Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 8
________________ गाहा-८४ उच्चारित्थसरिसा सीसमइ विकोवणट्ठाए || [८३] आहारउवहिसेज्जा पसत्थपिंडस्सुवग्गहं कुणइ । आहारे अहिगारो अट्ठहिं ठाणेहिं सो सुद्धो ।। निव्वाणं खलु कज्जं नाणाइतिगं च कारणं तस्स । निव्वाणकारणाणं च कारणं होइ आहारो ।। [८४] [८५] जह कारणं तु तंतू पडस्स तेसिं च होंति पम्हाइं । नाणाइतिगस्सेवं आहारो मोक्खनेमस्स ।। [८६] जह कारणमनुवहयं कज्जं साहेइ अविकलं नियमा । मोक्खक्खमाण एवं नाणाईणि उ अविगलाई || [८७] संखेवपिंडियत्थो एवं पिंडो मए समक्खाओ । फुडवियडपायडत्थं वोच्छामि एसणं एत्तो ।। [८] एसण गवेसण मग्गणा य उग्गोवणा य बोद्धव्वा । एए उ एसणाए नामा एगट्ठिया होंति ।। [८९] नामंठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयव्वा । दव्वे भावे एक्केक्कया उ तिविहा मुणेयव्वा ।। [९०] जम्मं एसइ एगो सुयस्स अन्नो तमेसए ट्ठे । सत्तुं एसइ अन्नो पएण अन्नो य से मच्चुं | [१] एमेव सेसएसु वि चउप्पयापय अचित्तमीसेसु । जा जत्थ जुज्जए एसणा उ तं तत्थ जोएज्जा ।। [९२] भावेसणा उ तिविहा गवेसगहणेसणा उ बोद्धव्वा । गासेसणा उ कमसो पन्नत्ता वीयरागेहिं ।। [ ९३] अगविट्ठस्स उ गहणं न होइ न य अगहियस्स परिभोगो । एसणतिगस्स एसा नायव्वा आनुपुव्वी उ ।। [९४] नामं ठवणा दविए भावंमि गवेसणा मुणेयव्वा । दव्वंमि कुरंगगया उग्गमउप्पायणा भावे ।। [९५] जियसत्तुदेविचित्त सभपविसणं कनगपिट्ठपासणया । दोहलदुब्बलपुच्छा कहणं आणा य पुरिसाणं ।। [९६] सीवन्निसरिसमोयगकरणं सीवन्निरुक्खहेट्ठेसु । आगमन कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ ।। [९७] विइअमेयं कुरंगाणं जया सीवन्नि सीयइ । पुरावि वाया वायंता न उणं पुंजकपुंजका ।। [९८] हत्थिग्गहणं गिम्हे अरहट्टेहिं भरणं च सरसीणं । अच्चुदएण नलवणा अहिरूढा गयकुलागमनं ।। [९९] विइयमेयं गजकुलाणं जया रोहंति नलवणा । [7] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]Page Navigation
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