Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
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» श्री दशवैकालिक सूत्रम्
एक ही पुस्तक में तीन टीका एक साथ में दी हुई है। कर्ता- श्रुतकेवली श्री शय्यम्भवसूरिजी टीकाकार- आ. तिलकाचार्यजी, आ. सुमतिसाधुसूरिजी, आ. समयसुंदरगणि संपादन- श्री तत्त्वप्रभविजयजी म.सा. प्रकाशक- श्री जिनप्रभसूरि ग्रंथमाळा प्राप्तिस्थान- रसिकभाई एम. शाह -८, धवलगिरि फ्लेट, खानपुर बाई सेन्टर, अमदावाद. पिंडनियुक्ति- अद्याविध अप्रगट श्री वीरगणि की वृत्ति की हस्तप्रत परसे संशोधित करके संस्कृत में संपादित। कर्ता- श्री भद्रबाहुस्वामीजी टीकाकार- श्री वीरगणिकृत विवृत्ति संपादन- पू. आ. श्री जयसुंदरसूरिजी के शिष्य
प्रकाशक- दिव्यदर्शन ट्रस्ट- ३९, कलिकुंड सोसायटी, धोळका, जी.-अमदावाद. → महावीरचरियम्-भगवान महावीरस्वामी के २७ भवों का और अंतिम २७ वे भव की
ऐतिहासिक प्रसंग, उस समयकी राजकीय, धार्मिक परिस्थिति का काव्यात्मक ढंग से रोचक वर्णन प्राकृत भाषा में संस्कृत छाया व गुजराती भाषांतर से पांच भाग में प्रकाशित कर्ता- श्री गुणचन्द्र गणी संस्कृत छायाकार- मुनि निर्मलयशविजयजी प्रकाशक- दिव्यदर्शन ट्रस्ट प्राप्तिस्थान- शिरिषभाई संघवी ७०२, राधाकृष्ण, रामचंद्र लेन, मलाड (वेस्ट), मुंबई. स्तोत्रग्रंथसमुच्चय-२० शताब्दि में पू. नेमीसूरिजी एवं विद्वान मुनिवर्यों द्वारा बनाये हुए स्तोत्रों को संकलन करके पुनः प्रकाशित किया है। स्तुतिकल्पलता- प्रवर्तक श्री यशोविजयजी नूतनस्तोत्रसंग्रह- पं. श्री प्रतापविजयजी स्तोत्रभानुः- श्री विजयनन्दनसूरिजी स्तोत्रचिन्तामणिः- श्री विजयपद्मसूरिजी प्राकृतस्तोत्रप्रकाशसंकलन-संपादन- पू. आ. शीलचन्द्रसूरिजी के शिष्य श्री त्रैलोकमन्डनविजयजी म.सा. प्रकाशक- जैन ग्रन्थ प्रकाशन समिति प्राप्तिस्थान- नेमिसूरिजी स्वाध्याय मंदिर, १२ भगतबाग सोसायटी, पालडी, अमदावाद.
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