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मिलेगा। क्योकि मिलना या न मिलना स्व तथा पर चतुष्टय की अपेक्षा पर निर्भर है । हम चतुर्भुज भाई को एक निश्चित एव असदिध उत्तर देना चाहते है। हम यह नही जानते ये सज्जन कितनी अपेक्षाएं पूर्ण करते हैं, और हम उन्हे अधेरे में या झूठी जागा मे भी रखना नहीं चाहते । अत चौथे भग के अनुसार यह निश्चित अभिप्राय हम उनके सामने प्रस्तुत करते हैं।
फिर भी चतुर्भुज भाई को यह जवाब देकर कि, 'कुछ नहीं कहा जा सकता' हम उन्हे निराश नहीं करते। वैरिस्टर साहव की उदारता से सम्वन्धित सभी अपेक्षानो से हम उन्हे वाकिफ करते है, या अपने उत्तर के द्वारा हम उन्हे सभी गों से वाकिफ होने का सकेत करते है। ___अव चतुर्भुज भाई हम से कहते है,-"मैं वैरिस्टर साहब को ज्ञाति का हूँ, और मुझे अपने पुत्र की शिक्षा के लिए उनकी सहायता की आवश्यकता है।" ___ यह वात कह कर उदारता के ये उम्मीदवार क्षेत्र के अतिरिक्त भाव की अपेक्षा भी पूर्ण करते हैं। इतना उनका केस मजबूत बनता है। इसलिए उन्हे वेरिस्टर साहब की उदारता का लाभ मिलना चाहिए। फिर भी हम यह नहीं जानते कि अन्य अपेक्षाएं पूर्ण होती हैं या नहीं। अत पाँचवे भग का आश्रय लेकर हम उन्हे यो स्पष्ट उत्तर दे सकेगे_ 'वेरिस्टर साहब उदार है और अवक्तव्य है अर्थात् कुछ कहा नहीं जा सकता।' अर्थात् वैरिस्टर साहब उदार तो हैं ही परन्तु हम अभी तक निश्चित रूप से यह कहने की स्थिति मे नही पहुँचे हैं कि उनका लाभ चतुर्भुज भाई को मिलेगा