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उप्पायणा निमंतण कीडगड अभिहडे ठविए ।। [३३८] सागारि मंख छंदण पडिसेहो पुच्छ बह गए वासे । कयरिं दिसिं गमिस्सह ? अमुई तहिं संथवं कुणइ ।।
गाहा-३३९
[३३९] दिज्जते पडिसेहो कज्जे घेच्छं निमंतणं जइणं ।
पुव्वगय आगएसुं संछुहई एगगेहंमि ।। [३४०] धम्मकह वाय खमणं निमित्त आयावणे सुयट्ठाणं ।
जाई कुल गण कम्मे सिप्पंमि य भावकीयं तु ।। [३४१] धम्मकहाअक्खित्ते धम्मकहाउट्ठियाण वा गिण्हे ।
कड्ढं ति साहवो चिय तुमं व कहि ? पुच्छिए तुसिणी ।। [३४२] किं वा कहिज्ज छारा दगसोयरिया व अहवऽगारत्था । किं छगलगगलवलया मुंडकुटुंबी व किं कहए
? || ३४३] एमेव वाइ खमए निमित्तमायावगंमि य विभासा । सुयठाणं गणिमाई अहवा वाणायरियमाई ।। [३४४] पामिच्चंपिय दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेण ।
लोइय सज्झिलगाई लोगुत्तर वत्थमाईसु ।। [३४५] सुयअभिगमनाय विही बहि पुच्छा एग जीवइ ससा ते । पविसण पाग निवारण उच्छिंदण तेल्ल जइदाणं ।। [३४६] अपरिमियनेहवड़ढी दासत्तं सो य आगओ पच्छा । दासत्तकहण मा रुय अचिरा मोएमि एत्ताहे || [३४७] भिक्ख दगसमारंभे कहणाउट्टो कहिं ति वसहित्ति ।
संवेया आहरणं विसज्ज कहणा कइवया उ ।। [३४८] एए चेव य दोसा सविसेसयरा उ वत्थपाएसुं ।
लोइयपामिच्चेसुं लोगुत्तरिया इमे अन्ने ।। [३४९] मइलिय फालिय खोमिय हिय नढे वाऽवि अन्न मग्गंते ।
अवि सुंदरे वि दिन्ने दुक्कररोई कलहमाई ।। [३५०] उच्चत्ताए दानं दुल्लभ खग्गूड अलस पामिच्चे ।
तंपिय गुरुस्सगासे ठवेइ सो देह मा कलहो ।। [३५१] परियट्टियपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणं ।
एक्केक्कंपिय दुविहं तद्दव्वे अन्नदव्वे य ।। [३५२] अवरोप्पसज्झिलगा संजुत्ता दोवि अन्नमन्नेणं ।
पोग्गलिय संजयट्ठा परियट्टण संखडे बोही ।। [३५३] अनुकंप भगिनिगेहे दरिद्द परियट्टणा य कूरस्स |
पुच्छा कोद्दवकूरे मच्छर नाइक्ख पंतावे ||
[३५४] इयरोऽविय पंतावे निसि ओसवियाण तेसि दिक्खा य । दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४१-पिंडनिज्जुत्ति]