________________
३८४
भी उतने ही और ऐसे ही बाधक है । यह बात भलीभांति याद रखनी चाहिए । ये बहुत बड़े अवगुण है । ये अवगुण व्यवस्थित जीवन के विकास मे वाधक तत्त्व (Blocking elements) है । 'अहिसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह' इन पाँच मित्रो की सहायता लेकर उक्त छ शत्रुयो को हटाने के लिये युद्ध छेडना प्रत्येक विवेकी मनुष्य का प्राथमिक पुरुपार्थ है । इस वात को एक तरफ रखकर जीवन जीने का मार्ग निश्चित हो ही नहीं सकता । इसे लक्ष्य मे रखकर हम जो जीवन व्यतीत करे वही 'विशुद्ध ग्रामोद-प्रमोदकारक नन्दनवन' है । इसे छोडकर चले तो जीवन एक झझटमहा झझट है।
इस महा झझट से छूटने के लिए स्याद्वादश्रुतधारक अनेकान्तवाद के अद्भुत तत्त्वज्ञान का आश्रय लेना अनिवार्यतः अावश्यक है । अत हमे इतना निश्चित कर लेना चाहिए -
"यह ससार केवल भ्रम नहीं है, वास्तविक भी है। यह जीवन केवल झझट नहीं है, महा-अानन्द भी है । इन दोनो मे, अर्थात् हमारे आस पास फैले हुए ससार मे और हमारे जीवन मे विष और अमृत-दोनो है । वास्तविकता, अानन्द
और अमृत का व्यवस्थित आयोजन लेकर हम चलेगे, श्रीर जिस समय यह निश्चित होगा कि ससार एक भ्रम है उस समय यह भ्रम हमसे लाखो योजन दूर चला जा चुका होगा; जव हमे लगेगा कि जीवन एक झझट है, उस समय यह झझट तो बेचारा दूर खडा खडा आँसू बहाता होगा । और विष यह विष तो उसी दिन स्वय ही अमृत बन कर अमृत में मिल चुका होगा।"