Book Title: Agam Nimbandhmala Part 03 Author(s): Tilokchand Jain Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti View full book textPage 6
________________ आगम निबंधमाला // // // // // 'सडे हुए एपल में भी बीज अच्छा ही होता है / ' सभी ने है नूतन सत्य का साक्षात्कार किया / वर्तमान में बिजनेस प्रणाली, शिक्षा प्रणाली, जीवन प्रणाली सब कुछ बिगड गया है ऐसे निराशाजनक वातावरण में जो आशा की किरण मौजूद है वह हैबिना बिगडे बीज ।अर्थात् ये नन्हे मासुम बच्चे, खुशमिजाज किशोर आदि / ये वे बीज हैं जिनका सुंदर रीति से रक्षण, प्रीति से पोषण व नीति के धन से सिंचन करके सुसंस्कारी समाज की फसल उगाई जा सकती है। इसी आशा और विश्वास के साथ विगत 13 वर्ष से ॐ श्री वीर संघ संस्कारशिविर, संस्कारसाहित्य, स्वधर्मी वात्सल्य व जीवदया के कार्यों में सेवा-समर्पणा के साथ म सक्रिय है। म अब तक 17 बृहद् संस्कार शिविरों का आयोजन, म विविध संस्कार साहित्य का प्रकाशन व शताधिक के विद्यार्थीयों को छात्रवृत्ति द्वारा प्रोत्साहन का कार्य श्री वीरसंघ ने संपादित किया है। . __ वीरसंघ को सशक्त बनाने में श्री राकेशजी चक्रेशजी म जैन(प्रेम परिवार), श्री उम्मेदमलजी गांधी व श्री म अरविंदजी बाफणा का विशेष योगदान है ।जो सहर्ष ॐ बधाई के पात्र हैं। भवदीय विजय पटवा ॐ ॥इसपुस्तकके प्रकाशनसहयोगहेतु श्रीवीरसंघकाहार्दिकआभारतथा म परोक्षप्रेरक अनुमोदक सभी का अभिनंदन॥ .. *55554545454545555454545554545454554455 ___ दPage Navigation
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