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गाहा - ३०५
सट्ठाणट्ठाणंमि य भायणट्ठाणे य चउभंगो ।। [३०४] छब्बगवारगमाई होइ परट्ठाणमो वsनेगविहं । सट्ठाणे पिढरे छब्बगे य एमेव दूरे य ।।
[३०५] एक्केक्कं तं दुविहं अनंतरं परंपरे य नायव्वं । अविकारि कयं दव्वं तं चेव अनंतरं होइ ।। [३०६] उच्छुक्खीराईयं विगारि अविगारि घयगुलाईयं । परियावज्जणदोसा ओयणदहिमाईयं वा
[ ३०७] उब्भट्ठ परिन्नायं अन्नं लद्धं पओयणे घेच्छी । रिणभीया व अगारी दहित्ति दाहं सुए ठवणा ।। [३०८] नवनीय मंथुतक्कं व जाव अत्तट्ठिया व गिण्हंति । देसूणा जाव घयं कुसणंपिय जत्तियं कालं ।।
[३०९] रसकक्कबपिंडगुला मच्छंडिय खंड सक्कराणं च । होइ परंपरठवणा अन्नत्थ व जुज्जए जत्थ ।।
[३१०] भिक्खग्गाही एगत्थ कुणइ बिइओ उ दोसु उवओगं । तेन परं उक्खित्ता पाहुडिया होइ ठवणा उ ।।
[३११] पाहुडियावि हु दुविहा बायर सुहुमा य होइ नायव्वा । ओसक्कणमुस्सक्कण कब्बट्ठीए समोसरणो ।।
ऽवि ॥
[३१२] कंतामि ताव पेलुं तो ते दाहामि पुत्त तं जइ सुणेइ साहू न गच्छए तत्थ आरंभो ।।
[३१३] अन्नट्ठ उट्ठिया बा तुब्भवि दाहामि किंपि परिहरति । किह दाणि न उट्ठहिसी ? साहुपभावेण लब्भामो । [३१४] मा ताव झंख पुत्तय ! परिवाडीए इहेहि सो साहू | एयस्स उट्ठिया ते दाहं सोउं विवज्जेइ ||
! मा रोव ।
[३१५] अंगुलियाए घेत्तुं कड्ढइ कप्पट्ठओ घरं तेणं ।
किंति कहिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमा उ ।।
[३१६] पुत्तस्स विवाहदिणं ओसरणे अइच्छिए मुणिय सड्ढा । ओसक्कंतो सरणे संखडिपाहेणग दवट्ठा ।।
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
[३१७] अप्पत्तंमि य ठवियं ओसरणे होहिइत्ति उस्सकणं । तं पागडमियरं वा करेइ उज्जू अनुज्जू वा II
[३१८] मंगलहेडं पुन्नट्ठया व ओसक्कियं दुहा पगयं । उस्सक्कियंपि किंति य पुट्ठे सिट्ठे विवज्जंति ।। [३१९] पाहुडिभत्तं भुंजइं न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स । एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो ।। [३२०] लोयविरलुत्तमंगं तवोकिसं जल्लखउरियसरीरं ।
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[४१-पिंडनिज्जुत्ति]