Book Title: Agam Shabdadi Sangraha (Prakrit, Sanskrit, Gujarati) Part 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 307
________________ आगम शब्दादि संग्रह उद्ध्य. त्रि० [उद्भूत यो ‘उद्धृतः उद्धर. विशे० [उद्धर ઊંચું, પ્રબળ उद्धव्वमाण. त्रि० [उद्भूयमान] વિંઝાતુ उन्नअ. त्रि०/उन्नत ઉન્નત, માન કશાયનો પર્યાય उन्नइय. त्रि० [उन्नतिक ઉન્નતિવાળુ उन्नदिज्जमाण. कृ० [उन्नन्द्यमान] બોલાવેલ, આહ્વાન કરેલ उन्नत. विशे० [उन्नत માન કષાયનો પર્યાય, ઉન્નત उन्नतावत्त. पु० [उन्नतावती ઊંચે ચડતો આવર્ત, વંટોળીયો उन्नम. धा० उत्+नम् ઊંચું હોવું, ઉન્નત હોવું उन्नमणी. स्त्री० /उन्नमनी અનુજ્ઞાનો પર્યાય उन्नमित्ता. कृ० [उन्नम्य] | ઊંચા થઈને, ઉન્નત થઈને उन्नमिय. त्रि० [उन्नम्य જુઓ ઉપર’ उन्नय. विशे० [उन्नत यो ‘उन्नय उन्नयतर. त्रि० [उन्नततर વધુ અભિમાનયુક્ત उन्नयमाण. कृ० [उन्नतमान] ઊંચુ હોવું તે उन्नयासण. न० [उन्नतासन ઊંચુ આસન उन्नाम. पु०/उन्नाम] માનકષાયનો પર્યાય उन्नामियय. त्रि० [उन्नामितक અમુક નામથી પ્રસિદ્ધ થયેલ उन्नाय. पु० [उन्नाक એક ગામ વિશેષ उन्निक्ख. धा० उत्+नि+क्षिप्] ઉખેડવું, દીક્ષાનો ત્યાગ કરવો उन्निक्खेयव्व. त्रि० [उन्निक्षेप्तव्य] ઉખેડવા યોગ્ય, દીક્ષા છોડવા યોગ્ય उपगच्छ. धा०/उप+गम् પ્રાપ્ત થવું उपगिज्झ. धा० [उप+गृध] આસક્તિ થવી उपचयंकर. पु० [उपचयङ्कर] ઉપચયકર્તા उपचार. पु० [उपचार] ઈલાજ, ઉપચાર उपज्ज. त्रि० उत्पद्य] ઉત્પન્ન થવું તે उपप्पुय. त्रि० [उपलुप्त ભીનું થયેલ, પલળી ગયેલ उपरिम. अ० [उपरितन] ઉપરનું उपरिल्ल. अ०/उपरितन] ઉપરનું उपलब्भ. धा० [उप+लभ ઉપાલંભ આપવો, ઠપકો આપવો उपलभ. धा० [उप+लभ सो 64२' उपविट्ठ. त्रि० [उपविष्ट બેસેલ उपसंत. पु० [उपशान्त ઉપશાંત उपायाण. न० [उपादान ઉપાદાન उपालद्ध. त्रि०/उपालब्ध] ઠપકો અપાયેલ उपासग. पु०/उपासक ઉપાશક मुनि दीपरत्नसागरजी रचित "आगम शब्दादि संग्रह" (प्राकृत-संस्कृत-गुजराती)-1 Page 307

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