Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
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आस्था क्यांथी होय ?" पछी हाथी आकडाना थंभना बंधनने जेम तोडी नाखे तेम दिव्यवाणीथी चकित थयेला ते मुनि बालाने छोडावी नांखीने त्यांथी वेगे करी नासी गया.
जेनो कोई स्वामी नथी एवा धननो स्वामी राजा होय छे. एवी नीतिनो जाण राजा नगरवासी लोको सहित त्यां आवीने ते धनने लेवानी ईच्छा करवा लाग्यो. राजपुरुषो राजानी आज्ञाथी ज्यारे ते द्रव्य लेवा देवालयमां आव्या, त्यारे देवीए तिरस्कारपूर्वक कह्यु के, “हे भूप ! तुं शुं ईच्छा करे छे ? में आ धन धनवतीने वरवाना उत्सवमां आप्यु छे माटे कन्यानो पिता देवदत्त ए धनने ग्रहण करो. बीजा कोईपण नहीं.” ते सांभळी राजा विलखो थईने पाछो गयो एटले देवदत्त शेठे ते सघलुं धन ग्रहण कर्यु. पछी धनथी परिपूर्ण थयेल देवदत्त शेठ अने कौतुकथी आश्चर्य पामेला सर्व महाजन पोतपोताने घेर गया. अहो ! कोई ठेकाणे कन्या पण फल आपनारी थाय छे. आ भवमां मारो आ ज पति थशे एम प्रतिज्ञा करी धनवती पोताना स्थानके गई. निरुपम नवमी ढाळमां न्यानसागरे जे कयुं ते हे श्रोताजनो ! तमे एकाग्रचित्ते सांभलो.
दूहा मागा मोटा दामथी, दिन प्रति रुडइ साज, वड वड व्यवहारी तणा, आवइ धनवती काज... १ तव पूछइ तातनइं, आवइ ए किण काम, तनुजा तुझ वरवा भणी, कहावई ठामोठाम... २ सा कहि तात सुणो तुम्हे, मत जोज्यो वर कोय देउलि जे देवे कह्यो, इण भवि भरतार सोय... ३ सागवन लीजी सहि, जो पति न मलइ तेह, सपरि शील सोहावइ, राखीजि जग रेह... ४
ढाल-१० देशी-थारा मोहलामांथी मेह झरुखि वीजली हो लाल... सुणि पुत्री कहे तात, तेह तो छई यती हो लाल, तेह. हठ त्यजी मउकिं ए वात, केम वरसि व्रती हो लाल, केम..
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