Book Title: Ashtapahuda Author(s): Kundkundacharya, Mahendramuni Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir TrustPage 12
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates विषय-सूची विषय १. दर्शनपाहुड भाषाकार कृत मंगलाचरण, देष भाषा लिखने की प्रतिज्ञा । भाषा वचनिका बनानेका प्रयोजन तथा लघुताके साथ प्रतिज्ञा व मंगल कुन्दकुन्दस्वामि कृत भगवान को नमस्कार, तथा दर्शनमार्ग लिखने की सूचना धर्म की जड़ सम्यग्दर्शन है, उसके बिना वन्दन की पात्रता भी नहीं भाषावचनिका कृत दर्शन तथा धर्मका स्वरूप दर्शन के भेद तथा भेदोंका विवेचन दर्शन के उदबोधक चिन्ह सम्यक्त्वके आठ गुण, और आठ गणोंका प्रशमादि चिन्होंमें अन्तर्भाव सुदेव-गुरु तथा सम्यक्त्वके आठ अंग । सम्यग्दर्शनके बिना बाह्य चारित्र मोक्ष का कारण नहीं सम्यक्त्वके बिना ज्ञान तथा तप भी कार्यकारी नहीं सम्यक्त्वके बिना सर्व ही निष्फल है तथा उसके सदभावमें सर्व ही सफल है कर्मरज नाशक सम्यग्दर्शनकी शक्ति जल-प्रवाहके समान है जो दर्शनादित्रयमें भ्रष्ट हैं वे कैसे हैं भ्रष्ट पुरुष ही आप भ्रष्ट होकर धर्मधारकों के निंदक होते हैं जो जिनदर्शनके भ्रष्ट हैं वे मुलेस ही भ्रष्ट हैं और वे सिद्धोंको भी प्राप्त नहीं कर सकते जिनदर्शन ही मोक्षमार्गका प्रधान साधक रूप मूल है दर्शन भ्रष्ट होकर भी दर्शन धारकोंसे अपनी विनय चाहते हैं वे दुर्गतिके पात्र हैं लज्जादिके भयसे दर्शन भ्रष्टका विनय करे वह भी उसीके समान (भ्रष्ट) हैं दर्शनकी (मतकी) मूर्ति कहाँ पर कैसे है। कल्याण अकल्याणका निश्चयायक सम्यग्दर्शन ही है कल्याण अकल्याण के जानने का फल जिन वचन ही सम्यक्त्वके कारण होने से दुःख के नाशक हैं जिनागमोक्त दर्शन (मत) के भेषोंका वर्णन सम्यग्दृष्टिका लक्षण निश्चय व्यवहार भेदात्मक सम्यक्त्व का स्वरूप रत्नत्रयमें भी मोक्षसोपानकी प्रथम श्रेणी (पेड़ि) सम्यग्दर्शन ही है अतएव श्रेष्ठ रत्न है तथा धारण करने योग्य है विशेष न हो सके तो जिनोक्त पदार्थ श्रद्धान ही करना चाहिये क्योंकि वह जिनोक्त सम्यक्त्व है जो दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप, विनय, इन पंचात्मकतारूप हैं वे वंदना योग्य हैं तथा गुणधारकोंके गुणानुवाद रूप हैं यथाजात दिगम्बर स्वरूपको देखकर मत्सर भावसे जो विनयादि नहीं करता है वह मिथ्यादृष्टि है वंदन नहीं करने योग्य कौन है ? वंदना करने योग्य कौन ? Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.comPage Navigation
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