Book Title: Anusandhan 2005 06 SrNo 32
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ अनसन्धान ३२ कडी क्र. चरण क्र. दंधै • 0 17 3 ง * * * * * सुगणबत्तीसी-शब्दकोश शब्द अर्थ धंधामां थी-' स्त्री-पत्नी हेर्यो हाथ कर्यु-कबजे कर्यु घाठडी मक्काई-छाशनी वानगी मो भेलो मारी भेगो मिणीयो मपाएं (आंगणा सुधी जवू अशक्य) अणपारै अपार/घणां सुरंभ सुरभि-सुगंध सुरसुं सूर सहित के सूर उपरथी क्रम कर्म सरदहणा सद्दहणा-श्रद्धा निसतारों निस्तार करो । तरी जाव बारोडी बारी पासे/ बारणे पैठ रीत (?) नाज (?) ओखाणो ऊखाणुं निकमां नकामुं / व्यर्थ दरमाटी दरनी माटी * * * * * * * * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118