Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
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श्री मृगध्वजकेवलीरास
ढाळ - १
पणमवि सिरि गोयम गणहर मणहर राय, हउ गाइसु गुरुआ मृगध्वज मुनिवरराय श्रावस्ती नयरी अमरापुरी समाण, जिहां राज करई जितशत्रु नरेसर जाण...... तउरे जाण शीरोमणी शीलतणइ गुणी सती शील समाणी शशीवरणी मृगनयणी सुंदरी कीर्तिमती तसु राणी,
तिणि जायउ कुमर सोभागी सुंदर कलातणइ भंडार, विनय-विवेक विचार विचक्षण मृगध्वजनामि कुमार...... तिणि नयरी वसई श्रेष्ठि कामदेव उदार,
धनवंतपणइ दिइ भूपति मान अपार,
इक दिवस विशेषई जोवा गोकुल ठाम, तिहा दंडक गोपति आवी मिलियउ ताम...
तउरे आवी मिलियउ गोपति जंपइ, स्वामी नयणि निहालउ, ए गोवृंद चरइ ए महिषी, टोला तुम्हे संभालउ,
जता महिष एक तिहां दीठउ, कातर पणइ निहालई, धूजइ खीजई वली विशेषइ, आखिइ आसू ढालइ...
तिणि अवसरि दंडक तेडइ महिष तुरंत, तु आव न अम्ह तुम्ह सामी ए बलवंत ततखिण ते आवी हरखिइ करइ प्रणाम, जिह्वा काढीनइ ऊभउ रहिउ ताम... तउरे निश्चल ठामि रहिउ, ते देखी कारण पूछइ सेठि गोप भइ सुणी सामी एह बीहइ तुम्हची देठी,
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