Book Title: Appa so Parmappa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 9
________________ ( ८ ) है कि आज श्रमणसंघ के मुनि अध्यात्म, योग, साधना जैसे विषयों पर अध्ययन और अनुभव के पथ पर गतिमान हो रहे हैं । मैं इस लेखन को आचार्य प्रवर के आशीर्वचन का ही सुफल मानता हूँ। मेरे चिन्तन; लेखन अध्ययन की प्रेरक शक्ति हैं सद्गुरुदेव उपाध्याय श्री पुष्करमुनि जी महाराज । वे स्वयं अध्यात्मविषयों का अध्ययन, अनुशीलन करते हैं और जप-ध्यानयोग द्वारा आत्मानुभव का रसास्वाद भी करते हैं । उनकी प्रेरणा मेरे जीवन में प्रेरणा प्रदीप बनी है। विश्रु त विद्वान मुनि श्री नेमीचंदजी म० का आत्मीय सहयोग-स्मरण करता हूँ, जिनकी सतत सहयोग-भावना को विस्मृत नहीं हो सकता । आशा है, अध्यात्मप्रेमी पाठक इससे लाभान्वित होंगे। . -उपाचार्य देवेन्द्रमनि महावीर-जयन्ती राशमी (मेवाड़) दि०१८ अप्रैल, १९८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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