Book Title: Anusandhan 2005 06 SrNo 32
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 30
________________ June-2005 25 दास दासी घरमें मृत्युक होय, दिन एक-बे--त्रणनों सुतक जोय । आठ वरसथी निचा मरें सिशु, तो दिन आठनो सुतक इस्युं ॥१५॥ ३इंम जन्म-मरणनो सुतक कह्यो, अन्य ग्रंथमां इंम ज कह्यो । वली विचारसार मांहें सार, इंम भांपे छे श्रीअणगार ।।१६।। ऋतुवंती नारी तणो विचार, त्रिण दिन लगें भांडादिक सार । नवि छवें कुलवंती नार, पडिकमणांदिक दिन च्यार निवार ॥१७॥ तपस्या करतां लेखे सही, दिन पांच पछे जिनपुजा की। वली स्त्रीने रोगादिक होय, दिन त्रण ओलंघ्या सोय ।।१८।। दिठा माहे रुधिर आवे सही, तो तेहनों दोस म जाणों सही । विवेके करी पवित्र थाई नार, पछे जिनदर्शनथी लहे भव पार ।।११।। इंम जिनप्रतिमा पूजा करो, जिम भवसायर लीलाइं तरो। वली साधुसुपात्रे दीजें दांन, जिम पांमो तमें अमरविमान ॥२०॥ जिनपडिमानी अंगपूजा सार, न करे ऋतुवंती ते नार । इंम चर्चरीग्रंथ मांहें विचार, ए परमारथ जांणों सार ॥२१॥ वली भाष्यों छे सूतक विचार, भांष्यं सहगुरुनें आधार । तिर्यंचतणों लवलेस ज कहुं, ते आगमथी जांणों सहु ॥२२॥ घोडा उंट" भेस घरमां होय, प्रसवे दिन एक सुतक जोय । गाय प्रमुखनों मरण जव थाय, कलेवर घरथी बाहिर जाय ॥२३॥ एतली वेला सुतक होय, वली दास दासीकन्या घरमां होय । जन्म होयनें मृत्युं जांण, त्रन रात्रनों होय प्रमाण ॥२४॥ जेतला मासनो गर्भ ज पडे, तेतला दिवसनो सुतक नडे । भेंस वीहाया दिन पंनर दुध, ते मांहे तो कहीइं असुध ।।२५।। गौ दुधनों कह्यौ "प्रमाण, दिवस दस तें जांणों गुणजांण । छाली दिन आठ ‘पछे ते दुध, ते मांहे दुध तें कहीइ असुध ।।२६।। २. एक-बेनो त्रणननों व. ।। ४. भापुं सहगुरु तण आधार अ. ॥ ६. दाशी घरमां कन्या व. ।। ... पछी अ. ॥ ३. जन्म-मरणनो सुतक इंमज कह्यो व. ।। ५. उठ व. ।। ७. परिमाण अ. ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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