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गाहा -२८८
जो उ असज्झं साहइ किलिस्सइ न तं च साहेई ।। [२८७] आहाकम्मियभायण पप्फोडण काउ अकयए कप्पे | गहियं तु सुहुमपूई धोवणमाईहिं परिहरणा ।।
[ २८८] धोयंपि निरावयवं न होइ आहच्च कम्मगहणंमि | नय अद्दव्वा उ गुणा भन्नई सुद्धा कओ एवं [२८९] लोएवि असुइगंधा विपरिणया दूरओ न दूति । न य मारंति परिणया दूरगाय अवि विसावयवा ।। [२९०] सेसेहि उ दव्वेहिं जावइयं फुसइ तत्तियं पूई । लेवेहि तिहि उ पूई कप्पड़ कप्पे कए तिगुणे ।। [२९१] इंधणमाइं मोत्तुं चउरो सेसाणि होंति दव्वाइं तेसिं पुण परिमाणं तयप्पमाणाउ आरब्भ ||
[२९२] पढमदिवसंमि कम्मं तिन्नि उ दिवसाणि पूइयं होइ । पूईसु तिसु न कप्पइ कप्पइ तइओ जया कप्पो ।।
[२९३] समणकडाहाकम्मं समणाणं जं कडेण मीसं तु | आहार उवहि वसही सव्वं तं पूइयं होइ ।। [२९४] सड्ढस्स थेवदिवसेसु संखडी आसि संघभत्तं वा । पुच्छित्तु निउणपुच्छं संलावाओ व
[२९५] मीसज्जायं जावंतियं च पासंडिसाहुमीसं च | सहसंतरं न कप्पइ कप्पड़ कप्पे कए तिगुणे ।। [२९६] दुग्गासे तं समइच्छिउं व अद्धाणसीसए जन्ता । सड्ढी बहुभिक्खयरे मीसज्जायं करे कोई ।।
[२९७] जावंतट्ठा सिद्धं न एइ तं देह कामियं जइणं । बहुसु व अपहुप्पंते भणाइ अन्नंपि रंधेह ।।
[२९८] अत्तट्ठा रंधते पासंडीणंपि बिइयओ भाइ । निग्गंथट्ठा तइओ अत्तट्ठाए sa रंधते सो होइ [२९९] विसघाइयपिसियासी मरइ तमन्नोवि खाइ मरइ | इय पारंपरमरणे अनुमरइ सहस्ससो जाव ||
[३००] एवं मीसज्जायं चरणप्पं हणइ साहु सुविसुद्धं । तम्हा तं नो कप्पइ पुरिससहस्संतरगयंपि ।। [३०१] निच्छोडिए करीसेण वाऽवि उव्वट्टिए तओ कप्पा । सुक्खावित्ता गिण्हइ अन्न चउत्थे अक् [३०२] सट्ठाणपरट्ठाणे दुविहं ठवियं तु होइ नायव्वं । खीराइ परंपरए हत्थगय घरंतरं जाव ||
[३०३] चुल्ली उवचुल्ली वा ठाणसठाणं तु भायणं पिढरे ।
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[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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गाणं ||
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[४१-पिंडनिज्जुत्ति]