Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 13
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 4
________________ सम्पादकीय निवेदन ताजेतरमा परिसथी फ्रेंच विदुषी बहेनो मेडम कॅलेट कैय्या तथा डॉ. नलिनी बलबीर भारतप्रवासे आव्यां हतां. मुलाकात दरम्यान थयेली वातचीतमां अनुसंधान'ना प्रकाशन तेम ज तेमां प्रकाशित थती मूल्यवान सामग्री परत्वे ऊंडा परितोषनी लागणी तेमणे प्रगट करी हती. स्वाभाविक रीते ज जैनोलोजी अने प्राकृत वगेरे भाषाओना तज्ज्ञोनी आवी लागणीथी अमने पण अनहद संतोष अनुभवायो. ___ पाछला थोडाक अंकोनी तुलनाए प्रस्तुत अंक थोडो नाना कदनो थयो छे. तेमां बहारथी प्राप्त थयेल सामग्रीनी अल्पता तेम ज संपादकोनी केटलीक व्यस्तता कारणभूत छे. -- संपादको Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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