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वर्ष ३, किरण २]
बंगीय विद्वानोंकी जैन-साहित्यमें प्रगति
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अालोचन किया था। उसका हिन्दी अनुवाद कई १८ शिवचंद्र शील- .. वर्ष पूर्व "जैनहितैषी' पत्रमें लगातार कई अंकोंमें आपके निबन्धका नामादिक इस प्रकार हैप्रकाशित हुआ था। इण्डियन रिसर्च सोसायटी १ दीपावली श्रो भ्रातृद्वितीया पर्व-प्र० साहित्य द्वारा सन् १६०६ में आपके द्वारा सम्पादित एवं परिषद पत्रिका भा० १४ पृ० ५१ अंग्रेजीमें अनुवादित 'न्यायावतार' मूल-वृत्ति सह १८ रामदास सेन M. R.A.S.प्रकाशित हुआ था। इसके अतिरिक्त महो० यशो- आपके दो निबंध हैंविजयजी गणीके सम्बंधमें आपका एक लेख भी १ जैनधर्म-प्र० “ऐतिहासिक रहस्य" पत्रिका प्रकाशित हुअा था। जैन-सम्बंधी अापके लिखित २ जैनमत-समालोचना-, भा० ३ पृ० २१७
लेखोंके नाम व प्रकाशनका पता इस प्रकार है:- २० सम्पादक “उद्बोधन"-आपके द्वारा लिखित 1. Maharaja Manika Lekha
निबंधका नाम 'जैनसम्प्रदाय' है-जो "उद्बोधन" 2. Yasovijaya gani (About 1608 1688 भा० १४ पृ० ७६२ भा० १५ पृ० १०५ पर - A. D.) प्र० एसोटिक सोसायटी वंगाल जनरल मुद्रित हुआ है । - N.3 VI
२१ उपेन्द्रनाथ दत्त-आपके द्वारा लिखित तथा अनु3. The Sarak Caste of India identi- वादित निबंधोंकी सूची इस प्रकार हैfied with the Serike of Central
१ जैनधर्म Asia-proceedings, A. S. B. 1903. २ जैनधर्म (मू० लोकमान्य तिलक) अनुवाद 4. Pariksamukha Sutra-Bib. Ind. ३ जैनतत्वज्ञानश्रो चारित्र -अनुवाद 5. TattvarthadhigamaSutra- Bib.Ind. ४ जैनसिद्धांत दिग्दर्शन -अनुवाद 6. History of Indian Logic ग्रंथमें Jain ५ जैनसामयिक पाठ स्तोत्र-भावानुवादित ___Logic Page 157-224
६ जिनेन्द्र-मत-दर्पण -अनुवादित 7. न्यायवतार, मूल-वृत्ति इंगलिश अनुवा० सहित- ७ सार्वधर्म -अनुवादित प्र० इण्डियन रिसर्च सोसायटी सन् १९०६
ये सभी ट्रैक्ट बंगीय सर्वधर्म परिषद काशीसे प्रका१७ स्व० कृष्णचन्द्र घोष “वेदान्तचिन्तामणि" शित हुए हैं । विशेष जाननेके लिये देखें मेरा "बंगला __१ बाबू पूर्णचंद्रजी नाहर लिखित An Epitom भाषामें जैन साहित्य" शीर्षक लेख, जो कि ओसवाल
___of jainism के सहयोगी प्रणेता। नवयुवक वर्ष ८ अंक १० में प्रकाशित हो चुका है। १७ स्व० हरिहर शास्त्री
. २२ ललितमोहन मुखोपाध्याय-आपने 'जैन इतिआपके लिखित दो लेखोंका पता चला है- ___हास समिति' का अनुवाद किया है। १ जैनपुराणे वर्णित कृष्णचरित्र
२३ हरिचरनमित्र-आपके द्वारा अनुवादित "श्रावक २ जैनन्याय-बंगीय साहित्य परिषदके १४वें दिगेर श्राचार"नामक ट्रैक्ट प्राचीन श्रावकोद्धारिणी ...... अधिवेशनमें पठित
सभा कलकत्तासे प्रकाशित हुआ था ।