Book Title: Ashtapahuda Author(s): Kundkundacharya, Mahendramuni Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir TrustPage 15
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates विषय संयमशुद्धिकी कारण पंच समिति ज्ञानका लक्षण तथा आत्मा ही ज्ञान स्वरूप है। मोक्षमार्गस्वरूप ज्ञानी का लक्षण परमश्रद्धापूर्वक रत्नत्रयका ज्ञाता ही मोक्षका भागी है। निश्चय चारित्ररूप ज्ञानके धारक सिद्ध होते हैं इष्ट-अनिष्टके साधक गुणदोषका ज्ञान ज्ञानसे ही होता है सम्यग्ज्ञान सहित चारित्रका धारक शीघ्र ही अनुपम सुखको प्राप्त होता है संक्षेपता से चारित्रका कथन चारित्र पाहुडकी भावना का फल तथा भावना का उपदेश ४. बोधपाहुड आचार्यकी स्तुति और ग्रन्थ करने की प्रतिज्ञा आयतन आदि १९ स्थलोंके नाम आयतनत्रयका लक्षण टीकाकारकृत आयतनका अर्थ तथा इनसे विपरीत अन्यमत - स्वीकृतका निषेध चैत्यगृहका कथन जंगमथावर रूप जिनप्रतिमाका निरूपण दर्शनका स्वरूप जिनबिम्बका निरूपण जिनमुद्राका स्वरूप ज्ञानका निरूपण दृष्टान्त द्वारा ज्ञानका दृढ़ीकरण विनयसंयुक्तज्ञानीके मोक्ष की प्राप्ति होती है मतिज्ञानादि द्वारा मोक्षलक्ष्य सिद्धिमें बाण आदि दृष्टान्तका कथन देवका स्वरूप धर्म, दीक्षा और देवका स्वरूप तीर्थका स्वरूप अरहंतका स्वरूप नामकी प्रधानतासे गुणों द्वारा अरहंतका कथन दोषोंके अभाव द्वारा ज्ञानमूर्ति अरहंतका कथन गुणस्थानादि पंच प्रकारसे अरहंतकी स्थापना पंच प्रकार है गुणस्थानस्थापनासे अरहंतका निरूपण मार्गणा द्वारा अरहंतका निरूपण पर्याप्तिद्वारा अरहंतका कथन प्राणों द्वारा अरहंतका कथन जीव स्थान द्वारा अरहंतका निरूपण द्रव्यकी प्रधानतासे अरहंतका निरूपण भावकी प्रधानता से अरहंतका निरूपण विषय Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com पृष्ठ ९४ ९५ ९६ ९६ ९७ ९८ ९९ ९९ १०१ १०२ १०३ १०४ १०५ १०७ १०९ १११ १९२ १९३ १९४ ११४ ११५ १९६ ११६ १९७ १९८ १२० १२१ १२२ १२२ १२३ १२४ १२५ १२५ १२६ १२७ पृष्ठPage Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 418