Book Title: Anusandhan 2005 06 SrNo 32
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ १८ अनुक्रमणिका उदयरत्नजी कृत जोगमायानो सलोको सं. डॉ. निरंजन राज्यगुरु पाठक रुघपति-कृत सुगणबत्तीशी ॥ सं. सा. समयप्रज्ञाश्री श्रीपुण्यसागरसूरिकृत सूतक चोपाई सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय महोपाध्याय-श्री समयसुन्दरगणिरचिताः मेघदूत-प्रथमपद्यस्याभिनव-त्रयोऽर्थाः (मेघदूत प्रथम पद्य के ३ अभिनव अर्थ) सं. म. विनयसागर पं. मानसागरकृत मेघदूत-खण्डना ॥ अपूर्ण ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ट्रॅक नोंध : १. एक साध्वी-प्रतिमा - शी. २. भुवनहिताचार्य म. विनयसागर डॉ. भायाणीनुं मध्यकालीन साहित्यअभ्यासक्षेत्रे प्रधान हसु याज्ञिक माहिती : स्मृतिशेष विद्वज्जनो स्वाध्यायः विशेषावश्यक भाष्यनो स्वाध्याय करतां सूझेल सुधारानी नोंध विहंगावलोकन उपा. भुवनचन्द्र १०१ १०२ १०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 118