Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पू. आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः। (४१/१, पिंडनिज्जुत्ति बीइों मूलसूत्तं/१ मुनि दीपरत्नसागर Date : //2012 Jain Aagam Online Series-41 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१/१ गंथाणुक्कमो सुत्तं निज्जुत्ति गाहा भास पक्खेव अणुक्कम | पिढेको कमको विसय १ पत्थाव-गाहा पिंड | उगम उप्पायण | एसणा ६ संजोयणा २-८४१-१५१- ८५-४०२ १६-३० २-४ ४०३-५१५ ३१-३७ ५-६ ५१६-६३५ २-१०० । १०१-४३५ । ४३६-५५७ ५५८-६७७ २७ ३४ ६३५-६४१ ६७८-६८३ ४१ पमाण ६४१-६५४ ६८४-६९६ ४२ ४३ ८ ६५५-६६० ६९७-७०२ इंगाल-धूम कारण उवसंहार ७०३-७१० ६६१-६६८ ६६९-६७१ ४३ ४३ १० - ७११-७१३ दीपरत्नसागर संशोधितः] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः नमो नमो निम्मलदंसणस्स ॐ ह्रीं नमो पवयणस्स ४१/१ पिंडनिज्जुत्ति-बीइअं मूलसूत्तं/१ [१] पिंडे उग्गम उप्पायणेसणा जोयणा पमाणे य । इंगाल धूम कारण अट्ठविहा पिंडनिज्जुत्ति ।। [२] पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणा य समवाए | समुसरण निचय उवचय चए य जुम्मे य रासी य ।। [३] पिंडस्स उ निक्खेवो चउक्कओ छक्कओ व कायव्वो । निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायव्वा ।। [४] कुलए य चउभागस्स संभवो छक्कए चउण्डं च । नियमेण संभवो अत्थि छक्कगं निक्खिवे तम्हा || [५] नामंठवणापिंडो दव्वे खेत्ते य काल भावे य ।। एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेवो छव्विहो होइ ।। [६] गोण्णं समयकयं वा जं वावि हवेज्ज तद्भएण कयं । तं बिंति नामपिंडं ठवणापिंडं अओ वोच्छं ।। [७] गुणनिप्फन्नं गोण्णं तं चेव जहत्थम सत्थवी बेंति । तं पुण खवणो जलणो तवणो पवणो पईवो य ।। [८] पिंडण बहुदव्वाणं पडिवक्खेणावि जत्थ पिंडक्खा । सो समयकओ पिंडो जह सत्तं पिंडपडियाई ।। [९] जस्स पुण पिंडवायट्ठयं पविद्वस्स होइ संपत्ती । गुडओयणपिंडेहिं तं तदुभयपिंडमाइंसु ।। [१०] उभयाइरित्तमहवा अन्नपि हु अत्थि लोइयं नाम | अत्ताभिप्पायकयं जह सीहगदेवदत्ताई ।। [११] गोण्णसमयारित्तं इणमन्नं वाऽवि सूइयं नाम | जह पिंडउत्ति कीरइ कस्सइ नामं मनूसस्स ।। [१२] तल्लेऽवि अभिप्पाए समयपसिद्धं न गिण्हए लोओ । जं पुण लोयपसिद्धं तं सामइया उवचरंति ।। [१३] अक्खे वराडए वा कढे पुत्थे व चित्तकम्मे वा । सब्भावमसब्भावे ठवणापिंड वियाणाहि ।। [१४] इक्को 3 असब्भावे तिण्हं ठवणा 3 होइ सब्भावे | दीपरत्नसागर संशोधितः] [2] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्तेस असब्भावे दारुअलेप्पोवले सियरो || [१५] तिविहो उ दव्वपिंडो सच्चित्तो मीसओ अचित्तो य । एक्केक्कस्स य एत्तो नव नव भेआ उ पत्तेयं ।। गाहा-१६ [१६] पुढवी आउक्काओ तेऊ वाऊ वणस्सई चेव । बेइंदिय तेइंदिय चउरो पंचेंदिया चेव ।। [१७] पुढवीकाओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो । सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ।। [१८] निच्छयओ सच्चित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमज्झे । अच्चित्तमीसवज्जो सेसो ववहारसच्चित्तो ।। [१९] खीरदुमहेट्ठ पंथे कट्ठोले इंधणे य मीसो उ । पोरिसि एग दुग तिगं बहइंधणमज्झथोवे य ।। [२०] सीउण्ह-खार-खत्ते अग्गी-लोणूस अंबिले-नेहे । वुक्कंतजोणिएणं पयोयणं तेणिमं होइ ।। [२१] अवरद्धिगविसबंधे लवणेण व सुरभिउवलएणं वा । अच्चित्तस्स 3 गहणं पओयणं तेणिमं च उन्नं || [२२] ठाणनिसियणतुयट्टण उच्चाराई चेव उस्सग्गो । घट्टगडगलगलेवो एमाइ पओयणं बहा ।। [२३] आउक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो । सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ।। [२४] घनउदही घनवलया करगसमुद्दद्दहाण बह्मज्झे । अह निच्छयसच्चित्तो ववहारनयस्स अघडाई ।। [२५] उसिणोदगमनवत्ते दंडे वासे य पडियमित्तंमि । मोत्तूणादेसतिगं चाउलउदगे बहु पसन्नं ॥ [२६] भंडगपासविलग्गा उत्तेडा बुब्बुया न संमंति । जा ताव मीसगं तंदुला य रज्झंति जाव ऽन्ने [२७] एए उ अनाएसा तिन्नि वि कालनियमस्सऽसंभवओ | लुक्खेयर भंडग पवण संभवासंभवाईहिं ।। [२८] जाव न बहुप्पसन्नं ता मीसं एस इत्थ आएसो । होइ पमाणमचित्तं बहुप्पसन्नं त् नायव्वं ।। [२९] सीउण्ह खारखते अग्गी लोणूस अंबिले नेहे । वुक्कंतजोणिएणं पओयणं तेणिम होइ ।। [३०] परिसेयपियणहत्थाड धोवणं चीरधोवणं चेव । आयमण भाणवणं एमाइ पओयणं बहहा ।। [३१] 3 बाउस बंभविनासो अठाणठवणं च । दीपरत्नसागर संशोधितः] [3] ॥ [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपाइमवाउवहो पावण भओवघाओ य ।। [३२] अइभार चुडण पणए सीयलपाउरणऽजीर गेलण्णे । ओहावण कायवहो वासासु अधोवणे दोसा ।। गाहा-३३ [३३] अप्पत्तेच्चिय वासे सव्वं उवहिं ध्वंति जयणाए । असईए उ दवस्स य जहन्नओ पायनिज्जोगो || [३४] आयरियगिलाणाण य मइला मइला पुणोऽवि धोवंति । मा ह गुरूण अवण्णो लोगंमि अजीरणं इयरे ।। [३५] पायस्स पडोयारो दुनिसिज्ज तिपट्ट पोत्ति रयहरणं । एए उ न वीसामे जयणा संकामणा धुवणं ।। [३६] पायस्स पडोयारो पत्तगवज्जो य पायनिज्जोगो । दोन्नि निसिज्जाओ पुण अभिंतर बाहिरा चेव ।। [३७] संथारुत्तरचोलगपट्टा तिन्नि उ हवंति नायव्वा । मुहपोत्तियत्ति पोत्ती एगनिसेज्जं च रयहरणं ।। [३८] एए उ न वीसामे पइदिनमुवओगओ य जयणाए । संकामिऊण धोवंति विज्ज छप्पइया तत्थ विहिणा उ ।। [३९] जो पण वीसमिज्जइ तं एवं वीयराय-आणाए । पत्ते धोवणकाले उवहिं वीसामए साहू ।। [४०] अभिंतरपरिभोगं उवरिं पाउणइ नाइदूरे य । तिन्नि य तिन्नि य एग निसिं त् काउं परिच्छिज्जा || [४१] धोवत्थं तिन्नि दिना उवरिं पाउणइ तह य आसन्नं | धारेइ तिन्नि दियहे एगदिनं उवरि लंबंतं ।। [४२] केई एक्केक्कनिसिं संवासेउ तिहा परिच्छंति । पाउणइ जइ न लग्गति छप्पइया ताहि धोवंति ।। [४३] निव्वोदगस्स गहणं केई भाणेसु असुइ पडिसेहो । गिहिभायणेसु गहणं ठिय वासे मीसगं छारो ।। [४४] गुरुपच्चक्खाणिगिलाण सेहमाईण धोवणं पुव्वं । तो अप्पणो पुव्वमहाकडे य इयरे दुवे पच्छा ।। [४५] अच्छोडपिट्टणासु य न धुवे धोए पयावणं न करे । परिभोग अपरिभोगे छायायव पेह कल्लाणं ।। [४६] तिविहो तेउक्काओ सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो । सचित्तो पुण दुविहो निच्छय ववहारओ चेव ।। [४७] इट्टगपागाईणं बहुमज्झे विज्जुमाइ निच्छयओ । इंगालाई इयरोत्ति मुम्मुरमाई उ मिस्सो उ ।। [४८] ओयणवंजणपानग आयामुसिणोदगं च कुम्मासा | दीपरत्नसागर संशोधितः] [4] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डगलगसरक्खसूई पिप्पलमाई उ उवओगो ।। [४९] वाउक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो । सचित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ।। गाहा-५० । [५०] सवलय घनतनुवाया अइहिम अइदुद्दिणे य निच्छयओ । ववहार पाइणाई अक्कंताई य अच्चित्तो ।। [५१] अक्कंतधंतघाणे देहानुगए य पीलियाइसु य । अच्चित्त वाउकाओ व एवविहो भणिओ कम्मट्ठमहणेहिं ।। [१२] हत्थसयमेग गंता दइओ अच्चित्तु बीयए मीसो । तइयंमि उ सचित्तो वत्थ [१३] निद्धेयरो य कालो एगतिसिणिद्धमज्झिमजहन्नो | लुक्खोवि होइ तिविहो जहन्नमज्झो य उक्कोसो || [१४] एगंतसिणिद्धमी पोरिसिमेगं अचेअणो होइ । बिइयाए संमीसो तइयाइ सचेयणो वत्थी ।। [५५] मज्झिमनिद्धे दो पोरिसीउ अच्चित्त् मीसओ तइए । चउत्थीए सच्चित्तो पवणो दइयाइ मज्झगओ ।। [५६] पोरिसितिगमच्चित्तो निद्धजहन्नंमि मीसग चउत्थी । सच्चित्त पंचमीए एवं लुक्खे ऽवि दिनवुड्ढी [१७] दइएण वत्थिणा वा पओयणं होज्ज वाउणा मणिणो । गेलन्नंमि व होज्जा सचित्तमीसे परिहरेज्जा ।। [५८] वणसइकाओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो । सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ।। [५९] सव्वोऽवऽनंतकाओ सच्चित्तो होइ निच्छयनयस्स | ववहारस्स य सेसो मीसो पव्वायरोट्टाई ।। [६०] पुप्फाणं पत्ताणं सरडुफलाणं तहेव हरियाणं । वेंटमि मिलाणंमि नायव्वं जीवविप्पजढं ।। [६१] संथारपायदंडगखोमिय कप्पा य पीढफलगाई ।। ओसहभेसज्जाणि य एमाइ पओयणं बहुहा ।। TE२बियतियचउरो पंचंदिया य तिप्पभिड जत्थ उ समेति । सट्ठाणे सट्ठाणे सो पिंडो तेण कज्जमिणं ।। [६३] बेइंदियपरिभोगो अक्खाण ससिप्पसंखमाईणं । तेइंदियाण उद्देहिगादि जं वा वए वेज्जो ।। [६४] चरिंदियाण मच्छियपरिहारो चेव आसमक्खिया चेव । पंचेंदियपिंडंमि उ अव्ववहारी उ नेरइया ।। [६५] चम्मट्ठिदंतनहरोमसिंग अविलाइछगणगोमुत्ते । दीपरत्नसागर संशोधितः] [5] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खीरदधिमाइयाण य पंचिंदियतिरियपरिभोगो ।। [६६] सच्चित्ते पव्वावण पंथुवएसे य भिक्खदाणाई । सीसहिग अच्चित्ते मीसद्विसरक्खपहपुच्छा ।। गाहा-६७ [६७] खमगाइ कालकज्जाइएसु पुच्छिज्ज देवयं कंचि । पंथे सुभासुभे वा पुच्छेई दिव्व उवओगो ।। [६८] अह मीसओ य पिंडो एएसिं चिय नवण्ह पिंडाणं । दुग संजोगाईओ नायव्वो जाव चरमोत्ति ।। [६९] सोवीर गोरसासव वेसण भेसज्ज नेह सागफले । पोग्गललोण गुलोयण नेगा पिंडा उ संजोगे ।। [७०] तिन्नि उ पएससमया ठाणट्ठिइउ दविए तयाएसा | चउपंचमपिंडाणं जत्थ जया तप्परूवणया ।। [७१] मुत्तदविएसु जुज्जइ जइ अन्नोन्नाणुवेहओ पिंडो । मुत्तिविमुत्तेसुवि सो जुज्जइ ननुसंखबाहुल्ला || [७२] जह तिपएसो खंधो तिसुवि पएसेसु जो समोगाढो । अविभागिण संबद्धो कहन्न नेवं तदाधारो ? || [७३] अहवा चउण्ह नियमा जोगविभागेण जुज्जए पिंडो । दोसु जहियं तु पिंडो वण्णिज्जइ कीरए वावि ।। [७४] दुविहो उ भावपिंडो पसत्थओ चेव अप्पसत्थो य । एएसिं दोण्हपिय पत्तेय परूवणं वोच्छं ।। [७५] एगविहाइदसविहो पसत्थओ चेव अप्पसत्थो य । संजम विज्जाचरणे नाणादितिगं च तिविहो उ ।। [७६] नाणं दंसणं तव संजमो य वय पंच छच्च जाणेज्जा | पिंडेसणं पाणेसणं उग्गहपडिमा य पिंडंमि ।। [७७] पवयणमाया नव बंभगत्तिओ तह य समणधम्मो य । एस पसत्थो पिंडो भणिओ कम्मट्ठमहणेहिं ।। [७८] अपसत्थो य असंजम अन्नाणं अविरइ य मिच्छत्तं । कोहायासवकाया कम्मे गुत्ती अ हम्मो य [७९] बज्झइ य जेण कम्म सो सव्वो होइ अप्पसत्थो उ । मुच्चइ य जेण सो उण पसत्थओ नवरि विन्नेओ ।। [८०] दंसणनाणचरित्ताण पज्जवा जे उ जत्तिया वाऽवि । सो सो होइ तयक्खो पज्जवपेयालणा पिंडो || [८१] कम्माण जेण भावेण अप्पगं चिणइ चिक्कणं पिंडं । सो होइ भावपिंडो पिंडयए पिंडण जम्हा || [८] दव्वे अच्चित्तेणं भावंमि वेय पसत्थएणिहं पगयं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [6] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा-८४ उच्चारित्थसरिसा सीसमइ विकोवणट्ठाए || [८३] आहारउवहिसेज्जा पसत्थपिंडस्सुवग्गहं कुणइ । आहारे अहिगारो अट्ठहिं ठाणेहिं सो सुद्धो ।। निव्वाणं खलु कज्जं नाणाइतिगं च कारणं तस्स । निव्वाणकारणाणं च कारणं होइ आहारो ।। [८४] [८५] जह कारणं तु तंतू पडस्स तेसिं च होंति पम्हाइं । नाणाइतिगस्सेवं आहारो मोक्खनेमस्स ।। [८६] जह कारणमनुवहयं कज्जं साहेइ अविकलं नियमा । मोक्खक्खमाण एवं नाणाईणि उ अविगलाई || [८७] संखेवपिंडियत्थो एवं पिंडो मए समक्खाओ । फुडवियडपायडत्थं वोच्छामि एसणं एत्तो ।। [८] एसण गवेसण मग्गणा य उग्गोवणा य बोद्धव्वा । एए उ एसणाए नामा एगट्ठिया होंति ।। [८९] नामंठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयव्वा । दव्वे भावे एक्केक्कया उ तिविहा मुणेयव्वा ।। [९०] जम्मं एसइ एगो सुयस्स अन्नो तमेसए ट्ठे । सत्तुं एसइ अन्नो पएण अन्नो य से मच्चुं | [१] एमेव सेसएसु वि चउप्पयापय अचित्तमीसेसु । जा जत्थ जुज्जए एसणा उ तं तत्थ जोएज्जा ।। [९२] भावेसणा उ तिविहा गवेसगहणेसणा उ बोद्धव्वा । गासेसणा उ कमसो पन्नत्ता वीयरागेहिं ।। [ ९३] अगविट्ठस्स उ गहणं न होइ न य अगहियस्स परिभोगो । एसणतिगस्स एसा नायव्वा आनुपुव्वी उ ।। [९४] नामं ठवणा दविए भावंमि गवेसणा मुणेयव्वा । दव्वंमि कुरंगगया उग्गमउप्पायणा भावे ।। [९५] जियसत्तुदेविचित्त सभपविसणं कनगपिट्ठपासणया । दोहलदुब्बलपुच्छा कहणं आणा य पुरिसाणं ।। [९६] सीवन्निसरिसमोयगकरणं सीवन्निरुक्खहेट्ठेसु । आगमन कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ ।। [९७] विइअमेयं कुरंगाणं जया सीवन्नि सीयइ । पुरावि वाया वायंता न उणं पुंजकपुंजका ।। [९८] हत्थिग्गहणं गिम्हे अरहट्टेहिं भरणं च सरसीणं । अच्चुदएण नलवणा अहिरूढा गयकुलागमनं ।। [९९] विइयमेयं गजकुलाणं जया रोहंति नलवणा । [7] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्नयावि झरंति झरा न य एवं बहओदगा ।। [१००] उग्गम उग्गोवण मग्गणा य एगट्ठियाइ एयाणि | नाम ठवणा दविए भावंमि य उग्गहो होइ ।। गाहा-१०१ [१०१] दव्वंमि लड्डुगाई भावे तिविहोग्गमो म्णेयव्वो । दंसणनाणचरित्ते चरिउग्गमेणेत्थ अहिगारो ।। [१०२] जोइसतणोसहीणं मेहरिणकराणम्ग्गमो दव्वे । सो पुण जत्तो य जया जहा य दव्वुग्गमो वच्चो ।। [१०३] वासहरा अनुजत्ता अत्थाणी जोग्ग किड्डकाले य । घडगसरावेसु कया 3 मोगया लड्डुगपियस्स ।। [१०४] जोग्ग अजिण्ण मारुय निसग तिसमुत्थ तो सुइसमुत्थो । आहारुग्गमचिंता असुइत्ति दुहा मलप्पभवो ।। [१०५] तस्सेवं वेरग्गुग्गमेण सम्मत्तनाणचरणाणं । जुगवं कमुग्गमो वा केवलनाणुग्गमो जाओ || [१०६] दंसणनाणप्पभवं चरणं सुद्धेसु तेसु तस्सुद्धी । चरणेण कम्मसुद्धी उगमसमुद्धीइ चरणसुद्धी ।। [१०७] आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाए य । ठवणा पाहुड़ियाए पाओअर कीय पामिच्चे ।। [१०८] परियट्टिए अभिहडे उब्भिन्ने मालोहडे इय । अच्छिज्जे अनिसिढे अज्झोयरए य सोलसमे ।। [१०९] आहाकम्मियनामा एगट्ठा कस्स वावि किं वावि ? | परपक्खे य सपक्खे चउरो गहणे य आणाई ।। [११०] आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य । पडिसेवण पडिसुणणा संवास ऽनुमोयणा चेव ॥ [१११] धनुजुयकायभराणं कुटुंब-रज्जधुरमाइयाणं च | खंधाई हिययं मिय दव्वाहा अंतए धणुणो ।। [११२] ओरालसरीराणं उद्दवण तिवायणं च जस्सट्ठा । मणमाहित्ता कीरइ आहाकम्मं तयं बैंति ।। [११३] ओरालग्गहणेणं तिरिक्खमनुयाऽहवा सुहमवज्जा | उद्दवणं पुण जाणसु अइवायविवज्जियं पीडं ।। [११४] कायवइमनो तिन्नि उ अहवा देहाउइंदियप्पाणा । सामित्तावायाणे होइ तिवाओ य करणेस य ।। [११५] हिययंमि समाहे एगमनेगं च गाहगं जो उ । वहनं करेइ दाया कायेण तमाहकम्मं ति ।। [११६] जं दव्वं उदगाइस ढमहे वयइ जं च भारेणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] [8] Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऽहेकम्मं ।। सीईए रज्जुएण व ओयरणं दव्व [११७] संजमठाणाणं कंडगाण लेसा-ठिई-विसेसाणं । भावं अहे करेई तम्हा तं भाव ऽहेकम्मं ।। गाहा-११८ [१२५] [११८] तत्थानंता उ चरित्तपज्जवा होंति संजमट्ठाणं । संखइयाणि उ ताणि कंडगं होइ नायव्वं ।। [११९] संखाईयाणि 3 कंडगाणि छट्ठाणगं विनिद्दिढ । छट्ठाणा उ असंखा संजमसेढी मुणेयव्वा ।। [१२०] किण्हाइया उ लेसा उक्कोसविसुद्धिठिइविसेसाओ । एएसि विसुद्धाणं अप्पं तग्गाहगो कुणइ ।। [१२१] भावोवयारमाहेउमप्पगे किंचिनूण चरणग्गो | आहाकम्मग्गाही अहो अहो नेइ अप्पाणं ।। [१२२] बंधइ अहे भवाऊ पकरेइ अहोमुहाई कम्माइं । घनकरणं तिव्वेण उ भावेण चओ उवचओ य ।। [१२३] तेसि गुरुणमुदएण अप्पगं दुग्गईए पवडतं । न चएइ विधारेउं अहरगतिं निति कम्माइं ।। [१२४] अट्ठाए अणट्ठाए छक्कायपमद्दणं तु जो कुणइ । अनियाए य नियाए आयाहम्मं तयं बेंति ।। अजाणतो तहेव निद्दिसिय ओहओ वाऽवि | जाणगमजाणगे वा वहेइ अनिया निया एसा ।। [१२६] दव्वाया खलु काया भावाया तिन्नि नाणमाईणि । परपाणपाडणरओ चरणायं अप्पणो हणइ ।। [१२७] निच्छयनयस्स चरणाय विधाए नाणदंसणवहोऽवि । ववहारस्स उ चरणे हयंमि भयणा उ सेसाणं ।। [१२८] दव्वंमि अत्तकम्मं जं जो उ ममायए तगं दव्वं । भावे असुहपरिणओ परकम्मं अत्तणो कुणइ ।। [१२९] आहाकम्मपरिणओ फासुयमवि संकिलिट्ठपरिणामो | आइयमाणो बज्झइ तं जाणसु अत्तकम्मति ।। [१३०] परकम्म अत्तकम्मीकरेइ तं जो उ गिहिउं भुंजे । तत्थ भवे परकिरिया कहं न अन्नत्थं संकमई [१३१] कूडउवमाइ केई परप्पउत्तेऽवि बेंति बंधोत्ति । भणइ गुरूवि पमत्तो बज्झइ कूडे अदक्खो य ।। [१३२] एमेव भावकडे बज्झइ जो असभभावपरिणामो | तम्हा उ असुभभावो वज्जेयव्वो पयत्तेणं ।। [१३३] कामं सयं न कुव्वइ जाणंतो पुण तहावि तग्गाही । ? || दीपरत्नसागर संशोधितः] [9] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वडढेइ तप्पसंगं अगिण्हमाणो 3 वारेइ ।। [१३४] अत्तीकरेइ कम्म पडिसेवाईहिं तं पुण इमेहिं । तत्थ गुरू आइपयं लहु लहु लहुगा कमेणियरे ।। गाहा-१३५ [१३५] पडिसेवणमाईणं दाराणऽनुमोयणा-वसाणाणं । जहसंभवं सरूवं सोदाहरणं पवक्खामि ।। [१३६] अन्नेणाहाकम्म उवनीयं असइ चोइओ भणइ । परहत्थेणंगारे कड्ढंतो जह न डज्झइ हु ।। [१३७] एवं खु सुद्धो दोसो देंतस्स कूडउवमाए | समयत्थमजाणतो मूढो पडिसेवणं कुणइ ।। [१३८] उवओगंमि य लाभं कम्मग्गाहिस्स चित्तरक्खडा । आलोइए सुलद्धं भणइ भणंतस्स पडिसुणणा ।। [१३९] संवासो उ पसिद्धो अनुमोयण कम्मभोयगपसंसा | एएसिमुदाहरणा एए उ कमेण नायव्वा ।। [१४०] पडिसेवणाए तेणा पडिसणणाए उ रायपुत्तो उ । संवासंमि य पल्ली अनुमोयण रायट्ठो य ।। [१४१] गोणीहरण सभूमी नेऊणं गोणिओ पहे भक्खे । निव्विसया परिवेसण ठियावि ते कूविया घत्थे ।। [१४२] जेऽविय परिवेसंती भायणाणि धरंति य । ते ऽवि बज्झंति तिव्वेणकम्मुणा किमु भोइणो ? || [१४३] सामत्थण रायसुए पिइवहण सहाय तह य तुण्हिक्को । तिण्हंपि हु पडिसुणणा रण्णा सिटुंमि सा नत्थि ।। [१४४] भुंज न भुंजे भुंजसु तइओ तुसिणीउ भुंजए पढमो | तिण्डंपि हु पडिसुणणा पडिसेहंतस्स सा नत्थि ।। [१४५] आणेत्तु जगा कम्मुणा उ बीयस्स वाइओ दोसो । तइयस्स य मानसिओ तीहिं विसुद्धो चउत्थो उ ।। [१४६] पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽनमोयणा उ चउरो वि | पियमारगरायसुए विभासियव्वा जइजणे ऽवि ।। [१४७] पल्लीवहमि नट्ठा चोरा वणिया वयं न चोरत्ति । न पलाणा पावकर त्ति काउं रन्ना उवालद्धा ।। [१४८] आहाकडभोईहिं सहवासो तह य तव्विवज्जंपि । दंसणगंध परिकहा भाविति सुलूहवित्तिंपि ।। [१४९] रायोरोहऽवराहे विभूसिओ घाइओ नयरमज्झे । धन्नाधन्नत्ति कहा वहावहो कप्पडियखोला ।। [१५०] साउं पज्जत्तं आयरेण काले रिउक्खमं निद्धं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [10] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ।। तग्गुणविकत्थणाए अभुंजमाणे ऽवि अणुमन्ना [१५१] आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य । जह वंजणनाणत्तं अत्थेण वि पुच्छए एवं ॥ गाहा-१५२ [१५२] एगट्ठा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव । नाणट्ठ एगवंजण नाणट्ठा वंजणानाणा ।। [१५३] दिटुं खीरं खीरं एगटुं एगवंजणं लोए । एगहें बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च ।। [१५४] गोमहिसिअयाखीरं नाणटुं एगवंजणं लोए । घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं ।। [१५५] आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताइं पढमभंगो उ । आहाहेकम्मति य बिइओ सक्किंद इव भंगो || [१५६] आहाकम्मंतरिया असणाईं 3 चउरो तइयभंगो । आहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगो ।। [१५७] इंदत्थं जह सद्दा पुरंदराई उ नाइवत्तंते । अहकम्म आयहम्मा तह आहं नाइवत्तंते ।। [१५८] आहाकम्मेण अहे करेति जं हणइ जं तं आइयमाणो परकम्मं अत्तणो कुणइ ।। [१५९] कस्सत्ति पुच्छियमी नियमा साहम्मियस्स तं होइ । साहम्मियस्स तम्हा कायव्व परूवणा विहिणा ।। [१६०] नाम ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे । दंसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य ।। [१६१] नामंमि सरिसनामो ठवणाए कट्ठकम्ममाईया । दव्वंमि जो उ भविओ साहमिसरीरगं जं च ।। [१६२] खेत्ते समाणदेवी कालंमि समाण कालसंभूओ । पवयणि संघेगयरो लिंगे रयहरण मुहपोत्ती ।। [१६३] दंसण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरित्ते । दव्वाइओ अभिग्गह अह भावणमो अनिच्चाई ।। [१६४] जावंत देवदत्ता गिही व अगिहीव तेसि दाहामि । नो कप्पई गिहीणं दाहंति विसेसियं कप्पे ।। [१६५] पासंडीस् न वि एवं मीसामीसेस होइ हु विभासा | समणेस संजयाण 3 विसरिसनामाणवि न कप्पे ।। [१६६] नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मियंमि उ विभासा | दव्वे मयतणुभत्तं न तं तु कुच्छा विवज्जेज्जा ।। [१६७] पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाणं चेव उ विभासा | दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा १६९ जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ॥ [१६८ ] दस ससिहागा सावग पवयणसाहम्मिया न लिंगेण । लिंगेण उ साहम्मी नो पवयण निण्हगा सव्वे || [१६९] विसरिसदंसणजुत्ता पवयणसाहम्मिया न दंसणओ । तित्थगरा पत्तेया नो पवयणदंस साहम्मी || [१७०] नाणचरित्ता एवं नायव्वा होंति पवयणेणं पवयणओ साहम्मी नाभिग्गहसावगा जइणो || [१७१] साहम्मऽभिग्गहेणं नो पवयण निण्ह तित्थ पत्तेया । एवं पवयणभावण एत्तो सेसाण वोच्छामि || तु । [१७२] लिंगाईहिवि एवं एक्केक्केणं तु उवरमा नेया । जे ऽनन्ने उवरिल्ला ते मोतुं सेस एवं [१७३] लिंगेण उ साहम्मी न दंसणे वीसुदंसि जइनिहा । पत्तेयबुद्ध तित्थंकरा य बीयमि भंगंमि ।। [१७४] लिंगेण उ नाभिग्गह अणभिग्गह वीसुऽभिग्गहा चेव । जइसावग बियभंगे पत्तेयबुहा य तित्थयरा ।। [ १७५] एवं लिंगेण भावण दंसणनाणे य पढमभंगो उ । जइसावग विसुनाणी एवं चिय बिइयभंगो [१७६] दंसणचरणे पढमो सावग जइणो य बीयभंगो उ । जइणो विसरिसदंसी दंसे य अभिग्गहे वोच्छं ॥ [ १७७] सावग जइ वीसऽभिग्गह पढमो बीओ य भावना चेवं । नाणेण ऽवि नेज्जेवं एत्तो चरणेण वोच्छामि || [१७८] जइणो वीसाभिग्गह पढमो बिय निण्हसावगजइणो उ । एवं तु भावणासु ऽवि वोच्छं दोण्हंतिमाणित्तो [१७९] जइणो सावग निण्हव पढमे बिइए य हुंति भंगे य । केवलनाणे तित्थंकरस्स नो कप्पड़ कयं तु ॥ [१८०] पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवली वि आसज्ज । खइयाइए य भावे पडुच्च भंगे उ जोएज्जा ।। [१८१] जत्थ उ तइओ भंगो तत्थ न कप्पं तु सेस भयणा । तित्थंकरकेवलिणो जह कप्पं नो य सेसाणं || [१८२] किं तं आहाकम्मंति पुच्छिए तस्सरूवकहणत्थं । संभवपदरिसणत्थं च तस्स असणाइयं भणइ || [१८३] सालीमाई अवडे फले य सुंठाइ साइमं होइ । तस्स कडनिट्ठियंमी सुद्धमसुद्धे य चत्तारि ।। [१८४] कोद्दवरालगगामे वसही रमणिज्ज भिक्ख सज्झाए । [12] || ऽवि ।। [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खेत्तपडिलेहसंजय सावयपुच्छुज्जुए कहणा ।। [१८५] जुज्जइ गणस्स खेत्तं नवरि गुरूणं तु नत्थि पाउग्गं । सालित्ति कए रुंपण परिभायण निययगेहेसु ।। गाहा-१८६ ॥ [१८६] वोलिंता ते व अन्ने वा अडता तत्थ गोयरं । सुणंति एसणाजुत्ता बालादिजनसंकहा ।। [१८७] एए ते जेसिमो रद्धो सालिकूरो घरे घरे । दिन्नो वा सेसयं देमि देहि वा बिति वा इमं ।। [१८८] थक्के थक्कावडियं अभत्तए सालिभत्तयं जायं । मज्झ य पइस्स मरणं दियरस्स य से मया भज्जा ।। [१८९] चाउलोदगंपि से देहि सालीआयामकंजियं । किमेयंति कयं नाउं ? वज्जंत ऽन्नं वयंति य [१९०] लोणागडोदए एवं खाणित्तु महोदगं । ढक्किएण ऽच्छते ताव भागया [१९१] कक्कडिय अंबगा वा दाडिम दक्खा य बीयपूराई । खाइम हिगरणकरणंति साइमं तिगड्गाईयं ।। [१९२] असणाईण चउण्हवि आमं जं सागहणपाउग्गं । तं निट्ठियं वियाणसु उवक्खडं तू कडं होइ ।। [१९३] कंडियतिगुणुक्कंडा उ निट्ठिया नेगदुगुणकंडा उ । निट्ठियकडो उ कूरो आहाकम्मं दुगुणमाहु ।। [१९४] छायंपि विवज्जंती केई फलहेउगाइवुत्तस्स । तं तु न जुज्जइ जम्हा फलंपि कप्पं बिइयभंगे ।। [१९५] परपच्चइया छाया नवि सा रुक्खोव्वं वट्टिया कत्ता | नढच्छाए उ दुमे कप्पड़ एवं भणंतस्स ।। [१९६] वड्ढइ हायइ छाया तच्छिक्कं पूइयंपिव न कप्पे । न य आहाय सुविहिए निव्वत्तयई रविच्छायं ।। [१९७] अघनघनचारिगगणे छाया नट्ठा दिया पुणो होइ । कप्पड़ निरायवे नाम आयवे तं विवज्जेउं ।। [१९८] तम्हा न एस दोसो संभवई कम्मलक्खणविहणो । तंपिय हु अइघिल्ला वज्जेमाणा अदोसिल्ला || [१९९] परपक्खो उ गिहत्था समणा समणीउ होइ उ सपक्खो | फासुकडं रद्धं वा निट्ठियमियरं कडं सव्वं ।। [२००] तस्स कडनिट्ठियंमी अन्नस्स कडंमि निहिए तस्स | चउभंगो इत्थ भवे चरमदुगे होइ कप्पं तु ।। [२०१] चउरो अइक्कम वइक्कमो य अइयार तह अनायारो । दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा - २०३ निद्दरिसण चउण्हवि आहाकम्मे निमंतणया || [२०२] सालीघयगुलगोरस नवेसु वल्लीफलेसु जाएसुं । दाने अहिगमसड्ढे आहाय कए निमंतेइ || [२०३] आहाकम्मग्गहणे अइकम्माईस वट्टए चउसु । नेउरहारिग हत्थी चउतिग दुगग चलणेणं ।। [२०४] आहाकम्मामंतण पडिसुणमाणे अइक्कम हो । पयभेयाउ वइक्कम गहिए तइएयरो गिलिए || [२०५] आणाइणो य दोसा गहणे जं भणियमह इमे ते उ । आणाभंग Sणवत्था मिच्छत्त विराहणा चेव [२०६] आणं सव्वजिणाणं गिण्हंतो तं अइक्कमइ लुद्धो । ऽइक्कमंतो कस्साएसा कुणइ सेसं [२०७] एक्केण कयमकज्जं करेइ तप्पच्चया पुणो अन्नो । सायाबहुल परंपर वोच्छेओ संजमतवाणं ।। आणं च हु [२०८] जो जहवायं न कुणई मिच्छद्दिट्ठी तओ वड्ढेइ य मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो || [२०९] वड्ढेइ तप्पसंग गेही य परस्स अप्पणो चेव । सजिपि भिन्नदाढो न मुयइ निद्धंधसो पच्छा ।। [२१०] खद्धे निद्धे य रुया सुत्ते हानी तिगिच्छणे काया । पडियरगाणवि हानी कुणइ किलेसं किलिस्संतो ।। [२११] जह कम्मं तु अकप्पं तच्छिक्कं वाऽवि भायणठियं वा । परिहरणं तस्सेव य गहियमदोसं च तह भणइ ।। को अन्नो [२१२] अब्भोज्जे गमणाइ य पुच्छा दव्वकुलदेस भावे य । एव जयंते छलणा दिट्ठता तत्थिमे दोन्नि || [२१३] जह वंतं तु अभोज्जं भत्तं जइविय सुक्कयं आसि । एवमसंजमवमने अनेसणिज्जं अभोज्जं तु । [२१४] मज्जारखइयमंसा मंसासित्थि कुणिमं सुणयवंतं । वन्नाइ अन्नमुप्पाइयंति किं तं भवे भोज्जं [२१५] केई भांति पहिए अट्ठाणे मंसपेसिवोसिरणं । संभारिय परिवेस वट्टण वारे सुओ करे धेत्तुं । [२१६] अविकालकरहीखीरं ल्हसुण पलंडू सुरा य गोमंसं । वेयसमएवि अभयं किंचि अभोज्जं अपेज्जं च ।। [२१७] वन्नाइजुयावि बली सपललफलसेहरा असुइत्था । असुइस्स विप्पुसेणवि जह छिक्काओ अभोज्जाओ || [२१८] एमेव उज्झियंमिवि आहाकम्मंमि अकयए कप्पे । [14] [दीपरत्नसागर संशोधितः ] || ? ।। ? | ? ।। [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ होइ अभोज्जं भाणे जत्थ वसुद्धपि तं पडियं ।। [२१९] सरिच्छं कम्मं सोउमवि कोविओ भीओ | परिहरइ सावि य दुहा विहिअविहीए य परिहरणा ।। गाहा-२२० [२२०] सालीओअणहत्थं दर्छ भणइ अविकोविओ देंतिं । कत्तोच्चउत्ति साली ? वणि जाणइ पुच्छ तं गंतुं ।। [२२१] गंतूण आवणं सो वाणियगं पच्छए कओ साली । पच्चंते मगहाए गोब्बरगामो तहिं वयइ ।। [२२२] कम्मासंकाए पहं मोत्तुं कंटाहिसावया अदिसि । छायंपि विवज्जंतो डज्झइ उण्हेण मुच्छाई ।। [२२३] इय अविहीपरिहारी नाणाईणं न होइ आभागी । दव्वकुलदेसभावे विहिपरिहरणा इमा तत्थ ।। [२२४] ओयणसमिइमसत्तुग कुम्मासाई उ होति दव्वाइं । बहुजनमप्पजनं वा कुलं तु देसो सुरहाई ।। [२२५] आयरऽनायर भावे सयं व अन्नेण वाऽवि दावणया । एएसिं तु पयाणं चउपय तिपया व भयणा उ ।। [२२६] अनुचियदेसं सव्वं कुलमप्पं आयरो य तो पुच्छा । सदेसदविए अभावे वि ।। [२२७] तुज्झट्ठाए कयमिणमन्नोन्नमवेक्खए य सविलक्खं । वज्जति गाढरुट्ठा का भे तत्तित्ति वा गिण्हे || [२२८] गूढायारा न करेंति आयरं पुच्छियावि न कहेंति । थोवंति व नो पुट्ठा तं च असुद्धं कहं तत्थ ? || [२२९] आहाकम्मपरिणओ फासुयभोईवि बंधओ होइ । सुद्धं गवसमाणो आहाकम्मेवि सो सुद्धो ।। [२३०] संघुद्दिढ़ सोउं एइ दुयं कोइ भोइए पत्तो । दिन्नंति देहि मज्झंति गाउ सोउं तओ लग्गो ।। [२३१] मासियपारणगट्ठा गमनं आसन्नगामगं खमगे । सड़ढी पायसकरणं कयाइ अज्जेज्जिही खमओ || [२३२] खेल्लगमल्लगलेच्छारियाणि डिंभग निभच्छ रुंटणया । हंदि समणत्ति पायस घयग्लज्य जावणढाए || [२३३] एगंतमवक्कमणं जइ साहू इज्ज होज्ज तिन्नो मि | तणुकोट्ठमि अमुच्छा भुत्तंमि य केवलं नाणं ।। [२३४] चंदोदयं च सूरोदयं च रन्नो उ दोन्नि उज्जाणा । तेसिं विवरियगमने आणाकोवो तओ दंडो ।। [२३५] सूरोदयं गच्छमहं पभाए चंदोदयं जंतु तणाइहारा । दीपरत्नसागर संशोधितः] [15] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा - २३७ दुहा खी पच्चरसंतिकाउं रायावि चंदोदयमेव गच्छे || [२३६] पत्तलदुमसालगया दच्छामु निवंगणत्ति दुच्चित्ता । उज्जानपालएहिं गहिया य हया य बद्धा य ।। [२३७] सहस पइट्ठा दिट्ठ इयरेहि निवंगणत्ति तो बद्धा । निंतस्स य अवरण्हे दंसणमुभओ वहविसग्गा ।। [२३८] जह ते दंसणकंखी अपूरिइच्छा विनासिया रण्णा । दिट्ठे s वियरे मुक्का एमेव इहं समोयारो [२३९] आहाकम्म भुंजइ न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स । एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो ।। [२४०] आहाकम्मद्दारं भणियमियाणिं पुरा समुद्दि । उद्देसियंति वोच्छं समासओ तं दुहा होइ ।। [२४१] ओहेण विभागेण य ओहे ठप्पं तु बारस विभागे । उद्दिट्ठ कडे कम्मे एक्केक्कि चउक्कओ भेओ ।। [२४२] जीवामु कहवि ओमे निययं भिक्खावि कइवई देमो । हंदि हुन अदिन्नं भुज्जइ अकयं न य फलेइ ।। [२४३] सा उ अविसेसियं चिय मियंमि भत्तंमि तंडुले छुहइ । पासंडीण गिहीण व जो एहिइ तस्स भिक्खट्ठा ।। [२४४] छउमत्थोधुद्देसं कहं वियाणा ? चोइए भणइ । उवउत्तो गुरु एवं गिहत्थसद्दाइचिट्ठाए ।। [२४५] दिन्ना उ ताउ पंचवि रेहाउ करेइ देइ व गणंति । देह इओ मा य इओ अवणेह य एत्तिया भिक्खा ।। [२४६] सद्दाइएसु साहू मुच्छं न करेज्ज गोयरगओ य । एसणजुत्तो होज्जा गोणीवच्छो गवत्तिव्व ।। तु [२४७] ऊसवमंडणवग्गा न पाणियं वच्छए नविय चारिं । वणियागम अवरण्हे वच्छगरडणं खरंटणया ।। [२४८] पंचविहविसयसोक्खक्खणी वहू समहियं हिं तं न गणेइ गोणिवच्छो मुच्छिय गढिओ गवत्तंमि ।। [२४९] गमनागमनुक्खेवे भासिय सोयाइ इंदियाउत्तो । एसणमनेसणं वा तह जाणइ तम्मणो समणो || [२५०] महईए संखडीए उव्वरियं कूरवंजणाईयं । पठरं दट्ठूण गिही भणइ इमं देहि पुण्णट्ठा ।। [२५१] तत्थ विभागुद्देसियमेवं संभवइ पुव्वमुद्दिवं । सीसगणहियट्ठाए तं चेव विभागओ भणइ || [२५२] उद्देसियं समुद्देसियं च आएसियं समाएसं । [16] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] I || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं कडे य कम्मे एक्केक्कि चउक्कओ भेओ ।। [२५३] जावंतियमुद्देसं पासंडीणं भवे समुद्देसं । समणाणं आएसं निग्गंथाणं समाएसं ।। गाहा-२५४ [२५४] छिन्नमछिन्नं दुविहं दव्वे खेत्ते य काल भावे य । निप्फाइयनिप्फन्नं नायव्वं जं जहिं कमइ ।। [२५५] भत्तुव्वरियं खलु संखडीए तद्दिवसमन्नदिवसे वा । अंतो बहिं च सव्वं सव्वदिनं देहिं अच्छिन्नं ।। [२५६] देहि इमं मा सेसं अंतो बाहिरगयं व एगयरं । जाव अमुगत्ति वेला अमुगं वेलं च आरब्भ ।। [२५७] दव्वाई छिन्नपि हु जइ भणई आरओऽवि मा देह । तो कप्पइ छिन्नपि हु अच्छिन्नकडं परिहरंति ।। [२५८] अमुगाणंति व दिज्जउ अमुकाणं मत्ति एत्थ उ विभासा | जत्थ जईण विसिट्ठो निद्देसो तं परिहरिज्जा ।। [२५९] संदिस्संतं जो सुणइ कप्पए तस्स सेसए ठवणा | संकलिय साहणं वा करेंति असुए इमा मेरा ।। [२६०] मा एयं देहि इमं पट्टे सिटुंमि तं परिहरंति । जं दिन्नं तं दिन्नं मा संपइ देहि गेण्हति ।। [२६१] रसभायणहेउं वा मा कुच्छिहिई सुहं व दाहामि । दहिमाई आयत्तं करेइ कूरं कडं एयं ।। [२६२] मा काहंति अवण्णं परिकट्ठलियं व दिज्जइ सुहं तु । वियडेण फाणिएण व निद्धेण समं तु वदि॒ति ।। [२६३] एमेव य कम्मंमिऽवि उण्हवणे नवरि तत्थ नाणत्तं । ताविय विलीणएणं मोयग चुन्नीपुणक्करणं ।। [२६४] अमुगंति पुणो रद्धं दाहमकप्पं तु आरओ कप्पं । खेत्ते अंतो बाहिं काले सुइव्वं परेव्वं वा ।। [२६५] जं जह व कयं दाहं तं कप्पइ आरओ तहा अकयं । कयपाकमणिटुंति ठियंपि जावंतियं मोत्तुं ।। [२६६] छक्कायनिरनुकंपा जिनपवयणबाहिरा बहिप्फोडा | एवं वयंति फोडा लुक्कविल्क्का जह कवोडा ।। [२६७] पूईकम्मं दुविहं दव्वे भावे य होइ नायव्वं । दव्वंमि छगणधम्मिय भावंमि य बायरं सहमं ।। [२६८] गंधाइगुणसमिढं जं दव्वं असुइगंधदव्वजुयं । पूइत्ति परिहरिज्जइ तं जाणस दव्वपूइत्ति ।। [२६९] गोद्विनिउत्तो धम्मी सहाए आसन्नगोद्विभत्ताए । दीपरत्नसागर संशोधितः] [17] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा २७१ समयसुरवल्लीसं अजिन्न सन्ना महिसिपोहो ।। [२७०] संजायलित्तभत्ते गोट्ठिगगंधोत्ति चुल्लवणिआयो । उक्खणिय अन्नछगणेण लिंपणं दव्वपूई ऊ || [२७१] उग्गमकोडीअवयवमित्तेण वि मीसियं सुसुद्धंपि । सुद्धपि कुइ चरणं पूइं तं भावओ पूई ।। [२७२] आहाकम्मुद्देसिय मीसं तह बायरा य पाहुडिया | पूई अज्झोयरओ उग्गमकोडी भवे एसा ।। [२७३] बायर सुहुमं भावे उ पूइयं सुहुममुवरि वोच्छामि । उवगरण भत्तपाणे दुविहं पुण बायरं पूइं ।। [२७४] चुल्लुक्खलिया डोए दव्वीछूढे य मीसगं पूइं । डाए लोणे हिंगू संकामण फोडणे धूमे ।। [२७५] सिज्झंतस्सुवयारं दिज्जंतस्स व करेइ जं दव्वं । तं उवकरणं चुल्ली उक्खा दव्वी य डोयाई ।। [२७६] चुलुक्खा कम्माई आइमभंगेसु तीसुवि अकप्पं । पडिकुट्टं तत्थत्थं अन्नत्थगयं अणुन्नायं ।। [२७७] कम्मियकद्दममिस्सा चुल्ली उक्खा य फड्डगजुया उ । उवगरणपूइमेयं डोए दंडे व एगयरे ।। [२७८] दव्वीछूढेत्ति जं वुत्तं कम्मदव्वीए जं दए । कम्मं घट्टिय सुद्धं तु घट्टए हारपूइयं ।। [२७९] अत्तट्ठिय आयाणे डायं लोणं च कम्म हिंगुं वा । तं भत्तपाणपूई फोडण अन्नं व जं छुहइ || [२८०] संकामेउं कम्मं सिद्धं जंकिंचि तत्थ छूढं वा । अंगारधूमि थाली वेसण हेट्ठा मुणीहि धूमो ।। [२८१] इंधणधूमेगंधे अवयवमाईहिं सुहुमपूई उ । सुंदरमेयं पूई चोयग भणिए गुरु भइ ।। [२८२] इंधणधूमेगंधे अवयवमाई न पूइयं होइ | जेसिं तु स पूई सोही नवि विज्जए तेसिं ।। [२८३] इंधण अगणीअवयव धूमो बप्फो य अन्नगंधो य । सव्वं फुसंति लोयं भन्नइ सव्वं तओ पूई ।। [२८४] ननु सुहुमपूइयस्सा पुव्वुद्दिट्ठस्सऽसंभवो एवं | इंधणधूमाईहिं तम्हा पूइत्ति सिद्धमिणं ।। [२८५] चोयग! इंधणमाईहिं चउहिवि सुहुमपूइयं होइ । पन्नवणामित्तमियं परिहरणा नत्थि एयस्स ।। [ २८६] सज्झमसज्झं कज्जं सज्झं साहिज्जए न उ असज्झं । [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] [18] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा -२८८ जो उ असज्झं साहइ किलिस्सइ न तं च साहेई ।। [२८७] आहाकम्मियभायण पप्फोडण काउ अकयए कप्पे | गहियं तु सुहुमपूई धोवणमाईहिं परिहरणा ।। [ २८८] धोयंपि निरावयवं न होइ आहच्च कम्मगहणंमि | नय अद्दव्वा उ गुणा भन्नई सुद्धा कओ एवं [२८९] लोएवि असुइगंधा विपरिणया दूरओ न दूति । न य मारंति परिणया दूरगाय अवि विसावयवा ।। [२९०] सेसेहि उ दव्वेहिं जावइयं फुसइ तत्तियं पूई । लेवेहि तिहि उ पूई कप्पड़ कप्पे कए तिगुणे ।। [२९१] इंधणमाइं मोत्तुं चउरो सेसाणि होंति दव्वाइं तेसिं पुण परिमाणं तयप्पमाणाउ आरब्भ || [२९२] पढमदिवसंमि कम्मं तिन्नि उ दिवसाणि पूइयं होइ । पूईसु तिसु न कप्पइ कप्पइ तइओ जया कप्पो ।। [२९३] समणकडाहाकम्मं समणाणं जं कडेण मीसं तु | आहार उवहि वसही सव्वं तं पूइयं होइ ।। [२९४] सड्ढस्स थेवदिवसेसु संखडी आसि संघभत्तं वा । पुच्छित्तु निउणपुच्छं संलावाओ व [२९५] मीसज्जायं जावंतियं च पासंडिसाहुमीसं च | सहसंतरं न कप्पइ कप्पड़ कप्पे कए तिगुणे ।। [२९६] दुग्गासे तं समइच्छिउं व अद्धाणसीसए जन्ता । सड्ढी बहुभिक्खयरे मीसज्जायं करे कोई ।। [२९७] जावंतट्ठा सिद्धं न एइ तं देह कामियं जइणं । बहुसु व अपहुप्पंते भणाइ अन्नंपि रंधेह ।। [२९८] अत्तट्ठा रंधते पासंडीणंपि बिइयओ भाइ । निग्गंथट्ठा तइओ अत्तट्ठाए sa रंधते सो होइ [२९९] विसघाइयपिसियासी मरइ तमन्नोवि खाइ मरइ | इय पारंपरमरणे अनुमरइ सहस्ससो जाव || [३००] एवं मीसज्जायं चरणप्पं हणइ साहु सुविसुद्धं । तम्हा तं नो कप्पइ पुरिससहस्संतरगयंपि ।। [३०१] निच्छोडिए करीसेण वाऽवि उव्वट्टिए तओ कप्पा । सुक्खावित्ता गिण्हइ अन्न चउत्थे अक् [३०२] सट्ठाणपरट्ठाणे दुविहं ठवियं तु होइ नायव्वं । खीराइ परंपरए हत्थगय घरंतरं जाव || [३०३] चुल्ली उवचुल्ली वा ठाणसठाणं तु भायणं पिढरे । [19] [दीपरत्नसागर संशोधितः ] ? ।। गाणं || || ऽवि ।। [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा - ३०५ सट्ठाणट्ठाणंमि य भायणट्ठाणे य चउभंगो ।। [३०४] छब्बगवारगमाई होइ परट्ठाणमो वsनेगविहं । सट्ठाणे पिढरे छब्बगे य एमेव दूरे य ।। [३०५] एक्केक्कं तं दुविहं अनंतरं परंपरे य नायव्वं । अविकारि कयं दव्वं तं चेव अनंतरं होइ ।। [३०६] उच्छुक्खीराईयं विगारि अविगारि घयगुलाईयं । परियावज्जणदोसा ओयणदहिमाईयं वा [ ३०७] उब्भट्ठ परिन्नायं अन्नं लद्धं पओयणे घेच्छी । रिणभीया व अगारी दहित्ति दाहं सुए ठवणा ।। [३०८] नवनीय मंथुतक्कं व जाव अत्तट्ठिया व गिण्हंति । देसूणा जाव घयं कुसणंपिय जत्तियं कालं ।। [३०९] रसकक्कबपिंडगुला मच्छंडिय खंड सक्कराणं च । होइ परंपरठवणा अन्नत्थ व जुज्जए जत्थ ।। [३१०] भिक्खग्गाही एगत्थ कुणइ बिइओ उ दोसु उवओगं । तेन परं उक्खित्ता पाहुडिया होइ ठवणा उ ।। [३११] पाहुडियावि हु दुविहा बायर सुहुमा य होइ नायव्वा । ओसक्कणमुस्सक्कण कब्बट्ठीए समोसरणो ।। ऽवि ॥ [३१२] कंतामि ताव पेलुं तो ते दाहामि पुत्त तं जइ सुणेइ साहू न गच्छए तत्थ आरंभो ।। [३१३] अन्नट्ठ उट्ठिया बा तुब्भवि दाहामि किंपि परिहरति । किह दाणि न उट्ठहिसी ? साहुपभावेण लब्भामो । [३१४] मा ताव झंख पुत्तय ! परिवाडीए इहेहि सो साहू | एयस्स उट्ठिया ते दाहं सोउं विवज्जेइ || ! मा रोव । [३१५] अंगुलियाए घेत्तुं कड्ढइ कप्पट्ठओ घरं तेणं । किंति कहिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमा उ ।। [३१६] पुत्तस्स विवाहदिणं ओसरणे अइच्छिए मुणिय सड्ढा । ओसक्कंतो सरणे संखडिपाहेणग दवट्ठा ।। [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [३१७] अप्पत्तंमि य ठवियं ओसरणे होहिइत्ति उस्सकणं । तं पागडमियरं वा करेइ उज्जू अनुज्जू वा II [३१८] मंगलहेडं पुन्नट्ठया व ओसक्कियं दुहा पगयं । उस्सक्कियंपि किंति य पुट्ठे सिट्ठे विवज्जंति ।। [३१९] पाहुडिभत्तं भुंजइं न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स । एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो ।। [३२०] लोयविरलुत्तमंगं तवोकिसं जल्लखउरियसरीरं । [20] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जुगमेत्तंतरदिहिँ अतुरियचवलं सगिहमितं ।। [३२१] द₹ण य तमनगारं सड्ढी संवेगमागया काई । विपुल ऽन्नपाण घेत्तूण निग्गया निग्गओ सोऽवि गाहा-३२२ [३२२] नीयद्वारंमि घरे न सुज्झई एसणत्तिकाऊणं । नीहंमिए अगारी अच्छइ विलिया व गहिएणं ।। [३२३] चरणकरणालसंमी अन्नंमि य आगए गहिय पुच्छा । इहलोगं परलोग कहेइ चइउं इमं लोगं ।। [३२४] नीयदुवारंमि घरे भिक्खं निच्छंति एसणासमिया । जं पुच्छसि मज्झ कहं कप्पड़ ? लिंगोवजीवी ऽहं ।। [३२५] साहुगुणेसणकहणं आउट्टा तस्स तिप्पड़ तहेव । कुक्कुडि चरंति एए वयं तु चिन्नव्वया बीओ ।। [३२६] पाओकरणं विहं पागडकरणं पगासकरणं च । पागड संकामण कुड्डदारपाए य छिन्ने व ।। [३२७] रयणपईवे जोई न कप्पइ पगासणा सुविहियाणं | अत्तद्विय परिभोत्तुं कप्पइ कप्पे अकाऊणं ।। [३२८] संचारिमा य चुल्ली बहिं व चुल्ली पुरा कया तेसिं । तहि रंधति कयाई उवही पूई य पाओ य ।। [३२९] नेच्छह तमिसंमि तओ बाहिरचल्लीए साह सिद्धण्णे | इय सोउं परिहरए पुढे सिटुंमिवि तहेव ।। [३३०] मच्छियधम्मा अंतो बाहि पवायं पगासमासन्नं । इय अत्तद्विय गहणं पागडकरणे विभासा उ ।। [३३१] कुड्डस्स कुणइ छिड्डं दारं वड्ढेइ कुणइ अन्नं वा । अवणेइ छायणं वा ठावइ रयणं व दिप्पंतं ।। [३३२] जोइ पइवं कुणइ व तहेव कहणं तु पुढेऽपुढेवा | अत्तट्ठिए 3 गहणं जोइ पईवे 3 वज्जेइ ।। [३३३] पागडपयासकरणे कयंमि सहसा व अहवऽनाभोगा | गहियं विगिंचिऊणं गेण्हड अन्नं अकयकप्पे ।। [३३४] कीयगडंपिय दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं । आयकियं च परकियं परदव्वं तिविह ___ऽचित्ताइ ।। [३३५] आयकियं पुण दुविहं दव्वे भावे य दव्व चुण्णाई । भावंमि परस्स ट्ठा अहवावी अप्पणा चेव ॥ [३३६] निम्मल्लगंधगलिया वन्नयपोत्ताइ आयकय दव्वे ।। गेलन्ने उड्डाहो पउणे चड़गारि अहिगरणं ।। [३३७] वइयाइ मंखमाई परभावकयं तु संजयहाए । दीपरत्नसागर संशोधितः] [21] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उप्पायणा निमंतण कीडगड अभिहडे ठविए ।। [३३८] सागारि मंख छंदण पडिसेहो पुच्छ बह गए वासे । कयरिं दिसिं गमिस्सह ? अमुई तहिं संथवं कुणइ ।। गाहा-३३९ [३३९] दिज्जते पडिसेहो कज्जे घेच्छं निमंतणं जइणं । पुव्वगय आगएसुं संछुहई एगगेहंमि ।। [३४०] धम्मकह वाय खमणं निमित्त आयावणे सुयट्ठाणं । जाई कुल गण कम्मे सिप्पंमि य भावकीयं तु ।। [३४१] धम्मकहाअक्खित्ते धम्मकहाउट्ठियाण वा गिण्हे । कड्ढं ति साहवो चिय तुमं व कहि ? पुच्छिए तुसिणी ।। [३४२] किं वा कहिज्ज छारा दगसोयरिया व अहवऽगारत्था । किं छगलगगलवलया मुंडकुटुंबी व किं कहए ? || ३४३] एमेव वाइ खमए निमित्तमायावगंमि य विभासा । सुयठाणं गणिमाई अहवा वाणायरियमाई ।। [३४४] पामिच्चंपिय दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेण । लोइय सज्झिलगाई लोगुत्तर वत्थमाईसु ।। [३४५] सुयअभिगमनाय विही बहि पुच्छा एग जीवइ ससा ते । पविसण पाग निवारण उच्छिंदण तेल्ल जइदाणं ।। [३४६] अपरिमियनेहवड़ढी दासत्तं सो य आगओ पच्छा । दासत्तकहण मा रुय अचिरा मोएमि एत्ताहे || [३४७] भिक्ख दगसमारंभे कहणाउट्टो कहिं ति वसहित्ति । संवेया आहरणं विसज्ज कहणा कइवया उ ।। [३४८] एए चेव य दोसा सविसेसयरा उ वत्थपाएसुं । लोइयपामिच्चेसुं लोगुत्तरिया इमे अन्ने ।। [३४९] मइलिय फालिय खोमिय हिय नढे वाऽवि अन्न मग्गंते । अवि सुंदरे वि दिन्ने दुक्कररोई कलहमाई ।। [३५०] उच्चत्ताए दानं दुल्लभ खग्गूड अलस पामिच्चे । तंपिय गुरुस्सगासे ठवेइ सो देह मा कलहो ।। [३५१] परियट्टियपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणं । एक्केक्कंपिय दुविहं तद्दव्वे अन्नदव्वे य ।। [३५२] अवरोप्पसज्झिलगा संजुत्ता दोवि अन्नमन्नेणं । पोग्गलिय संजयट्ठा परियट्टण संखडे बोही ।। [३५३] अनुकंप भगिनिगेहे दरिद्द परियट्टणा य कूरस्स | पुच्छा कोद्दवकूरे मच्छर नाइक्ख पंतावे || [३५४] इयरोऽविय पंतावे निसि ओसवियाण तेसि दिक्खा य । दीपरत्नसागर संशोधितः] [22] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ? || तम्हा उ न घेतव्वं कइ वा जे ओसमेहिंति [३५५] ऊणहिय दुब्बलं वा खर गुरु छिन्नं मइल असीयसहं । दुव्वन्नं वा नाउं विपरिणमे अन्नभणिओ वा ।। गाहा-३५६ [३५६] एगस्स माणजुत्तं न उ बिइए एवमाइकज्जेसु । गुरुपामूले ठवणं सो दलयइ अन्नहा कलहो ।। [३५७] आइन्नमणाइन्नं निसिहाभिहडं च नोनिसीहं च । निसिहाभिहडं ठप्पं वोच्छामी नोनिसीहं तु ।। [३५८] सग्गाम परग्गामे सदेस परदेसमेव बोद्धव्वं । दुविहं तु परग्गामे जलथल नावोडुजंघाए || [३५९] जंघा बाह तरीइ व जले थले खंधआरखुरनिबद्धा | संजमआयविराहण तहियं पुण संजमे काया ।। [३६०] अत्थाहगाहपं कामगरोहारा जले अवाया उ । कंटाहितेणसावय थलंभि एए भवे दोसा || [३६१] सग्गामेऽविय दुविहं घरंतरं नोघरंतरं चेव । तिघरंतरा परेणं घरंतरं तं तु नायव्वं ।। [३६२] नोघरंतरऽनेगविहं वा पाडगसाहीनिवेसणगिहेस् । काये खंधे मिम्मय कंसेण व तं तु आणेज्जा ।। [३६३] सन्नं व असइ कालो पगयं व पहेणगं व पासत्ता । इय एइ काइ घेत्तुं दीवेइ य कारणं तं त् ।। [३६४] एसेव कमो नियमा निसिहाभिहडेऽवि होइ नायव्वो । अविइअदायगभावं निसीहिअं तं तु नायव्वं ।। [३६५] अइदूरजलंतरिया कम्मासंकाए मा न घेच्छति । आणेति संखडीओ सड्ढो सड्ढी व पच्छन्नं ।। [३६६] निग्गम देउल दानं दियाइ सन्नाइ निग्गए दानं । सिटुंमि सेसगमनं दित ऽन्ने वारयंतेऽन्ने [३६७] भुंजण अजीर पुरिमड्ढगाइ अच्छंति भुत्तसेसं वा । आगमनिसीहिगाई न भूजई सावगासंका || [३६८] उक्खित्तं निक्खिप्पड़ आसगयं मल्लगंमि पासगए | खामित्तु गया सड्ढा ते ऽवि य सुद्धा असढभावा [३६९] लद्धं पहेणगं मे अम्गत्थगयाए संखडीए वा । वंदनगट्ठपविट्ठा देइ तयं पट्ठिय नियत्ता ।। [३७०] नीयं पहेणगं मे नियगाणं निच्छियं व तं तेहिं । सागरि सयज्झियं संखडे रुट्ठा || [३७१] एयं तु अणाइन्नं दुविहंपिय आहडं समक्खायं । । ॥ दीपरत्नसागर संशोधितः] [23] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आइन्नंपिय दुविहं देसे तह देसदेसे य ।। [३७२] हत्थसयं खलु देसो आरेणं होइ देसदेसो य । आइण्णं मिवि तिगिहा तं चिय उवओगपुव्वागा || गाहा-३७३ [३७३] परिवेसणपतीए दूरपवेसे य घंघसालगिहे । हत्थसया आइन्नं गहणं परओ उ पडिकुटुं ।। [३७४] होइ पुण देसदेसो अंतो गिह सा न दीसए जत्थ । उक्खेवाई तत्थ उ सोयाई देइ उवओगं ।। [३७५] उक्कोसं मज्झिम जहन्नगं च तिविहं तु होइ आइन्नं । करपरियत्तं जहन्नं सयमुक्कस मज्झिमं सेसं ।। [३७६] पिहिउब्भिन्नकवाडे फासुय अप्फासे य बोद्धवे । अप्फासुय पुढविमाई फासुय छगणाइदद्दरए ।। [३७७] उब्भिन्ने छक्काया दाने कयविक्कए य अहिगरणं । ते चेव कवाडंमि वि सविसेसा जंतमाईसु ।। [३७८] सच्चित्तपुढविलित्तं लेल सिलं वाऽवि दाउमोलित्तं । सच्चित्तपढविलेवो चिरंपि उदगं अचिरलित्ते ।। [३७९] एवं तु पुव्व नो लित्ते काया उल्लिंपणेऽवि ते चेव । तिम्मेउं उवलिंपड़ जउमदं वावि तावेउं ।। [३८०] जह चेव पुव्वलित्ते काय दाउं पुणोऽवि तह चेव । उवलिप्पंते काया मुइअंगाइं नवरि छठे ।। [३८१] परस्स तं देइ सए व गेहे तेल्लं व लोणं व घयं गुलं वा । उग्घाडिए तंमि करे अवस्सं स विक्कयं तेण किणाइ अन्नं ।। [३८२] दानकयविक्कया चेव होइ अहिगरणमजयभावस्स | निवयंति जे य तहियं जीवा मुइयंगमूसाई ।। [३८३] जहेव कुंभाइसु पुव्वलित्ते उब्भिज्जमाणे य हवंति काया | ओलिंपमाणे वि तहा तहेव काया कवाडंमि विभासियव्वा ।। [३८४] घरकोइलसंचारा आवत्तण पीढगाइ हेद्वरि । निते ठिए य अंतो डिभाईपेल्लणे दोसा ।। [३८५] घेप्पइ अंकुचियागंमि कवाडे पइदिने परिवहंते । अजऊमुद्दिय गंठी परिभुज्जइ दद्दरो जो य ।। [३८६] मालोहडंपि दुविहं जहन्नमुक्कोसगं च बोद्धव्वं । अग्गतले हि जहन्नं तव्विवरीयं तु उक्कोसं ।। [३८७] भिक्खू जहन्नगंमी गेरुय उक्कोसगंमि दिलुतो । अहिडसणमालपडणे य एवमाई भवे दोसा ।। [३८८] मालाभिमुहं दटूण अगारिं निग्गओ तओ साहू । दीपरत्नसागर संशोधितः] [24] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा - ३९० तच्चण्णिय आगमनं पुच्छा य अदिन्नदाणत्ति ।। [३८९] मालंमि कुट्ठ मोयग सुगंध अहि पविसणं करे डक्का । अन्नदि स आगम निद्द कहणा य संबोही ।। [३९०] आसंदिपीढमंचकजं तोडूखल पडंत उभयवहे । वोच्छेय पओसाई उड्डाहमनाणिवाओ य ।। [३९१] एमेव य उक्कोसे वारण निस्सेणि गुव्विणीपडणं । गब्भित्थिकुच्छिफोडण पुरओ मरणं कहण बोही ।। [३९२] उड्ढमहे तिरियंपिय अहवा मालोहडं भवे तिविहं । उड्ढमहे ओयरणं भणियं कुंभाइसू उभयं ।। [३९३] दद्दरसिलसोवाणे पुव्वारूढे अनुच्चमुक्खित्ते । लोहडं न होइ सेसं मालोहड होइ ।। [३९४] तिरियायय उज्जुगएण गिण्हई जं करेण पासंतो । एयमणुच्चुक्खित्तं उच्चुक्खित्तं भवे सेसं ।। [३९५] अच्छिज्जंपिय तिविहं पभू य सामी य तेणए चेव । अच्छिज्जं पडिकुट्टं समणाण न कप्पए घेत्तुं ।। [३९६] गोवालए य भयए खरए पुत्ते य धूय सुहाए । अचियत्तसंखडाई केइ पओसं जहा गोवो || [३९७] गोवपओ अच्छेत्तुं दिन्नं तु जइस्स भइदिने पहुणा । पयभाणूणं दडुं खिंसइ भोई रुवे चेडा ।। [३९८] पडियरण पओसेणं भावं नाउं जइस्स आलावो । तन्निब्बंधा गहियं हंदि उ मुक्को सि मा बीयं ।। [३९९] नानिव्विट्टं लब्भइ दासी वि न भुज्जए रिते भत्ता । दोनेगयरपओसं जं काही अंतरायं च ॥ [४००] सामी चारभडा वा संजय दट्ठूण तेसि अट्ठाए । कलुणाणं अच्छेज्जं साहूण न कप्पए घेत्तुं ।। [४०१] आहारोवहिमाई जइ अट्ठाए उ कोइ अच्छिंदे । संखडि असंखडीए तं गिण्हंते इमे दोसा || [४०२] अचियत्तमंतरायं तेनाहड एगऽनेगवोच्छेओ । निच्छुभाई दोसा तस्स अ लंभे य जं पावे [४०३] तेणो व संजयट्ठा कलुणाणं अप्पणो व अट्ठाए । वोच्छेय पओसं वा न कप्पई कप्प [४०४] संजयभद्दा तेणा आयंती वा असंथरे जणं । जइ देतिं न घेत्तव्वं निच्छुभ वोच्छेउ मा होज्जा ।। [४०५] घयसत्तुयदिट्ठतो समणुन्नाय व घेत्तुणं पच्छा । [25] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || ऽणुन्नायं ।। [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा ४०७ देंति तयं तेसिं चिय समणुन्नाया व भुंजंति ।। [४०६] घयसत्तुगदिट्ठतो अंबापाए य तप्पिया पियरो । कामका धम्मो निओइए अम्हवि कयाई || [४०७] अइमसिट्टं पडिकुट्ठ अनुनायं कप्पए सुविहियाणं । लड्डुग चोल्लग जंते संखडि खीरावणाईसु ।। [४०८] बत्तीसा सामन्ने ते कहिं ण्हाउं गयत्ति इअ वुत्ते । परसंतिएण पुन्नं न तरसि काउंति पच्चाह । [४०९] अविय ह बत्तीसाए दिन्नेहिं तवेग मोयगो न भवे । हु अप्पवयं बहुआयं जइ जाणसि देहि तो मज्झं । [४१०] लाभिय नेंतो पुट्ठो किं लद्धं ? नत्थि पच्छिमो दाए । इयरो sa आह नाहं देमित्ति सहोढ चोरत्ति ।। [४११] गिण्हण कड्ढण ववहार पच्छकडुड्डाह पुच्छ निव्विसए । अपहुंमि हुंति दोसा पहुंमि दिन्ने तओ गहणं ।। [४१२] एमेव य जंतंमिवि संखडि खीरे य आवणाईसुं । सामन्नं पडिकुट्टं कप्पड़ घेत्तुं अणुन्नायं ।। [४१३] चुल्लत्ति दारमहुणा बहुवत्तव्वंति तं कयं पच्छा । वने गुरू सो पुण सामियहत्थीण विन्नेओ ।। [४१४] छिन्नमछिन्नो दुविहो होइ अछिन्नो निसिट्ठ अनिसिट्ठो । छिन्नंभि चुल्लगंमी कप्पड़ घेत्तुं निसिमि ।। [४१५] छिन्ने दिट्ठमदिट्ठो जो य निसिट्ठो भवे अछिन्नो य । सो कप्पइ इयरो उण अदिट्ठदिट्ठो व [४१६] अनिसिट्ठमणुन्नायं कप्पइ घेत्तुं तहेव अद्दिद्वं । जड्डस्स य अनिसिद्धं न कप्पई कप्पड़ अदिट्ठे || [४१७] निवपिंडो गयभत्तं गहणाई अंतराइयमदिन्नं । डॉंबस्स संतिएवि अभिक्ख वसहीय फेडणया ।। [४१८] अज्झोयरओ तिविहो जावंतिय सधरमीसपासंडे । मूलंमि य पुव्वकये ओयरई तिण्ह अट्ठाए ।। [४१९] तंडुलजलआयाणे पुप्फफले सागवेसणे लोणे । परिमाणे नाणत्तं अज्झोयरमीसजाए य ।। [४२०] जावंतिए विसोही सघरपासंडिमीसए पूई । छिन्ने विसोहि दिन्नंमि कप्पई न कप्पई सेसं || [४२१] छिन्नंमि तओ उक्कड्ढियंमि कप्पड़ पिहीकए सेसं । आहावा दिन्नं च तत्तियं कप्पए सेसं । [४२२] एसो सोलसभेओ दुहा कीरई उग्गमो । [26] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] Sनाओ ।। [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगो विसोहिकोडी अविसोही उ चावरा । [४२३] आहाकम्मुद्देसिय चरमतिगं पूइ मीसजाए य । बायरपाहुडियाविय अज्झोयरए य चरिमदुगं ।। गाहा-४२४ [४२४] उग्गमकोडी अवयव लेवालेवे य अकयए कप्पे । कंजिय आयामग चाउलोय संसह पूईओ ।। [४२५] सुक्केणऽवि जं छिक्कं तु असुइणा धोवए जहा लोए । इह सुक्केण ऽवि छिक्कं दोवइ कम्मेण भाणं तु ? || [४२६] लेवालेवत्ति जं वुत्तं जंपि दव्वमलेवडं । तंपि घेत्तुं न कप्पंति तक्काइ किम लेवडं ? || [४२७] आहाय जं कीरइ तं तु कम्मं वज्जेहिही ओयणमेगमेव । सोवीर आयामग चाउलो दगं कम्मति तो तग्गहणं करेंति ।। [४२८] सेसा विसोहिकोडी भत्तं पानं विगिंच जहसत्तिं । अणलक्खिय मीसदवे सव्वविवेगे ऽवयव सुद्धो || [४२९] दव्वाइओ विवेगो दव्वे जं दव्व जं जहिं खेत्ते । काले अकालहीनं असढो जं पस्सई भावे ।। [४३०] सक्कोल्लसरिसपाए असरिसपाए य एत्थ चउभंगो । तुल्ले तुल्लनिवाए तत्थ दुवे दोन्न तुल्ला 3 || [४३१] सुक्के सुक्कं पडियं विगिंचिउं होइ तं सुहं पढमो । बीयंमि दवं छोड़े गालंति दवं करं दाउं ।। [४३२] तइयंमि करं छोड़े उल्लिंचइ ओयणाइ जं तरउ । दुल्लहदव्वं चरिमे तत्तियमित्तं विगिचंति ।। [४३३] संथरे सव्वमुज्झंति चउभंगो असंथरे । असढो सुज्झई तेसुं मायावी जेसु बज्झई ।। [४३४] कोडीकरणं दुविहं उग्गमकोडी विसोहिकोडी य । उग्गमकोडी छक्कं विसोहिकोडी अनेगविहा ।। [४३५] नव चेव अढारसगं सत्तावीसा तहेव चउपन्ना । नउई दो चेव सया उ सत्तरी होड़ कोडीणं ।। [४३६] सोलस उग्गमदोसे गिहिणोउ समुट्ठिए वियाणाहि । उप्पायणाए दोसे साहूउ समुट्ठिए जाण ।। [४३७] नामं ठवणा दविए भावे उप्पायणा म्णेयव्वा । दव्वंमि होइ तिविहा भावंमि उ सोलसपया उ ।। [४३८] आसूयमाइएहिं बालचियतुरंग बीयमाईहिं । सुयआसदुमाईणं उप्पायणया उ सच्चित्ता ।। [४३९] कनगरययाइयाणं जहेदुधाउविहिया उ अच्चित्ता | दीपरत्नसागर संशोधितः] [27] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीसा उ सभंडाणं दुपयाइकया 3 उप्पत्ती ।। [४४०] भावे पसत्थ इयरो कोहाउप्पायणा उ अपसत्थो । कोहाइजुया धायाइणं च नाणाइ उ पसत्था ।। गाहा-४४१ [४४१] धाई दूइ निमित्ते आजीव वणीमगे तिगिच्छा य । कोहे माने माया लोभे य हवंति दस एए ।। [४४२] पुव्विंपच्छासंथव विज्जा भंते य चुण्ण जोगे य । उप्पायणाइ दोसा सोलसमे मूलकम्मे य ।। [४४३] खीरे य मज्जणे मंडणे य कीलावणंकधाई य । एक्केक्काविय दुविहा करणे कारावणे चेव ।। [४४४] धारेइ धीयए वा धयंति वा तमिति तेण धाई उ । जहविहवं आसि पुरा खीराई पंच धाईओ ।। [४४५] खीराहारो रोवइ मज्झ कयासाय देहि णं पिज्जे । पच्छा व मज्झ दाहिसि अलं व भुज्जो व एहामि ।। [४४६] मइमं अरोगि दीहाउओ य होइ अविमाणिओ बालो | दुल्लभयं खु सुयमुहं पिज्जाहि अहं व से देमि ।। [४४७] अहिगरण भद्दपंता कम्मुदय गिलाणए य उड्डाहो । चडुकारी य अवण्णो नियगो अन्नं च जं संके ।। [४४८] अयमवरो उ विकप्पो भिक्खायरि सड्ढि अद्धिई पच्छा । दुक्खसहाय विभासा हियं च धाइत्तणं अज्जो ।। [४४९] वयगंडतणुयथूलत्तणेहिं तं पुच्छिउं अयाणंतो । तत्थ गओ तस्समक्खं भणाइ तं पासिउं बालं ।। [४५०] अहणुट्ठियं व अणविक्खियं व इणमं कुलं तु मन्नामि । पुन्नेहिं जहिताए जदिच्छाए व तरई बालेण सूएमो ।। [४५१] थेरी दुब्बलक्खीरा चिमिढो पेल्लियमहो अइथणीए । तणुई उ मंदखीरा कुप्परथणियाए सूइमुहो ।। [४५२] जा जेण होइ वण्णेण उक्कडा गरहए य तं तेणं । गरहइ समाण तिव्वं पसत्थमियरं च दुव्वन्नं ।। [४५३] उव्वट्टिया पओसं छोभग उब्भामओ य से जं तु । होज्जा मज्झवि विग्घो विसाइ इयरी व एमेव ।। [४५४] एमेव सेसियासुवि सुयमाइस् करणकारणं सगिहे । इड्ढीसु य धाईसु य तहेव उव्वट्टियाण गमो ।। [४५५] लोलइ महीए धूलीए गुंडिओ पहाणि अहवणं मज्जे । जलभीरु अबलनयनो अइउप्पिलणे अ रत्तच्छो ।। [४५६] अब्भंगिय संवाहिय उव्वट्टिय मज्जियं च तो बालं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [28] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवणेइ मज्जधाई मंडणधाईए सुइदेहं ।। [४५७] उसुआइएहिं मंडेहि ताव णं अहवणं विभूसेमि | हत्थिच्चगा व पाए कया गलिच्चा व पाए वा ।। गाहा-४५८ [४५८] ढड्ढरसर छुन्नमहो मउयगिरो मउयमम्मणुल्लावो । उल्लावणगाईहिं व करेइ कारेइ वा किड्डं ।। [४५९] थुल्लीए वियडपाओ भग्गकडी सुक्कडाए दुक्खं च । निम्भंसकक्खडकरेहिं भीरुओ होइ घेप्पते ।। [४६०] कोल्लइरे वत्थव्वो दत्तो आहिंडओ भवे सीसो । अवहरइ धाइपिंडं अंगुलिजलणे य सादिव्वं ।। [४६१] ओमे संगमथेरा गच्छ विसज्जंति जंघबलहीना | नवभागखेत्तवसही दत्तस्स य आगमो ताहे ।। [४६२] उवसबाहिं ठाणं अन्नाउंछेण संकिलेसो य । पूयणचेडे मा रुय पडिलाभण वियडणा सम्म ।। [४६३] सग्गाम परग्गामे दुविहा दूई उ होइ नायव्वा । सा वा सो वा भणई भणइ व तं छन्नवयणेणं ।। [४६४] एक्केक्काविय दुविहा पागड छन्ना य छन्न दुविहा उ । लोगुत्तरि तत्थेगा बीया पण उभयपक्खेस् ।। [४६५] भिक्खाइए वच्चंते अप्पाहणि नेइ खंतियाईणं । सा ते अमुगं माया सो व पिया ते इमं भणइ ।। [४६६] दूइत्तं खु गरहियं अप्पाहिउं बिइयपच्चया भणति । अविकोविया सुया ते जा आह मई भणसु खंतिं ।। [४६७] उभयेऽविय पच्छन्ना खंत ! कहिज्जाहि खंतियाए तुमं । तं तह संजायंतिय तहेव अह तं करेज्जाहि || [४६८] गामाण दोण्ह वेरं सेज्जायरि धूय तत्थ खंतस्स | वहपरिणय खंत ज्झत्थ णं व नाए कए जुद्धं [४६९] जामाइपत्तपइमारणं च केण कहियंति जनवाओ । जामाइपुत्तपइमारएण खंतेण मे सिटुं ।। [४७०] नियमा तिकालविसएऽवि निमित्ते छव्विहे भवे दोसा । सज्जं तु वट्टमाणे आउभए तत्थिमं नायं ।। [४७१] लाभालाभं सुहं दुक्खं जीवियं मरणं तहा । छव्विहे ऽवि निमित्ते उ दोसा होंति इमे सुण [४७२] आकंपिया निमित्तेण भोइणी भोइए चिरगयंमि | पुव्वभणिए कहं ते आगउ ? रुट्ठो य वडवाए ।। [४७३] दूराभोयण एगागि आगओ परिणयस्स पच्चोणी । दीपरत्नसागर संशोधितः] [29] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा-४७५ पुच्छा समणे कहणं साइयंकार सुमिणाई ।। [४७४] कोवो वडवागब्भं च पुच्छिओ पंचपुंडमाहंसु । फालण दिट्ठे जइ नेव तो तुहं अवितहं कइ वा ।। [४७५] जाई कुल गण कम्मे सिप्पे आजीवणा उ पंचविहा । सूयाए असूया व अप्पाण कहेहि एक्केक्के || [४७६] जाईकुले विभासा गणो उ मल्लाइ कम्म किसिमाई । तुण्णाइ सिप्प Sणावज्जगं च कम्मेयराssवज्जं [४७७] होमायवितहकरणे नज्जइ जह सोत्तियस्स पुत्तोत्ति । वसिओ वेस गुरुकुले आयरियगुणे व सूएइ [४७८] सम्ममसम्मा किरिया अनेन ऊणाऽहिया व विवरीया । समिहामंताहुइठाण जागकाले य घोसाई [४७९] उग्गाइकुलेसु वि एवमेव गणमंडलप्पवेसाई । देउलदरिसणभासा उवनयणे दंडमाइया [४८०] कत्तरि पओअणावेक्ख वत्थुबहुवित्थरेसु एव । कम्मेसु य सिप्पेसु य सम्ममसम्मेसु सूईयरा [४८१] समणे महाणि किवणे अतिही साणे य होइ पंचमए । वणि जायणत्ति वणिओ पायप्पाणं वणेइत्ति [४८२] मयमाइवच्छगंपिव वणेइ आहारमाइलोभेणं । समणेसु महाणेसु य किविणा sतिहिसाणभत्ते [४८३] निग्गंथ सक्क तावस गेरुय आजीव पंचहा समणा । तेसि परिवेसणाए लोभेण वणिज्ज को अप्पं [४८४] भुंजंति चित्तकम्मट्ठिया व कारुणिय दाणरुइणो य । अवि कामगद्दभेसुवि न नस्सई किं पुण जईसु [४८५] मिच्छत्तथिरीकरणं उग्गमदोसा य तेसु वा गच्छे । चडुकार sदिन्नदाणा पच्चत्थिग मा पुणो इंतु [४८६] लोयाणुग्गहकारिसु भूमीदेवेसु बहुफलं दानं । अवि नाम बंभबंधु किं पुण छक्कम्मनिरएस [४८७] किवणेसु दुम्मणेसु य अबंधवायंकजुंगियंगेसुं । पूयाहिज्जे लोए दानपडागं हरइ दितो [४८८] पाएण देइ लोगो उवगारिसु परिचिएस झुसिए । जो पुण अद्धाखिन्नं अतिहिं पूएइ तं दानं [४८९] अवि नाम होज्ज सुलभो गोणाईणं तणाइ आहारो । छिच्छिक्कारहयाणं न हु सुलहो होइ सुणहा णं [४९०] केलासभवणा एए आगया गुज्झगा महिं । [30] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] ? ? || || || || || || || || || || ? || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ = चरंति जक्खरूवेणं पुया ऽपूया हियाऽहिया [४९१] एएण मज्झ भावो दिवो लोए पणामहेज्जंमि । एक्केक्के पुवुत्ता भद्दगपंताइणो दोसा = गाहा-४९२ = = = = = = = [४९२] एमेव कागमाई साणग्गहणेण सूइया होति । जो वा जंमि पसत्तो वणइ तहिं पुट्ठऽपुट्ठो वा [४९३] दानं न होइ अफलं पत्तमपत्तेस् सन्निजुज्जतं । इय विभणिएऽवि दोसा पसंसओ किं पुण अपत्ते [४९४] भणइ नाहं वेज्जो अहवाऽवि कहेइ अप्पणो किरियं । अहवाऽवि विज्जयाए तिविह तिगिच्छा मुणेयव्वा भिक्खाइ गओ रोगी किं विज्जोऽहंति पुच्छिओ भणइ । अत्थावत्तीए कया अबुहाणं बोहणा एवं एरिसयं चिय दुक्खं भेसज्जेण अम्गेण पउणं मे | सहसुप्पन्नं व रुयं वारेमो अट्ठमाईहिं [४९७] संसोधन संसमणं नियाणपरिवज्जणं च जं तत्थ । आगंतु धाउखोभे य आमए कुणइ किरियं तु अस्संजमजोगाणं पसंधणं कायघाय अयगोलो । दुब्बलवग्घा हरणं अच्चुदये गिण्हणुड्डाहे [४९९] हत्थकप्प गिरिफुल्लिय रायगिहं खलु तहेव चंपा य । कडघयपुन्ने इट्टग लड्डुग तह सीहकेसरए विज्जातवप्पभावं रायकुले वाऽवि वल्लभत्तं से । नाउं ओरस्सबलं जो लब्भइ देइ भया कोहपिंडो सो अन्नेसि दिज्जमाणे जायंतो वा अलद्धिओ कुप्पे । कोहफलंमिऽवि दिढे जो लब्भइ कोहपिंडो सो [५०२] करडुयभत्तमलद्धं अन्नहिं दाहित्थ एव वच्चंतो । थेरा भोयण तइए आइक्खण खामणा दानं [५०३] उच्छाहिओ परेण व लद्धिपसंसाहिं वा समुत्तइओ | अवमानिओ परेण य जो एसइ मानपिंडो सो [५०४] इट्टगछणंमि परिपिंडियाण उल्लाव को न ह पगेव । आणिज्ज इट्टगाओ ? खुड्डो पच्चाह आणेमि जइविय ता पज्जत्ता अगुलघयाहिं न ताहिं णे कज्जं | जारिसियाओ इच्छह ता आणेमित्ति निक्खंतो। [५०६] ओहासिय पडिसिद्धो भणइ अगारिं अवस्सिमा मज्झं । जइ लहसि तो तं मे नासाए कुणसु मोयंति (५०७] कस्स घर पुच्छिऊणं परिसाए अमुइ कइरउ पुच्छे । = = = = = = = = दीपरत्नसागर संशोधितः] [31] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । किं तेणऽम्हे जायसु सो किविणो स दाहिइ न तुझं [५०८] दाहामि तेण भणिए जइ न भवसि छण्हमेसि पुरिसाणं । अन्नयरो तो तेऽहं परिसामज्झंमि पणया मि = गाहा-५०९ = = = = = = = = [५०९] सेयंगुलि बगुड्डावे किंकरे पहायए तहा । गिद्धावरंखि हद्दन्नए य पुरिसाहमा छा उ [५१०] जायसु न एरिसोऽहं इट्टगा देहि पुव्वमइगंतुं । माला उत्तारि गुलं भोएमि दिएत्ति आरूढा [५११] सिइअवणण पडिलाभण दिस्सियरी बोलमंगुली नासं । दुण्हेगयरपओसो आयविवत्ती य उड्डाहो [५१२] रायगिहे धम्मरुई असाढभूई य खुड्डओ तस्स | रायनडगेहपविसण संभोइय मोयए लंभो आयरिय उवज्झाए संघाडग काणखुज्ज तद्दोसी । नडपासण पज्जत्तं निकायण दिने दिने दानं [५१४] धूयदुए संदेसो दान सिणेह करणं रहे करणं । लिंगं मुयत्ति गुरुसिह विवाहे उत्तमा पगई रायघरे य कयाई निम्महिलं नाडगं नडागच्छी । ता य विहरंमि मत्ता उवरि गिहे दोवि पासुत्ता [५१६] वाघाएण नियत्तो दिस्स विचेला विराग संबोही । इंगियनाए पुच्छा पजीवणं रद्वपालंति इक्खागवंस भरहो आयंसघरे य केवलालोओ | हाराइखिवण गहणं उवसग न सो नियत्तोत्ति तेन समं पव्वइया पंच नरसयत्ति नाडए डहणं । गेलन्नखमगपाहुण थेरादिट्ठा य बीयं तु [५१९] लब्भंतंपि न गिण्हइ अन्नं अमुगंति अज्ज घेच्छामि । भद्दरसंति व काउं गिण्हइ खद्धं सिणिद्धाई [५२०] चंपा छणंमि घिच्छामि मोयए तेऽवि सीहकेसरए | पडिसेह धम्मलाभ काऊणं सीहकेसरए [५२१] सड्ढऽड्ढरत्तकेसरभायणभरणं च पुच्छ पुरिमड्ढे | उवओग संत चोयण साहत्ति विगिंचणे नाणं [५२२] दुविहो उ संथवो खलु संबंधी वयणसंथवो चेव । एक्केक्कोविय दुविहो पुव्विं पच्छा य नायव्वो [५२३] मायपिइ पुव्वसंथव सासूससुराइयाण पच्छा उ । गिहि संथव संबंधं करेइ पुव्वं च पच्छा वा [५२४] आयवयं च परवयं नाउं संबंधए तयणुरूवं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [32] = = = = = = = [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा-५२६ मम माया एरिसिया ससा व धूया व नत्ताई [५२५] अद्धिई दिट्ठिपण्हव पुच्छा कहणं ममेरिसी जननी । थणखेवो संबंधो विहवा सुहाइदानं च [५२६] पच्छासंथवदोसा सासू विहवादिधूयदानं च । भज्जा ममेरिसिच्चिय सज्जो धाओ व भंगो वा [५२७] मायावी चडुयारी अम्हं ओहावणं कुणइ एसो । निच्छुभाई पंतो करिज्ज भद्देसु पडिबंधो [५२८] गुणसंथवणे पुव्विं संतासंतेण जो थुणिज्जाहि । दायारमदिन्नंमी सो पुव्विं संथवो हव [५२९] एसो सो जस्स गुणा वियरंति अवारिया दसदिसासु । इहरा कहासु सुणिमो पच्चक्खं अज्ज दिट्ठो सि [५३०] गुणसंथवेण पच्छा संतासंतेण जो थुणिज्जाहि । दायारं दिन्नमी सो पच्छा संथवो होइ [५३१] विमलीकयऽम्ह चक्खू जहत्थया वियरिया गुणा तुझं । आसि पुराणे संका संपयं निस्संकियं जायं [५३२] विज्जामंतपरूवण विज्जाए भिक्खुवासओ होइ । मंतंमि सीसवेयण तत्थ मुरुडेण दि [५३३] परिपिंडणमुल्लावो अइपंतो भिक्खुवासओ दावे । जइ इच्छइ अनुजाणह घयगुलवत्थाणि दावेमि [५३४] गंतुं विज्जामंतण किं देि ? घयं गुलं च वत्थाई । दिन्ने पडिसाहरणं केण हियं केण मुट्ठो मि ? [ ५३५ ] पडिविज्जथंभणाई सो वा अन्नो व से करिज्जाहि । पावाजीवीमाई कम्मणगारीय हाई [५३६] जह जह पएसिणी जाणुगंमि पालित्तओ भाडे । तह तह सीसे वियणा पणस्सइ मरुंडरायस्स [५३७] पडिमंतथंभणाई सो वा अन्नो व से करिज्जाहि । पावाजीवियमाई कम्मणगारी भवे बीयं [ ५३८] चुणे अंतद्धाणे चाणक्के पायलेवणे समिए । मूल विवाहे दो दंडिणी उ आयाणपरिसाडे [ ५३९ ] जंघाहीना ओमे कुसुमपुरे सिस्सजोग रहकरणं । खुड्डदुगंजणसुणणा गमनं संतरे सरणं [ ५४० ] भिक्खे परिहायंते थेराणं तेसि ओमे दिंताणं । सहभुज्ज चंदगुत्ते ओमोयरियाए दोबल्लं [५४१] चाणक्कपुच्छ इट्टालचुण्णदारं पिहित्तु धूमे य । [33] [दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || || || || || || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा ५४३ दडुं कुच्छ पसंसा थेरसमीवे उवालंभो [५४२] जे विज्जमंतदोसा ते च्चिय वसिकरणमाइचुण्णेहिं । एगमनेग पओस कुज्जा पत्थरओ वाऽवि [५४३] सूभगदुब्भग्गकरा जोगा आहारिमा य इयरे य । आघंसधूववासा पायपलेवाइणो इयरे [५४४] नइकण्हबिन्न दीवे पंचसया तावसाण निवसति । पव्वदिवसेसु कुलवई पालेवुत्तार सक्का [५४५] जन सावगाण खिंसण समियsक्खण माइठाण लेवेण । सावय पयत्तकरणं अविनय लोए चलणधोए [५५६] उप्पायणाए दोसे साहूउ समुट्ठिए या इमे भणिया । दसएसणाइ दोसे आयपर समुट्ठिए वोच्छं [५५७] दोन्नि उ साहुसमुत्था संकिय तह भावओsपरिणयं च । सेसा अट्ठवि नियमा गिहिणो य समुट्ठिए जा [५५८] नामं ठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयव्वा । [34] || [दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || [५४६] पडिलाभिय वच्चंता निब्बड नइकूल मिलण समियाऽऽओ । विम्हिय पंचसया तावसाण पव्वज्ज साहा य || [५४७] अकुमार खयं जोणी विवरीयट्ठा निवेसणं वाऽवि । गम्मपए पायं वा जो कुव्वइ मूलकम्मं तं [५४८] अधिई पुच्छा आसन्न विवाहे भिन्नकन्नसाहणया । आयमणपियण ओसह अक्खय जज्जीवअहिगरणं [५४९] जंघा परिजिय सड्ढी अद्धि आणिज्जए मम खवत्ती । जोगो जोणुग्घाडण पडिसेह पओस उड्डाहो || [५५०] मा ते फंसेज्ज कुलं अदिज्जमाणा सुया वयं पत्ता । धम्मो यलोहियस्सा जड़ बिंदू तत्तिया नरया [५५१] किं न ठविज्जइ पुत्तो पत्तो कुलगोत्तकित्तिसंताणो । पच्छाविय तं कज्जं असंगगहो मा य नासिज्जा [५५२] किं अद्धि इत्ति पुच्छा सवित्तिणी गब्भिणित्ति से देवी । गब्भाहाणं तुज्झवि करोमि मा अद्धिइं कुणसु [५५३] जइवि सुओ मे होही तहवि कणिट्ठोत्ति इयर जुवराया । देइ परिसाडणं से नाए य पओस पत्थारो || [५५४] संखडिकरणे काया कामपवित्तिं च कुणइ एत्थ । एगत्थुड्डाहाई जज्जिय भोगंतरायंच [५५५] एवं तु गविट्ठस्सा उग्गमउप्पायणाविसुद्धस्स । गहणविसोहिविसुद्धस्स होइ गहणं तु पिंडस्स || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दव्वे वानरजूहं भावंमि य दस पया इंति [५५९] परिसडियपंडुपत्तं वनसंडं दद्दु अन्नहिं पेसे । जूहवई पडियरए जूहेण समं तहिं गच्छे गाहा-५६० [५६०] सयमेवालोएउं जूहवई तं वनं समंतेण । वियरइ तेसि पयारं चरिऊण य तो दहं गच्छे [५६१] ओयरतं पयं दह नीहरंतं न दीसई । नालेण पियह पाणीयं नेस निक्कारणो दहो [५६२] संकिय मक्खिय निक्खित्त पिहिय साहरिय दायगुम्मीसे । अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति [५६३] संकाए चउभंगो दोसु वि गहणे य भुंजणे लग्गो । जं संकियमावन्नो पणवीसा चरिमए सुद्धो [५६४] उग्गमदोसा सोलस आहाकम्माइ एसणादोसा । नव मक्खियाइ एए पणवीसा चरिमए सुद्धो [५६५] छउमत्थो स्यनाणी उवउत्तो उज्ज्ओ पयत्तेणं । आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ सुद्धो [५६६] ओहो सुओवउत्तो सुयनाणी जइ वि गिण्हइ असुद्धं । तं केवली वि भंजइ अप्पमाण स्यं भवे इहरा [१६७] सुत्तस्स अप्पमाणे चरणाभावो तओ य मोक्खस्स | मोक्खस्सऽविय अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था उ [५६८] किंतिह खद्ध ! भिक्खा दिज्जइ न य तरइ पुच्छिउँ हिरिमं ।। इय संकाए धेत्तुं तं भुंजइ संकिओ चेव [५६९] हियएण संकएणं गहिओ अन्नेणं सोहिया सा य । पगयं पहेणगं वा सोउं निस्संकिओ भुंजे [५७०] जारिसय च्चिय लद्धा खद्धा भिक्खा मए अमुयगेहे । अन्नेहि वि तारिसिया वियांत निसामए तइए [५७१] जइ संका दोसकरी एवं सुद्धपि होइ अविसुद्धं । निस्संकमेसियंतिय अनेसणिज्जंपि निघोसं [५७२] अविसुद्धो परिणामो एगयरे अवडिओ य पक्खंमि । एसिपि कुणइ णेसिं अणेसिमेसिं विसुद्धो उ [५७३] दुविहं च मक्खियं खलु सच्चित्तं चेव होइ अच्चित्तं । सच्चित्तं पुण तिविहं अच्चित्तं होइ दुविहं तु [५७४] पुढवी आठ वणस्सइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं होइ ।। अच्चित्तं पुण दुविहं गरहियमियरे य भयणा उ [५७५] सुक्केण सरक्खेण मक्खियमल्लेण पढविकाएणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [35] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा ५७७ सव्वंपि मक्खियं तं एत्तो आउंमि वोच्छामि [५७६] पुरपच्छकम्म ससिणिदुल्ले चत्तारि आउभेयाओ । उक्किट्ठरसालित्तं परित्तऽनंतं महिरुहेसु [ ५७७] सेसेहि उ काएहिं तीहि वि तेऊसमीरणतसेहिं । सच्चित्तं मी वा न मक्खितं अत्थि उल्लं वा [५७८] सच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो । आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अणुन्ना उ [५७९] अच्चित्तमक्खियंमि उ चउसु वि भंगेसु होइ भयणा उ । अगरहिएण उ गहणं पडिसेहो गरहिए होइ [५८०] संसज्जिमेहिं वज्जं अगरहिएहिंपि गोरसदवेहिं । महुघयतेल्ल गुलेहि य मा मच्छिपिवीलियाघाओ [५८१] मंसवससोणियासव लोए वा गरहिएहिं विवज्जेज्जा । उभओऽवि गरहिएहिं मुत्तुच्चारेहिं छित्तंपि [५८२] सच्चित्तमीसएस दुविहं काएसु होइ निखितं । एक्केक्कं तं दुविहं अनंतर परंपरं चेव [५८३] पुढवी आउक्काए तेउ वाऊ वणस्सइ तसाणं । एक्केक्क दुहाऽनंतर परंपरऽगणिमि सत्तविहा [५८४] सच्चित्तपुढविकाए सच्चित्तो चेव पुढवि निक्खित्तो । आऊ ते वणस्सइ समीरण तसेसु एमेव [५८५] एमेव सेसयाणवि निक्खेवो होइ जीवकायका सुं । एक्केक्को सट्ठाणे परठाणे पंच पंचेव [५८६] एमेव मीसएसु वि मीसाण सचेयणाण निखेव । मीसाणं मीसेसु य दोण्हंपिय होइ अच्चित्ते [५८७] जत्थ उ सचित्तमीसे चउभंगो तत्थ चऊसु वि अगिज्झं । तं तु अनंतर इयरं परित्तऽनंतं च वनकाए [५८९] जं [५८८] अहवण सचित्तमीसो उ एगओ एगओ उ अच्चित्तो | एत्थवि चउक्कभंगो तत्थाइतिए कहा नत्थि पुण अचित्तदव्वं निक्खिप्पड़ चेयणेसु दव्वेसु । हिं मग्गणा उ इणमो अनंतरपरंपरा होइ [५९०] ओगाहिमायनंतरं परंपरं पिढरगाइ पुढवीए । नवनीयाइ अनंतर परंपरं नावामाई [५९१] विज्झायमुम्मुरिंगालमेव अप्पत्तपत्तसमजाले । वोक्कंते सत्तदुगं जंतोलित्ते य जयणाए [५९२] विज्झाउत्ति न दीसइ अग्गी दीसे इंधणे छूढे । [36] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || || || || || || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ = आपिंगल अगनिकणा मुम्मुर निज्जाल इंगाले [५९३] अप्पत्ता उ चउत्थे जाला पिढरं तु पंचमे पत्ता | छट्टे पुण कण्णसमा जाला समइच्छिया चरिमे = गाहा-५९४ = = = = = = = [५९४] पासोलित्तकडाहे परिसाडी नत्थि तंपिय विसालं । सोऽविय अचिरच्छूढो उच्छ्रसो नाइउसिणो य [५९५] उसिणोदगंपि धेप्पड़ गुडरसपरिणामियं अणच्चुसिणं । जं च अघट्टियकन्नं घट्टियपडणंमि मा अग्गी पासोलित्तकडाहेऽनच्चुसिणे अपरिसाडऽघटुंते । सोलस भंगविगप्पा पढमेऽणुन्ना न सेसेसु [५९७] पयसमदुगअब्भासे माणं भंगाण तेसिमा रयणा | एगंतरियं लहुगुरु दुगुणा दुगुणा य वामेसु दुविहविराहण उसिणे छड्डण हानी य भाणभेओ य । वाउक्खित्तानंतरपरंपरा पप्पडिय वत्थी [१९९] हरियाइ अनंतरिया परंपरं पिढरमाइसु वणंमि । पूपाई पिट्ठऽनंतर भरिए उबाइसू इयरा [६००] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो । आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगमि भयणा उ [६०१] जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा य । एमेव य पिहियंमि वि नाणत्तमिणं तइयभंगे अंगारधूवियाई अनंतरो संतरो सरावाई । तत्थेव अइरवाऊ परंपरं बत्थिणा पिहिए अरं फलाइपिहितं वणंमि इयरं तु पिच्छ पिढराई । कच्छवसंचाराई अनंतरानंतरे छठे गुरु गुरुणा गुरु लहुणा लहुयं गुरुएण दोऽवि लहुयाई । अच्चित्तेणवि पिहिए चउभंगो दोसु अग्गेज्झं [६०५] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग साहारणे य चउभंगो । आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ [६०६] जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा य । तहा चेव उ साहरणे नाणत्तमिणं तइयभंगे मत्तेण जेण दाहिइ तत्थ अदिज्जं तु होज्ज असनाई । छोटु तयन्नहि तेणं देई अह होइ साहरणं [६०८] भूमाइएसु तं पुण साहरणं होइ छसु वि काएसु । जं तं दुहा अचित्तं साहरणं तत्थ चउभंगो [६०९] सुक्के सुक्कं पढमो सुक्के उल्लं तु बिइयओ भंगो । = = = = = = = = दीपरत्नसागर संशोधितः] [37] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उल्ले सुक्कं तइओ उल्ले उल्लं चउत्थो उ [६१०] एक्केक्के चउभंगो सुक्काईएसु चउसु भंगेसु । थोवे थोवं थोवे बहं च विवरीय दो अन्ने गाहा-६११ [६११] जत्थ उ थोवे थोवं सुक्के उल्लं च छुहइ तं गेज्झं । जइ तं तु समक्खेउं थोवाहारं दलइ अन्नं [६१२] उक्खेवे निक्खेवे महल्लभाणंमि लुद्ध वह डाहो । अचियत्तं वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमत्ते थोवे थोवं छूढं सुक्कं उल्लं तु तं तु आइन्नं । बयं तु अणाइन्नं कडदोसो सोत्ति काऊणं [६१४] बाले वुड्ढे मत्ते उम्मत्ते वेविए य जरिए य । अंधिल्लए पगलिए आरूढे पाउयाहिं च हत्थुऽदुनियलबद्धे विवज्जिए चेव हत्थपाएहिं । तेरासि गुव्विणी बालवच्छ भुंजंति घुसलिंती भज्जंति य दलयंती कंडंती चेव तह य पीसंती । पीजंती रुंचंती कत्तंति पमद्दमाणी य छक्कायवग्गहत्था समणट्ठा निक्खिवित्तु ते चेव । ते चेवोगाहंती संघटुंताऽरभंती य [६१८] संसत्तेण य दव्वेण लित्तहत्था य लित्तमत्ता य । उव्वत्तंती साहारणं व दिंती य चोरिययं पाड़ियं च ठवंती सपच्चवाया परं च उद्दिस्स | आभोगमनाभोगे दलंती वज्जणिज्जा ए एएसि दायगाणं गहणं केसिंचि होइ भइयव्वं । केसिंची अग्गहणं तव्विवरीए भवे गहणं [६२१] कब्बढिग अप्पाहण दिन्ने अन्नन्न गहण पज्जत्तं । खंतिय मग्गणदिन्ने उड़डाह पओस चारभडा [६२२] थेरो गलंतलालो कंपणहत्थो पडिज्ज वा देंतो | । य अचियत्तं एगयरे वा उभयओ वा अवयास भाणभेओ वमनं असुइत्ति लोगगरिहा य । पंतावणं च मत्ते वमणविवज्जा य उम्मत्ते वेविय परिसाडणया पासे व छुभेज्जा भाणभेओ वा । एमेव य जरियंमिवि जरसंकमणं च उड्डाहो [६२५] उड्डाह कायपडणं अंधे भेओ य पास छुहणं च । तद्दोसी संकमणं गलंत भिस भिन्नदेहे य [६२६] पाउयदुरूढपडणं बद्धे परियाव असुइ खिंसा य । [६२४] दीपरत्नसागर संशोधितः] [38] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा ६२८ छिन्नासु खिसा ते च्चिय पायेऽवि पडणं च [६२७] आयपरोभयदोसा अभिक्खगहणंमि खोभण नपुंसे । लोगदुगुंछा संका एरिसया [६२८] गुव्विणि गब्भे संघट्टणा उ उट्टंतुवेसमाणी | बालाई मंसुडग मज्जाराई विराहेज्जा [६२९] भुंजंती आयमणे उदगं छोट्टीय लोगगरिहा य । घुसुती संसत्ते करंमि लित्ते भवे रसगा [ ६३०] दगबीए संघट्टण पीसणकंडदल भज्जणे डहणं । पिंजंत रुचणाई दिन्ने लित्ते करे उदगं [६३१] लोणदगअगनिवत्थीफलाइमच्छाइ सजिय हत्थमि । पाणोगाहणया संघट्टण सेसकाएणं [६३२] खणमाणी आरभए मज्जइ धोयइ व सिंचए किंचि | छेयविसारणमाई छिंदइ छठ्ठे फुरुफुरुं [६३३] छक्कायवग्गहत्था केई कोलाइकन्नलाई । सिद्धत्थगपुप्फाणि य सिरंमि दिन्नाइं वज्जंति [६३४] अन्ने भांति दससु वि एसणदोसेसु नत्थि तग्गहणं । तेन न वज्जं भन्नइ ननु गहणं दायगग्गहणा [६३५] संसज्जिमंमि देसे संसज्जिमदव्वलित्तकरमत्ता । संचारो ओयत्तण उक्खिप्पंतेऽवि ते चेव [६३६] साधारणं बहूणं तत्थ उ दोसा जहेव अनिसि । चोरियए गहणाई भयए सुण्हाइ वा दंते [६३७] पाहुडिठवियगदोसा तिरिउड्ढमहे तिहा अवायाओ । धम्मियमाई ठवियं परस्स परसंतियं वाऽवि [६३८] अनुकंपा पडिनीयट्ठया व ते कुणइ जाणमाणोऽवि । एसणदोसे बिइओ कुणइ उ असढो अयाणंतो [६३९] भिक्खामित्ते अवियालणा उ बालेण दिज्जमाणंमि । संदिट्ठे वा गहणं अइबहुय वियालणेऽणुन्ना [६४०] थेर पहु थरथरंते धरिए अन्नेण दढसरीरे वा । अव्वत्तमत्तसड्ढे अविंभले वा असागरिए [६४१] सुइंभद्दगदित्ताई दढग्गहे वेविए जरंमि सिवे । अन्नधरियं तु सड्ढो देयंधोऽन्नेण वा धरिए [६४२] मंडलपसूतिकुट्ठीऽसागरिए पाउयागए अयले । कमबद्धे सवियारे इयरे बिट्ठे असागरिए [६४३] पंडग अप्पडिसेवी वेला थणजीवि इयर सव्वंपि । [39] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || || || || || || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्खित्तमनावाए न किंचि लग्गं ठवंतीए [६४४] पीसंती निप्पिट्टे फासुं वा धुसुलणे असंसत्तं । कत्तणि असंखचुण्णं चुण्णं वा जा अचोक्खलिणी गाहा-६४५ [६४५] उव्वट्टणि संसत्तेण वाऽवि अट्टील्लए न घट्टेइ । पिंजणपमद्दणेसु य पच्छाकम्मं जहिं नत्थि [६४६] सेसेसु य पडिवक्खो न संभवइ कायगहणमाईस् । पडिवक्खस्स अभावे नियमा उ भवे तयग्गहणं [६४७] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग उम्मीसगंमि चउभंगो । आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ जह चेव य संजोगा कायाणं हेतुओ य साहरणे । तह चेव य उम्मीसे होइ विसेसो इमो तत्थ दायव्वमदायव्वं च दोऽवि दव्वाइं देइ मीसेउं । ओयणकुसुणाईणं साहरण तयण्णहिं छोढुं तंपिय सुक्के सुक्कं भंगा चत्तारि जह उ साहरणो । अप्पबहुएऽवि चउरो तहेव आइन्नऽणाइन्ने अपरिणयंपिय दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं । दव्वंमि होइ छक्कं भावंमि य होइ सज्झिलगा [६५२] जीवत्तंमि अविगए अपरिणयं परिणयं गए जीवे | दिलुतो दुखदही इय अपरिणयं परिणयं तं च दुगमाई सामन्ने जइ परिणमई उ तत्थ एगस्स | देमित्ति न सेसाणं अपरिणयं भावओ एयं । एगेण वाऽवि एसिं मणमि परिणामियं न इयरेणं । तंपि हु होइ अगिज्झं सज्झिलगा सामि साहू वा [६५५] घेत्तव्वमलेवकडं लेवकडे मा हु पच्छकम्माई । न य रसगेहिपसंगो इअ वुत्ते चोयगो भणइ [६५६] जइ पच्छकम्मदोसा हवंति मा चेव भुंजऊ सययं । तवनियमसंजमाणं चोयग ! हानी खमंतस्स [६५७] लित्तंति भाणिऊणं छम्मासा हायए चउत्थं तु | आयंबिलस्स गहणं असंथरे अप्पलेवं तु आयंबिलपारणए छम्मास निरंतरं तु खविऊणं । जइ न तरइ छम्मासे एगदिनूनं तओ कुणउ [६५९] एवं एक्केक्कदिनं आयंबिलपारणं खवेऊणं । दिवसे दिवसे गिण्हउ आयंबिलमेव निल्लेवं [६६०] जड़ से न जोगहानी संपइ एसे व होइ तो खमओ | दीपरत्नसागर संशोधितः] [40] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खमणंतरेण आयंबिलं तु नियमं तवं कुणइ [६६१] हेढावणि कोलसगा सोवीरगकूरभोइणो मनुया | जइ तेऽवि जति तहा किं नाम जई न जाविति ? || गाहा-६६२ = = = = = = = [६६२] तिय सीयं समणाणं तिय उण्ह गिहीण तेणऽणन्नायं । तक्काईणं गहणं कट्टरमाईस् भइयव्वं [६६३] आहारउवहिसेज्जा तिन्नि वि उण्हा गिहीण सीएऽवि । तेण उ जीरइ तेसिं दुहओ उसिणेण आहारो [६६४] एयाई चिय तिन्नि वि जईण सीयाइं होंति गिम्हे वि । तेणुवहम्मइ अग्गी तओ य दोसा अजीराई [६६५] ओयण मंडग सत्तुग कम्मासाराय मासकलवट्टा । तूयरिमसूरमुग्गा मासा य अलेवडा सुक्का उब्भिज्जपिज्जकंगू तक्कोल्लणसूवकंजि कढियाई । एए उ अप्पलेवा पच्छाकम्म तहिं भइयं [६६७] खीर दहि जाउ कट्टर तेल्ल घेयं फाणियं सपिंडरसं । इच्चाई बहुलेवं पच्छाकम्मं तहिं नियमा संसट्टेयरहत्थो मत्तोऽविय दव्व सावसेसियरं । एएसु अट्ठ भंगा नियमा गहणं तु ओएसु [६६९] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग तह छड़डणे य चउभंगो । चउभंगे पडिसेहो गहणे आणाइणो दोसा [६७०] उसिणस्स छड्डणे देंतओ व डज्झेज्झ कायदाहो वा | सीयपडणंमि काया पडिए महबिंदुआहरणं [६७१] नामं ठवणा दविए भावे घासेसणा मुणेयव्वा । दव्वे मच्छाहरणं भावंमि य होइ पंचविहा [६७२] चरियं व कप्पियं वा आहरणं दुविहमेव नायव्वं । अत्थस्स साहणट्ठा इंधणमिव ओयणट्ठाए [६७३] अह मंसंमि पहीणे झायंतं मच्छियं भणइ मच्छो । किं झायसिं तं एवं ? सुण ताव जहा अहिरिओऽसि तिबलागमुहम्मुक्को तिक्खुत्तो वलयामहे । तिसत्तक्खुत्तो जालेणं सइ छिन्नोदए दहे [६७५] एयारिसं ममं सत्तं सढं घट्टियघट्टणं । इच्छसि गलेण घेत्तुं अहो ते अहिरीयया [६७६] बायालीसेसणसंकडंमि गहणंमि जीव । न ह छलिओ । इहिं जह न छलिज्जसि भुजंतो रागदोसेहिं [६७७] घासेसणा उ भावे होइ पसत्था तहेव अपसत्था । = = = = = [६७४] = = = दीपरत्नसागर संशोधितः] [41] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ = अपसत्था पंचविहा तव्विवरीया पसत्थाउ [६७८] दव्वे भावे संजोअणा उ दव्वे दुहा उ बहि अंतो । भिक्खं चिय हिंडतो संजोयंतंमि बाहिरिया = गाहा-६७९ = = = = = = = साह [६७९] खीरदहिसूवकट्टरलंभे गुडसप्पिवडगवालुंके । अंतो उ तिहा पाए लंबण वयणे विभासा उ [६८०] संयोयणाए दोसो जो संजोएइ भत्तपानं त् । दव्वाई रसहेउं वाघाओ तस्सिमो होइ [६८१] संजोयणा उ भावे संजोएऊण तानि दव्वाइं । संजोयइ कम्मेणं कम्मेण भवं तओ दुक्खं पत्ते य पउरलंभे भुत्तुव्वरिए य सेसगमणट्ठा । दिट्ठो संजोगो खलु अहक्कमो तस्सिमो होइ रसहेउं पडिसिद्धो संयोगो कप्पए गिलाणट्ठा । जस्स व अभत्तछंदो सुहोचिओsभाविओ जो य बत्तीसं किर कवला आहारो कच्छिपूरओ भणिओ | पुरिसस्स महिलियाए अट्ठावीसं भवे कवला एत्तो किणाइ हीनं अलु अद्धऽद्धगं च आहारं । बिति धीरा जायामायं च ओमं च पगामं च निगामं च जो पणीयं भत्तपानमाहारे । अइबहुयं अइबहुसो पमाणदोसो मुणेयव्वो बत्तीसाइ परेणं पगाम निच्चं तमेव उ निकामं । जं पुण गलंतनेहं पणीयमिति तं बुहा बॅति अइबहुयं अइबहुसो अइप्पमाणेण भोयणं भोत्तुं । हाएज्ज व वामिज्ज व मारिज्ज व तं अजीरंतं बहुयातीयमइबहु अइबहुसो तिन्नि तिन्नि व परेणं । तं चिय अइप्पमाणं भुंजइ जं वा अतिप्पंतो हियाहारा मियाहारा अप्पाहारा य जे नरा | न ते विज्जा तिगिच्छंति अप्पाणं ते तिगिच्छगा तेल्लदहिसमाओगा अहिओ खरीदहिकंजियाणं च । पत्थं पुण रोगहरं न य हेऊ होइ रोगस्स अद्धमसणस्स सव्वंजनस्स कुज्जा दवस्स दो भागे । वाऊपवियारणट्ठा छब्भायं ऊणयं कुज्जा [६९३] सीओ उसिणो साहारणो य कालो तिहा मणेयव्वो । साहारणंमि काले तत्थाहारे इमा मत्ता [६९४] सीए दवस्स एगो भत्ते चत्तारि अहव दो पाणे | = = = = = = = = दीपरत्नसागर संशोधितः] [42] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा-६९६ उसिणे दवस्स दोन्नि उ तिन्नि व सेसा उ भत्तस्स [६९५] एगो दवस्स भागो उवट्ठितो भोयणस्स दो भागा । वड्ढंति व हायंति व दो दो भागा उ एक्केक्के [६९६] तत्थ उ तइयचउत्था दोन्नि य अणवट्ठिया भवे भागा । पंचमछट्टो पढमो बिइओ वि अवट्ठिया भागा [६९७] तं होइ सइंगालं जं आहारेइ मुच्छिओ संतो । तं पुण होइ सधूमं जं आहारेइ निंदतो [६९८] अंगारत्तमपत्तं जलमाणं इंधणं सधूमं तु । अंगारत्ति पवुच्चइ तं चिय दड्ढं गए धूमे [६९९] रागग्गिसंपलित्तो भुंजतो फासुयंपि आहारं । निड्ढंगालनिभं करेइ चरणिंधणं खिप्पं [७००] दोसग्गीवि जलंतो अप्पत्तियधूमधूमियं चरणं । अंगारमित्तसरिसं जा न हवइ निद्दही ताव [७०१] रागेण सइंगालं दोसेण सधूमगं मुणेयव्वं । छायालीसं दोसा बोद्धव्वा भोयणविहीए [७०२] आहारंति तवस्सी विगइंगालं च विगयधूमं च । झाणज्झयणनिमित्तं एसुवएसो पवयणस्स [७०३] छहिं कारणेहिं साधू आहारिंतो वि आयरइ धम्मं । छहिं चेव कारणेहिं निज्जूहिंतो वि आयरइ [७०४] वेयण वेयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए । तह पाणवत्तियाए छट्टं पुण धम्मचिंत [७०५] नत्थि छुहाए सरिसा वियणा भुंजेज्ज तप्पसमणट्ठा । छाओ वेयावच्चं न तरइ काउं अओ भुंजे [७०६] इरिअं नवि सोहेई पेहाईअं च संजमं काउं । छाओ वा परिहाइ गुणणुप्पेहासु अ असत्तो [७०७] अहव ण कुज्जाहारं छहिं ठाणेहिं संजए । पच्छा पच्छिमकालंमि काउं अप्पक्खमं खमं [७०८] आयंके उवसग्गे तितिक्खया बंभचेरगुत्तीसु । पाणिदया तवहेउं सरीरवोच्छेयणट्ठाए [७०९] आयंको जरमाई रायासन्नायगाइ उवसग्गो । बंभवयपालणट्ठा पाणिदया वासमहियाई [७१०] तवहेउ चउत्थाई जाव उ छम्मासिओ तवो होइ । छट्टं सरीरवोच्छेयणट्ठया हो अणाहारो [७११] सोलस उग्गमदोसा सोलस उप्पायणाए दोसा उ । [43] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || || || || || || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति] Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दस एसणाए दोसा संजोयणमाइ पंचेव [712] एसो आहारविही जह भणिओ सव्वभावदंसीहिं / धम्मावस्सगजोगा जेण न हायंति तं कुज्जा गाहा-७१३ [713] जा जयमाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिसमग्गस्स / सा होइ निज्जरफला अज्झत्थविसोहिजुत्तस्स मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधिताः सम्पादिताश्च "पिंडनिज्जुत्ति मूलसूत्तं” सम्मत्तं // 41/1| पिंडनिज्जुत्ति बीइअं मूलसुत्तं सम्मत्तं | दीपरत्नसागर संशोधितः] [44] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]