Book Title: Anekant va Syadvada
Author(s): Chandulal C Shah
Publisher: Jain Marg Aradhak Samiti Belgaon

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Page 384
________________ ३६६ से मनुष्य का मन काम करता है। इन पाँचो मे से यदि एक इन्द्रिय भी काम न करती हो तो ऐसे शरीर को 'खडित अंग' कहते है । शरीर के ये पाँच मुख्य अग है। ससारी आत्मायो के लिए पाँच मुख्य आचार वताये गये है।। इन पाँच आचारो के नाम निम्नानुसार है,१) अहिंसा २) सत्य ३) अस्तेय ४) ब्रह्मचर्य ५) अपरिग्रह इन पाँचो पर पाँच अलग-अलग ग्रन्थो की रचना हो सकती है, ये सिद्धान्त इतने महान्, अर्थगभीर तथा परम कल्याणकारी है। ये पांचो आचार अच्छा जीवन जीने के राजमार्ग (High ways) है । जब हम मोटर मे बैठकर वाहर जाते है तव मोटर को सड़क पर ही चलाते है । यदि हम सड़क के एक ओर या दूसरी ओर नीचे उतर जॉय तो अवश्य दुर्घटना हो जाती है । इसी तरह जीवन जीने के लिए यदि हम इन पाँच पाचाररूपी सडक पर ही चले तो कोई झझट उपस्थित नही होता । यदि हम उसके बाहर निकल जाँय तो अनेक कठिनाइयाँ उपस्थित होती है। ___'अहिंसा' शब्द का अर्थ मात्र मानव को हिसा न करने तक या मात्र काया से जीव हिंसा न करने तक सीमित नहीं है। हमारे किसी भी विचार, वचन या कार्य से किसी को दुख पहुंचे तो उसे भी हिंसा माना जाता है। किसी भी स्थूल

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