Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 36
________________ दव्वे वानरजूहं भावंमि य दस पया इंति [५५९] परिसडियपंडुपत्तं वनसंडं दद्दु अन्नहिं पेसे । जूहवई पडियरए जूहेण समं तहिं गच्छे गाहा-५६० [५६०] सयमेवालोएउं जूहवई तं वनं समंतेण । वियरइ तेसि पयारं चरिऊण य तो दहं गच्छे [५६१] ओयरतं पयं दह नीहरंतं न दीसई । नालेण पियह पाणीयं नेस निक्कारणो दहो [५६२] संकिय मक्खिय निक्खित्त पिहिय साहरिय दायगुम्मीसे । अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति [५६३] संकाए चउभंगो दोसु वि गहणे य भुंजणे लग्गो । जं संकियमावन्नो पणवीसा चरिमए सुद्धो [५६४] उग्गमदोसा सोलस आहाकम्माइ एसणादोसा । नव मक्खियाइ एए पणवीसा चरिमए सुद्धो [५६५] छउमत्थो स्यनाणी उवउत्तो उज्ज्ओ पयत्तेणं । आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ सुद्धो [५६६] ओहो सुओवउत्तो सुयनाणी जइ वि गिण्हइ असुद्धं । तं केवली वि भंजइ अप्पमाण स्यं भवे इहरा [१६७] सुत्तस्स अप्पमाणे चरणाभावो तओ य मोक्खस्स | मोक्खस्सऽविय अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था उ [५६८] किंतिह खद्ध ! भिक्खा दिज्जइ न य तरइ पुच्छिउँ हिरिमं ।। इय संकाए धेत्तुं तं भुंजइ संकिओ चेव [५६९] हियएण संकएणं गहिओ अन्नेणं सोहिया सा य । पगयं पहेणगं वा सोउं निस्संकिओ भुंजे [५७०] जारिसय च्चिय लद्धा खद्धा भिक्खा मए अमुयगेहे । अन्नेहि वि तारिसिया वियांत निसामए तइए [५७१] जइ संका दोसकरी एवं सुद्धपि होइ अविसुद्धं । निस्संकमेसियंतिय अनेसणिज्जंपि निघोसं [५७२] अविसुद्धो परिणामो एगयरे अवडिओ य पक्खंमि । एसिपि कुणइ णेसिं अणेसिमेसिं विसुद्धो उ [५७३] दुविहं च मक्खियं खलु सच्चित्तं चेव होइ अच्चित्तं । सच्चित्तं पुण तिविहं अच्चित्तं होइ दुविहं तु [५७४] पुढवी आठ वणस्सइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं होइ ।। अच्चित्तं पुण दुविहं गरहियमियरे य भयणा उ [५७५] सुक्केण सरक्खेण मक्खियमल्लेण पढविकाएणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [35] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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