Book Title: Aradhana Prakarana
Author(s): Somsen Acharya, Jinendra Jain, Satyanarayan Bharadwaj
Publisher: Jain Adhyayan evam Siddhant Shodh Samsthan Jabalpur

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ आराधना प्रकरण आलोइसु अइयारो आवस्यम्मि छब्भेए आसायणं कुणंतो एगिंदिआण जं कहवि एवं गुरुवइट्ठ एवं चउन्हं सरणं पवन्नो कलहं अल्पक्खाणं कल्ला - कोडि - जणणा 1 काउं महुअरिवित्तिं कालविणयाई किमिसंखसुत्तिपूअर कोलिअ - कुत्तिअ खामेसु सव्व सत्ते गद्दहा कुंथुजूआ चउतीस अइसयजुआ चउविहकसायचत्ता चउसरणदुक्कड चत्तंमि जम्मि जीवाण छज्जीवनिकायवहो जलयर-थलयर जं इत्थमिच्छत्त विमोहिएणं जं कवडवावडेणं जं कोहलोह भयहास जंताणि जं जंतु दुहावहाई जं तुमए नरनारएण जं धणधन्नसुवन्नं जं पंचभेअनाणस्स खानुक्रमणिका Jain Education International (2) (54) (12) (14) (67) (47) (29) (44) (39) (5) (15) (17) (27) (16) (31) (32) (3) (62) (61) (18) (48) (20) (19) (50) (57) (22) (7) जं पंचहिं समिइहिं जं भजणिया जिणाणं जं भजिऊण तवमुग्गरेहिं जं भुंजिऊण बहुहा जं राइभोअणवेरमणाइं जं विरइउं विणासो जं समत्तं निस्संकियाई जं सुद्धनाण- दंसण- चरणाई जिणभवण-बिब जिणसिद्धसूरिउवज्झाया जे अट्ठकम्ममुक्का जे चत्तसयलसंगा जे पंचसमिइसमिआ जेण विणां चारितं जेण सहाएण गाणं जो केवलणादिवायरेहिं जोगेसु मुक्खपहसाहगेसु जो पावरक्कतं जो सुलहो जीवाणं झाणानलजोगेणं झाण न जम्मो न जरा तप्पत्तीरयणवई तरिऊण भवसमुद्द दिव्वं व माणुसं वा नमिऊण भइ नाणम्मि दंसणम्मि अ नाणाविहपावपरायणो वि For Private & Personal Use Only (13) (10) (36) (59) (23) (11) (9) ( 52 ) (51) (53) (33) (42) (41) (58) (64) (43) (25) (45) (60) (37) (38) (69) (35) (21) (1) (4) (63) 55 www.jainelibrary.org


Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70