Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
View full book text ________________
सगपण धर्मतणउ खरउ रे, बीजउ सहुयइ आल, हीयइ विमासी जोवता रे, दीसइ मायाजाल... १५ कुमरजी... इणि भव फल हिंसा तणउ रे, परतखि दीठउ एह, परभवि जे फल पाइये रे, तेह न लभइ छेह... १६ कुमरजी... हिंसा दुरगति बारणउ रे, हिंसा दुःखनी खाणी जीव अनंता भव रुलई रे, हिंसा तणइ प्रमाणी... १७ कुमरजी... श्री नमिनाथ मुखिइ सुणी रे, नरक तणी दुःख कोडी, मंत्री विस्तरि ते कहइ रे, कुमर सुणइ करजोडी... १८ कुमरजी... चिहुगतिना दुःख सांभली रे, आणिउ चित्त सुठामि, जातिस्मरण उपनउ रे, शुभलेश्या परिणामि... १९ कुमरजी... ततखिण मुहतउ कुमरनइ रे, निजमंदिर ले जाइ, साध वेष आपइ तिहा रे, मनमाइ हरख न माइ... २० कुमरजी... महिष दुःखी जाणी तिहां रे, महतउ आवइ वेगि, दशविध आराधन भली रे, संभलावइ संवेग... २१ कुमरजी... मनशुध्धि अणसण उचरइ रे, पालइ दिवस अढार लोहिताख्य नामिइं हुओ रे, बलवंत असुरकुमार... २२ कुमरजी
अर्थ- मंत्री-सुभटो राजसेवको सहु कुमारने पगे पडीने समजावे छे के आ महिषना वधथी राजानी आज्ञानो लोप थशे तेमज जीवहिंसाना कटुफळ परभवमां भोगववा पडशे. माटे हे कुमार आप कोप न करो. शांत थाओ. शांत चित्ते विचारी आ अकार्यथी अटको. समजाववा छता पण कुमार सहुने अवगणीने खड्ग लई महिष तरफ दोडे छे अने जोरथी पगमा प्रहार करे छे. महिषनो पग भांगी पडे छे अने ते नीचे पडी जाय छे. सर्वत्र हाहाकार फेलाई जाय छे. सहु कुमारने धिक्कारे छे. महिष पण मनमां संताप करे छे परंतु जातिस्मरण थयेल होवाथी आत्माने समाधिमां राखी शके छे.
110
Loading... Page Navigation 1 ... 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132