Book Title: Asht Pravachanmata Sazzay Sarth Author(s): Agarchand Nahta Publisher: Bhanvarlal Nahta View full book textPage 3
________________ दो शब्द श्रीमद् देवचन्द्र ग्रन्थमाला का द्वितीय पुष्प पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किया जारहा है । इस सज्झाय का गुजराती अनुवाद बहुत वर्ष पहले प्रकाशित हुआ था। हिन्दी पाठकों को भी इस महत्पपूर्ण रचना का लाभ 'मिले, इस दृष्टि से श्री नेमीचन्द्र जैन से हिन्दी में भावार्थ लिखवाया गया। उसमें कुछ त्रुटियां रहजना भी संभव है। नित्य विनयमणि जीवन जैन लाइब्रेरी,कलकत्ता के, ग्रन्थों में से इस रचना की अर्थ सहित हस्तलिखित प्रति प्राप्त होने से उसको भी इस ग्रन्थ में प्रकाशित किया गया है। उत्तराध्ययन सूत्र के २४वें अध्ययन से अष्ट प्रवचन माता विषयक २७ गाथाओं का अनुवाद व दिगम्बराचार्य शुभचन्द्र के ज्ञानार्णव से भी एतद्विषयक श्लोकों का अनुवाद देने के साथ साथ अन्त में परमयोगिराज श्री आनन्दघनजी महाराज कृत पाँच समिति की ढालें सद्गुरु शिरोमणि युगप्रवर श्री सहजानन्दजी महाराज द्वारा प्राप्त कर प्रकाशित की जा रही है। ___ आशा है जैन साधु- साध्वी इस रचना का विशेष मनोयोग से स्वाध्याय करके और श्रावक श्राविका गण भी इसे पढ़कर जैन-मुनि जीवन के रहस्य से अवगत होंगे। थोड़े ही दिनों में दूसरा भाग व शांत सुधारस भी पाठकों के समक्ष उपस्थित किया जायगा। ___ श्री धरमचन्द्र जी गोलछा ने इस ग्रन्थ के प्रकाशन में १०१) रुपया देने की सूचना दी है, अतः आप धन्यवादाह हैं। भंवरलाल नाहटा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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