Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ आर्द्रमुनिए तांतणा संबंधी कथा शरूआतथी कही संभळावी खरेखर, सीत्तेर कोडाकोडीनी स्थितिवाळु मोहनीयकर्म तोडवू खूब अघरं छे. आ प्रमाणे मुनिनो वृत्तांत सांभळी, राजा अने मंत्रीए तेमनी भावपूर्वक स्तवना करी. पछी आर्द्रकुमार मुनिए अभयकुमारने कह्यु के-हे मित्र ! ए तमारो प्रभाव छे, जे हुं अनार्यदेशमां जन्म पाम्यो छतां पण राजाओथी वंदन कराउं छं. जो चंद्रने विशे चकोर पक्षीनी पेठे में तमारे विशे सुहृदयपणुं न धारण कयुं होत तो आ चारित्ररूप चंद्रिकानुं पान शी रीते पामत ? हुं तमारा उपकारनो बदलो वालनार क्यारे पण नहिं थाउ ! तेथी एटलुं कहुं छु के-तुं आवी रीते ज निरंतर सम्यक्त्वने दीपावजे. पछी ते मुनिनी दीक्षानी भावनाथी पवित्र मनवालो राजा श्रेणिक ते आर्द्रमुनिने सारी रीते वंदना करीने अभयकुमार सहित राजगृही तरफ गया. हवे आर्द्रऋषि पोतानो शिष्यपरिवार लई वीरप्रभुने वंदन करवा नीकळ्या. ते मुनि प्रभुना चरणोमां नमस्कार करी विनंती करे छे-हे प्रभु ! हुं तारो अपराधी छु. महाव्रत ने ग्रहण कर्या पछी तेनुं खंडन करी गृहस्थावास स्वीकारवो पड्यो. हे प्रभु ! आप दुःखभंजक त्रिभुवनतारक, दीनदयाळ छो तेथी हुं आपना शरणे आव्यो छु. रक्षण करो, रक्षण करो... श्री वीरजिनेश्वरनी पासे सर्वेए विधिवत् दीक्षा ग्रहण करी. परिवारसहित पृथ्वीतल पर उल्लासपूर्वक विहार करे छे. मुनिभगवंत तप, जप, क्रिया करतां अनुक्रमे गुणस्थानक चढवा लाग्या अने घातीकर्मोनो क्षय करी अनुक्रमे उत्तम एवा केवलज्ञानने प्राप्त कर्यु. देवताओ आवी केवलज्ञाननो ओच्छव करे छे, नवा नवा सुवर्णकमल रची तेना पर बेसाडी देशना संभळावे छे. आ प्रमाणे सारंगरागमां श्री न्यानसागर मुनिए आर्द्रकुमार अणगारने भावथी त्रिकाल वंदन कर्या. दूहा अंत समय अणसण ग्रही, करी सैलेसी जाण, आर्द्रऋषि सुख सासतां, पाम्या पद निरवाण... १ ढाल-१९ (राग-धन्यासी) देशी-दीठो दीठो रे वामा को नंदन दीठो... भावशल्य राख्यानां भवियण, ईम कूडा फल जाणी, निरतिचारपणई व्रत पालउ, श्री जिनवचन प्रमाणी रे... 95

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132