Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad

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Page 99
________________ उपसंहार केवल साधुना गुणोथी ज आश्रय करायेला होवाथी उत्पन्न थयेला केवलज्ञानवाला ते आर्द्रकुमार मुनीश्वर पोतानो अंतिम समय जाणी अणसण ग्रहण करी शाश्वता सुख समान निर्वाणपदने पाम्या माटे हे भव्यजीवो ! तमारे उत्तम पुरुषोनी साथे मैत्री करवी. वीतराग, अरिहंत परमात्मा जणावे छे के भावशल्य राखवानां कडवां फळ भोगववां पडे छे. माटे निरतिचार व्रत पालन करो अने संयममां स्थिर बनवुं. दश दृष्टांतथी दुर्लभ, सुरतरू थी अधिक, पंचमगतिने आपनार एवा मनुष्यभवनुं फल प्राप्त करवुं जोईए. आत्यंतिक सुख, अव्याबाध सुख अजरामर पदनी प्राप्ति करावनार जिनप्रतिमाना दर्शनथी आर्द्रऋषि प्रतिबोध पाम्या. हृदयने द्रावित करनार, रोमांचक एवा आर्द्रकुमारनुं चरित्र श्री सूत्रकृतांग आगमनी वृत्तिमांथी तेमज अंचलगच्छाधिराज श्री जयशेखरसूरिकृत “उपदेश चिंतामणी” नामना ग्रंथना आधारे वर्णन करेलुं छे. गाथाबंध आर्द्रकुमार चरित्रमां पण एनो अधिकार छे. त्रणेय ग्रंथमांथी नक्की करीने आ रास रचायो छे. ग्रंथकार अंतमां रास रचती वखते कांई पण अधिक ओछ्रं कहेवायुं होय तो संघनी साक्षीए ते सर्वनुं मिच्छा मि दुक्कडं आपे छे. प्रस्तुत रास ४५१ ग्रंथाग्रवालो छे. आवा उत्तम ऋषि आर्द्रकुमारना गुण गातां सकल मनोरथ सिद्ध थाय छे. ग्रंथना अंते प्रशस्ति करतां ग्रंथकार पोतानी गुरुपरंपरा बतावे छे. श्री अंचलगच्छना गच्छनायक, ब्रह्मचारीओमां चूडामणि समान, अभिनव जंबूकुमारनी जेम शोभता गुणोनी खाण समान श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म. सा. नी पाटे थयेला श्री क्षमारत्नसूरि गच्छमां सूर्य समान शोभे छे. तेमनी पाटे थयेला श्री गजसागरसूरिना शिष्य उपाध्याय श्री ललितसागर अने तेमना प्रथम शिष्य मुनिवर्य श्री माणेकसागर छे. ते गुरुनी कृपाथी आर्द्रऋषिनुं चरित्र वर्णन कर्यु. विक्रम संवत १७२७ मां चैत्र सुद तेरस, शनिवारना दिवसे, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रमां, ध्वजयोगमां धवलधिंगड श्री गोडीजी पार्श्वनाथ दादानी सांनिध्यमां, लघुवटपद्र गाममां श्री न्यानसागरे आ रासनी रचना करी. ॥ श्री आर्द्रकुमार रास संपूर्ण ॥ 97

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