Book Title: Arhadgita
Author(s): Meghvijay, Sohanlal Patni
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 4
________________ विषय सूची प्रकाशकीय निवेदन आभार उपाध्याय मेघविजयजी-व्यक्तित्व एवं कृतित्व अहंद्गीता-विवेचन अध्याय १ मोक्षमूल ज्ञान २ शाश्वत आत्मज्योति ३ ज्ञान अमृत है ४ धर्म बीज ५ शान्त सुधारस से धर्म प्राप्ति .... ६ ज्ञान दर्शन चारित्र प्रधान धर्म .... . सद्धर्म का स्वरूप ८. सद्धर्म का स्वरूप ९ वीतराग भाव की महत्ता १० सप्तनय से धर्मप्रकाश ११ आत्म गुणों का विकास ही वीतराग मार्ग १२ चंद्रगति से मनोगतिका समन्वय १३ मन में कालचक्र का निरूपण .... १४ मनोजय के उपाय १५ अनेकता मे एकता १६ एकत्व भावना १७ वासनाएं उर्ध्वगति में वाधक .... १८ उत्कृष्ट आचरण का स्वरूप .... १९ तपोबल से परमात्मापद २० मंत्रयोग से परमेष्ठिपद की उपासना २१ आत्मा का परम ऐश्वर्य । २२ एकता और अनेकता १२१ १४० १४९ १५८ १६७ १७७ १८६ १९४ २०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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