Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
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» श्री सङ्घपट्टक
पूर्वकाल में जैन शासन में प्रचलित चैत्यवासी परंपरा के खंडन करके निग्रंथ परंपरा को सुदृढ़ करनेवाला उत्तम ग्रंथ और उसकी बृहद्वृत्ति, लघुवृत्ति व अवचूरी संस्कृत में प्रकाशित की गई है। कर्ता- आ. जिनवल्लभसरिजी बृहवृत्ति- आ. जिनपतिसूरिकृत अवचूरि- साधुकीर्तिगणि टीका- लक्ष्मीसेनरचित लघुवृत्ति- हर्षराज उपाध्याय संपादक- पं. प्रवर श्री पुण्यकीर्तिविजयजी म.सा. के शिष्य श्री संयमकीर्तिविजयजी म.सा. प्रकाशक- श्री सम्यग्ज्ञान प्रचारक समिति
प्राप्तिस्थान- बीजल गांधी- ४०१, ओसन्स, नेस्ट होटल सामने, सी.जी.रोड, अमदावाद. > श्री चक्षुरप्राप्यकारितावाद
पू. उपाध्यायजी म.सा. की अलभ्य और अप्रगट हस्तप्रत परसे स्वोपज्ञ टीका को संशोधित कर्ता- उपा. श्री यशोविजयजी म.सा. स्वोपज्ञ टीका संपादक- पू. गच्छाधिपति आ. श्री पुण्यपालसूरिजी प्रकाशक- पार्श्व अभ्युदय प्रकाशन
प्राप्तिस्थान- रमेशभाई एन. जैन- बी-३१-३३, घनश्याम एवन्यु, इन्कमटेक्ष, अमदावाद. > ललितविस्तरा भाग-१, २, ३
सटीक-गुजराती अनुवाद के साथ शब्दशः विवेचन कर्ता- सूरिपुरंदर आ. श्री हरिभद्रसूरिजी टीकाकार- आ. श्री मुनिचन्द्रसूरिजी विरचित पंजिका विवेचक- पंडितवर्य श्री प्रवीणचंद्र खीमजी मोता प्रकाशक- गीतार्थगंगा प्राप्तिस्थान-७, जैन मर्चन्ट सोसायटी, पालडी अमदावाद. श्रीचन्द्र केवली रास (सचित्र) कर्ता- श्री ज्ञानविमलसूरिजी अनुवादक- पंडितवर्य श्री कपुरचंद रणछोडभाई वारैया प्रकाशक- भद्रंकर प्रकाशन प्राप्तिस्थान- फकीरचंद एम. शाह ४९-१, महालक्ष्मी सोसायटी, शाहीबाग, अमदावाद.
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