Book Title: Aho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Author(s): Babulal S Shah
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad

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Page 86
________________ एक नर दूजी नायका, सु. तीसरी सरिता देखि, सु. चोथी परंजन पांचमी, सु. सब वनराजी पेखि सु... पांचो कुं यौवन गई, सु. बहुरिम गावि हे पंच सु. नर को धनपति नारी को, सु. इन में नहीं खलपंच सु.... सरिता कौ वरसा कहु, सु. परजा को नृपनाई, सु. ऋतु वसंत धनरायको, सु. आने यौवन ठाई सु... तिनि अवधारो विनती, सु. जब चजौथी वय होय सु. तब दीक्षा व्रत लेवज्यो, सु. रामाईयों कहे रोय सु... नेहबाण पति उपरइं, सु. छोरि नौ नौ भाति, सु. न्यानसागरई कही चौदमी, सु. ढाल धूमालि की जाति, सु... ९ धनवतीनी व्यथा पूर्वभवनी भार्या एवी ते धनवतीनी साथे भोग भोगवता तेमने अवसरे गृहस्थाश्रमरूप वृक्षना फलरूप पुत्ररत्ननी प्राप्ति थई. ए बाळक सौभाग्यथी शोभतो देवकुमार जेवो लागतो हतो. रूप अनुपम हतुं. अनुक्रमे काळ पसार थतां ते बाळक आठ वर्षनो थयो त्यारे पोतानो उद्धार करवानी ईच्छावाला आर्द्रकुमारे धनवतीने कह्यु के-हे प्रिये ! तुं पुत्रवाळी थई छे. माटे मने मूके अने रजा आपे तो हुं फरीथी व्रतने आदरं. आ पुत्र तने सहायरूप थशे. माटे हुं उत्कृष्ट चारित्रधर्मनी आराधना करी कर्मोनी निर्जरा करी शकुं. पतिना आ प्रकारना वचन सांभळती धनवती शोकथी आंसुयुक्त नेत्रवाली, गद्गद्स्वरे रूदन करती, वलखा मारती कहेवा लागी के-“अरे रे ! हवे अमारी संभाळ कोण करशे ? तमारा विना मारे माटे आखं जगत शून्य छे. महेल, बंगला, बाग, बगीचा बधुं ज कंत विना जंगल समान छे. ज्यां सुधी माता-पिता पुत्र के पतिनो सहारो होय त्यां सुधी सुरक्षा होय छे. अबला स्त्रीने एक क्षण पण पतिनो विरह सहन करवो शक्य नथी." कवि कहे छे-नर, नायिका, नदी, मेघ, वनराजी आ पांचने निरखतां युवानी खीले छे. पुरुषोने धनपति थवानी ईच्छा होय छे, ज्यारे नारीने आवा कोई प्रपंचनी अपेक्षा नथी. नदीने वर्षानी अपेक्षा होय छे. प्रजाने राजानी अपेक्षा होय छे. वसंतऋतु वनराजाने 84

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