्शनादित्रयका अर्थ ज्ञानादिभावत्रयकी शुद्धिके अर्थ दो प्रकार का चारित्र चारित्रके सम्यक्त्व-चरण संयम-चरण भेद सम्यक्त्व-चरण के शंकादिमलों के त्याग निमित्त उपदेश अष्ट अंगोंके नाम निःशंकित आदि अष्टगुणविशुद्ध जिनसम्यक्त्वका आचरण सम्यक्त्व चरण चारित्र है और वह मोक्ष के स्थान के लिये है सम्यक्त्वचरण चारित्रसे भ्रष्ट संयम चरणधारी भी मोक्षको नहीं प्राप्त करता सम्यक्त्वचरण के चिह्न सम्यक्त्व त्याग के चिह्न तथा कुदर्शनों के नाम उत्साह भावनादि होने पर सम्यक्त्वका त्याग नहीं हो सकता है मिथ्यात्वादित्रय त्यागने का उपदेश मिथ्यामार्ग में प्रवर्तानेवाले दोष चारित्र दोष को मार्जन करने वाले गुण मोह रहित दर्शनादित्रय मोक्षके कारण हैं संक्षेपतासे सम्यक्त्वका महात्म्य, गुणश्रेणी निर्जरा सम्यक्त्वचरण चारित्र संयम चरण के भेद और भेदों का संक्षेपता से वर्णन सागारसंयम चरणके ११ स्थान अर्थात ग्यारह प्रतिमा सागार संयम चरण का कथन पंच अणुव्रतका स्वरूप तीन गुणवतका स्वरूप शिक्षाव्रत के चार भेद यतिधर्मप्रतिपादनकी प्रतिज्ञा यतिधर्म की सामग्री पंचेन्द्रियसंवरणका स्वरूप पांच व्रतों का स्वरूप पंचव्रतोंको महाव्रत संज्ञा किस कारण से है अहिंसाव्रत की पांच भावना सत्यव्रत की पांच भावना अचौर्यव्रत की भावना ब्रह्मचर्य की भावना अपरिग्रह महाव्रत की पांच भावना Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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