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[मार्गशीर्ष, वीर निर्वाय सं०२४.६५
२४ स्व० नगेन्द्रनाथ वसु
छपा है पर इसमें १-पार्श्वनाथके शिष्य श्वे. (पता-विश्वकोषलेन, कलकत्ता ।)
ताम्बर और महावीरके शिष्य दिगम्बर हुए तथा आपके सम्पादित विश्वकोषमें जैनधर्मके सम्बंधमें २ सिद्धार्थ यक्षके अनुग्रहसे वीरकी बुद्धि उत्कर्ष बहुतसे लेख प्रकाशित हुए हैं । एवं एक स्वतंत्र को प्राप्त हुई आदि कई श्रान्त बातें लिखी हैं । लेख भी आपके द्वारा लिखित अवलोकनमें आया ३० रमेश्चन्द्र मजुमदार, वाइस चान्सलर दाका है। १ जैन पुरष काहिमी-प्र० साहित्य परिषद् यूनिवर्सिटी पत्रिका भा.७ पृ०७०
झापका लेन है 'बौद्ध ओ जैनसाहित्ये कृष्णाचरित्र' २५ विभूति भूषणदत्तः-श्राप गणित शास्त्रके प्र० "पंच पुष्प" पत्रिका भाद्र १३३८ . विशेषज्ञ हैं आपने लेख ये हैं
३१ कालीपद मित्र,प्रिन्सिपल डी०जी०कालेज मुंगेर१ जैन साहित्योनाम संख्या-प्र० बंगीय साहित्य आप जैन साहित्यसे बहुत प्रेम रखते हैं, अपने परिषद् पत्रिका मा० ३७ पृ. २८ से ३६ अध्ययनके सुफलसे समय समय पर जैन-सम्बन्धी । ? Mathematics of Nemichandra लेख भी लिखा करते हैं । आपके प्रकाशित लेखोंम-जैन सि० भा० भा० २ कि०२
की नामावली इस प्रकार है:३ A lost Jaina Treatise on Arith- १ Teachers and disciples --प्र० मोडर्न
matic-प्र. जैन सि० भा०२, कि०३ रिव्यू १६३७ नवम्बर २६ सुकुमार रंजनदास M.A., PH. D.
Magic and Miracle in Jaina The Jaina calendar आपने लिरवा है literature प्र० इण्डियन हिस्टोरिकल प्र. जै० सि० भा० भा०४ कि०२
क्वारटरली २७ प्रमोदलाल पाल–आफ्का लेख है
३ The Previous Births of SejjansJainism in Bengal-प्र.इडियन कलचर प्र० भास्कर भा० ४ पृ० ४५ (Vol III) पृ० ५२४
x Knowledge and Conduct in २८ ईस्वरचन्द्र शास्त्री
jain Scripture-प्र० जैन सिद्धान्तभास्कर (पलाः--नं० १ मार्कस स्क्वायर कलकत्ता)
भा०४, कि.० ३ १ नीतिवाक्यामत-दि० सोमदेव सरि रचित ५Note on Devanuppiya-प्र. जैन प्रस्तुन्न नीति अन्थ पर आपने संस्कृत एवं बंगलामें सिद्धान्तभास्कर भा०.५ कि० ३ टीका लिखी है, जो कि छापकाशित है। ३२ यदुनाथसिंह, प्र० मीराट कालेज, पंजाब२ जैनतत्वसारसंग्रह-प्रसारासे प्रकाशित
अापके निवल ये हैं२९ मसिलालसय–पता-प्रवर्तक संघ, चंदननगर) 1. Indian Psychology Perception १ महावीर--आपके "युमगुरु" अंथके म०१० से (By Jadunath Singh) Published
१६ में सचित्र भगवान् महावीरका सरिचय by Kegan Paul, Trenich Trub