________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates 394] / अष्टपाहुड मंगलरूप जिनेन्द्रकू नमस्कार मम होहु। विध्न टलै शुभबंध है यह कारन है मोहु।। 10 / / संवत्सर दस आठ सत सतसठि विक्रमताय। मास भाद्रपद शुक्ल तिथि तेरसि पूरन थाय।। 11 / / इति वचनिकाकार प्रशस्ति। जयतु जिनशासनम्। शुभमिति। समाप्त * Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com