Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
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जउ बालकि सूत्रने तांतणे, करी बांधिया जे मुझ पाय, ते नेहपास महाबलि करी, छोडिउ दुष्कर महाराय, छई... भंभसारराजा सुणी, सघळउ ऋषिनउं संबंध, कहि धन्य तुमे मुनिराजजी, मनथी मूकिउं प्रतिबंध, छई..... महीपतिनइं मंत्री बिहुई, वांदीनई निज पुरि जाय, आर्द्रकऋषि परिवारस्युं, जई वंदई वीरना पाय, सोभागी नृप सेहरो.. वांदीनई इम वीनवईं, सुणि जगगुरु एक अरदास , सो. छउ अपराधी ताहरउ, व्रत खंडी हिउ घरवास, सोभागी... तुं तारक त्रिभुवनधणी, दुःखभंजक देवदयाल, सो. छोडावई पातिक थकी, प्रभु शरणागत प्रतिपाल, सो... मारगमांहे आवतां, देई उपदेश जे लोक, सो. राजकुमार आदि बहु, समजाव्या थोकथोक, सोभागी... दीक्षा सहु साथि फरी, ग्रही वीरजिणेसर पास, सो. तिण परिवारइं परवर्या, भूतलि विचरई उल्लास, सो... जीव घणानइं बूझवई, आपई शुद्ध समकित दान, सो. तपजपकीरियाई करी, चडीउं चडतइं गुणथान, सोभागी... करम खपी केवल लहिउँ, करई केवलओच्छव देव, सो. कनक कमल बइंसारिनइं, सारइंजी सुरनर सेव, सो... राग सारिंग अढारमी, कही न्यानसागरि ए ढाल, सो. आर्द्रकुमार अणगारनइं, भवि वंदिउ वार त्रिकाल, ओ...
प्रभुमिलन भक्तिथी वंदना करता राजाने मुनिए धर्मलाभरूप आशीषथी प्रतिलाभित कर्या. पछी राजाए आश्चर्यसहित कह्यु के-तमे हाथीनी मजबुत सांकल तोडी नाखी. तमे धन्य छो ! कृतपुण्य छो ! पछी थोडा हास्यने लीधे मनोहर मुखवाला आर्द्रकुमार मुनिए राजा श्रेणिकने कह्यु के-हे नृप ! बीजा बंधथी मुकावं ते मने दुष्कर नथी लागतुं, कारणके मदोन्मत्त हाथीने वनमां पण बंधन थाय छे, परंतु रेंटीयाथी उकलेला स्तरना तांतणाना बंधनथी मुकावं ते मने घणुं दुष्कर लागे छे. राजाए अतिकौतुकथी पूछयु केहे मुनि ! प्रसाद करी ते नेहपासनो मोक्ष केवी रीते दुष्कर छे ते कहो.
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