Book Title: Aradhana Prakarana
Author(s): Somsen Acharya, Jinendra Jain, Satyanarayan Bharadwaj
Publisher: Jain Adhyayan evam Siddhant Shodh Samsthan Jabalpur

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Page 22
________________ आराधना प्रकरण 13 इसी प्रकार यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद आदि सभी वेदों में इष्टविषयक आराधना वर्णित है । जैनागमों में भी आराधना के अनेक प्रसंग वर्णित हैं। भक्ति, सेवा, समर्पण, पूजा, गुणोत्कीर्तन जैसी क्रियाओं में आराधना को समाविष्ट किया जा सकता है। प्रत्येक आराधक अन्तर्मन से निःस्वार्थ भाव पूर्वक जब इन क्रियाओं का सम्पादन करता है तब आराधना फलीभूत हो जाती है । जैनाचार संयम प्रधान आचार है । उसमें प्रत्येक क्रिया को यत्न पूर्वक करने का विधान किया गया है । श्रमण और श्रावक इन दो रूपों में विभक्त आचार आराधना पूर्वक पालित किया जाता है। श्रमणाचार के अन्तर्गत महाव्रत, आवश्यक गुप्ति, रत्नत्रय आदि की आराधना आवश्यक कही गयी है जबकि श्रावकाचार में द्वादश व्रत, प्रतिमाओं का पालन, स्वाध्याय आदि की आराधना की जाती है। दर्शन, ज्ञान, चरित्र और तप ये आराधना के चार भेद किये गये हैं । जीव इन चारों का अपने जीवन में पालन कर मोक्ष प्राप्ति की साधना करता है। पंचाचार के साथ-साथ इन आराधनाओं का पालन स्वतः हो जाता है । अर्द्धमागधी और शौरसेनी आगमों में चतुर्विध आराधना का उल्लेख मिलता है। धर्म आराधना, श्रुत आराधना, आचार आराधना, ज्ञान आराधना, संयम आराधना आदि आराधना के क्षेत्र कहे जाते हैं । दशवैकालिक', उत्तराध्ययन' प्रकीर्णक' साहित्य आदि अर्द्धमागधी आगमों में और मूलाचार', भगवती आराधना' कुन्दकुन्दकृत दर्शन पाहुड' आदि शौरसेनी साहित्य में चतुर्विध आराधना का उल्लेख मिलता है । दर्शन, ज्ञान, चारित्र तप रूप आराधना का स्वरूप भगवती आराधना में सुन्दर ढंग से व्यक्त किया गया है। वहाँ पर उद्योतन, उद्यवन, निस्तरण, साधन तथा निर्वहण रूप में चारों आराधना का पालन करना ही आराधना कहा है । अर्थात् सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप का यथायोग्य विधि से 1. दशवैकालिक सूत्र - 10/7 2. उत्तराध्ययनसूत्र 28/2,3 3. (क) महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक- 137 (ख) भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक-7 (ग) मरणसमाधि प्रकीर्णक - 317 4. मूलाचार (वट्टकेर ) 1/57 5. भगवती आराधना ( शिवार्य), गाथा-2 6. दर्शन पाहुड (कुन्दकुन्दकृत), गाथा - 30, 32 7. भगवती आराधना, गाथा-2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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