Book Title: Anusandhan 2007 12 SrNo 42
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ डिसेम्बर २००७ सूत्रः तप्पडिवत्तिविग्यो स्तबकः तप्पडिवत्तिविग्धं (३) सूत्रः सुविणे व सव्वमाउलं ति । स्तबकः सुविणुव्व सव्वमालमालंति । अलमेत्थ ता अलमित्थ (३) सूत्रः संभवंतोसहे स्तबकः संभवे ओसहे (३) सूत्रः तस्संपायणे स्तबकः तस्स संपाडणे सूत्रः पहाणं बहाणं परमत्थओ स्तबकः पहाणं परमत्थओ (३) सूत्रः सुपुरिसोचिअमेअं स्तबकः पुरिसोचिअमेअं (३) सूत्रः सुगुरुसमीवे, पूजिऊण स्तबकः गुरुसमीवे, पूइत्ता (३) सूत्रः समहिवासए विसुद्धजोगे स्तबकः समहिवासए विसुज्झमाणे (३) विसुज्झमाणे सूत्रः न इओ हिअं तत्तं स्तबकः न इउ हिअतत्तं सूत्रः निरुद्धपमायचारं स्तबकः निरुद्धपमायायारे (४) सूत्रः तत्तसंवेयणाओ कुसलसिद्धीए स्तबकः तस्स संवेयणाओ कुसलासयवुड्डीओ (४) सूत्रः अरूविणी सत्ता स्तबकः अरूवी सत्ता (५) सूत्र: ०णंतगुणं खु तं स्तबकः ०णंतगुणं तं तु (५) सूत्रः अविसेसो बद्धमुक्काणं स्तबकः अविसेसो अबंधमुक्काणं (५) बीजी एक विलक्षणता ए जोवा मळे छे के मूळ कृतिमां ज्या ज्यां प्रथमा-एकवचनान्त पदोमां 'ए'कारान्त-श्रुति छ : दा.त. धम्मे, जीवे, वगेरे; त्यां आ स्तबकप्रतिगत पाठमां 'ओ'कारान्त-श्रुति जोवा मळे छ : दा.त. धम्मो, जीवो, इत्यादि. कोडायना ज्ञानभण्डारना कार्यवाहकोनो, प्रतिनी नकल करावी आपवा बदल आभार मानुं छु. पञ्चसूत्र स्तबक सहित ॥ ए८०॥ नमो वीयरागाणं सव्वण्णूणं देविंदपूइआणं जहट्ठिअवत्थुवाईणं तेलुक्कगुरूणं अरहंताणं भगवंताणं ।। नमो वीतरागेभ्यः सर्वज्ञेभ्यः देवेन्द्रपूजितेभ्य: यथास्थितवस्तुवादिभ्यः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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