Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
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कापुरुष कहीइ ते को देवतणाइ जे सीस, पाडीनई छई सीरहइ, कायरमांहि ते ईस, मानी... हवणा भोगवतउ नथी, जो ए परतख भोग, पंचविषयपरिघल त्यजी, लिउ छउं त्रिकरण योग, मानी... ४ आगति भोगकरम मुहई, हवई स्युं करसि तेह, पंचमहाव्रत उच्चरइ, एम कही गुणगेह, मानी... उग्रविहारइ विहरतो, आर्द्रकुमार अणगार, नयर वसंतपुर बाहिरइ, देउलमां सुविचार, मानी... आवी काउसगइं रहिउं, जाणी निरवद्य ठाम, पूरवभवनी भारया, बंधूमती इण नाम, मानी... देवलोकथी ते चवी, नयर वसंतपुरमाहिं, इभ्यशेठनी नंदनी, थई छे धनवती त्यांहि, मानी... लेई साथ सहेलडी, दिन प्रति देवल सोय, रमवा आवइ छइ रुली, सुरवचन अफल न होय, मानी... ९ ढाल केदारई आठमी, ए कही अमृतरूप, न्यानसागर कहीं सांभलउ, भवियण भावी स्वरूप, मानी... १०
चारित्रमा चेतवणी अनार्यदेशमांथी आर्यदेशमां आवेला, संसारनो त्याग करवानी उत्कंठावाळा, जातिस्मरण ज्ञानथी पूर्वभवने निहाळता आर्द्रकुमारे मन एकाग्र करी, चढता शुभ परिणामपूर्वक स्वयं ज पंचमुष्टी लोच करी यतिलिंग ग्रहण कर्यु.
तेटलामां आकाशथी देववाणी उत्पन्न थई के “हे महासत्वशाळी ! आर्द्रकुमार ! तुं दीक्षा ग्रहण करीश नहि, केमके तारे भोग्यकर्मअवशेष छे, ते भोगवीले अने भोगावली कर्म भोगव्या पछी योग्य समये दीक्षा ग्रहण करजे. केमके भोग्यकर्म तीर्थंकरोने पण अवश्य भोगवq पडे छे. माटे तारे हाल व्रत लेवानी जरूर नथी.”
जेम कोई खडग् वडे दोरडाने कापी नाखवानी ईच्छा करे तेम तपवडे भोगावलीकर्मने छेदी नाखवानी ईच्छा करतां साहसिक आर्द्रकुमारे ते दैवीवाणीने
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