Book Title: Agam Nimbandhmala Part 03 Author(s): Tilokchand Jain Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti View full book textPage 5
________________ आगम निबंधमाला सौजन्य दाता श्री वीर संघ...........विरल ! __ संप्रदाय दीपक है, तो धर्म ज्योति है,.....दीपक तले म अंधेरा है, तो ज्योति के सभी ओर उजाला है, यह एक म सच्चाई है। ___ ज्योति का आधार दीपक है......दीपक का मूल्य ज्योति में से है, यह दूसरी सच्चाई है। है इस सत्य का साक्षात्कार किया था, श्रीमद् जवाहराचार्य ॐ ने, जवाहराचार्य का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति किसी म भी गुरु के या किसी भी सम्प्रदाय के निमित्त से व्यसनमुक्त म व धर्मयुक्त बना रहना चाहिये / जवाहराचार्य की उदार भावना के अनुसार एक ऐसा संगठन निर्मित हुआ है, जिसमें सभी पंथ और सभी संत ' का समादर है / इस असांप्रदायिक संगठन का नाम श्री म वीर संघ है....... प्रख्यात चिंतक 'सोलम' ने पूछा- इस सडे एपल का म क्या करना चाहिये? जनसमूह ने कहा-इसे फेंक देना 卐 चाहिये। म सोलम ने एपल के चार टुकड़े किये, अंदर रहे बीज बताकर पूछा, बताओ ये बीज कैसे हैं ? ये बीज तो अच्छे की हैं, सभी ने एक स्वर से स्वीकार किया। 45555544545455555555555Page Navigation
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