Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ गाहा ५७७ सव्वंपि मक्खियं तं एत्तो आउंमि वोच्छामि [५७६] पुरपच्छकम्म ससिणिदुल्ले चत्तारि आउभेयाओ । उक्किट्ठरसालित्तं परित्तऽनंतं महिरुहेसु [ ५७७] सेसेहि उ काएहिं तीहि वि तेऊसमीरणतसेहिं । सच्चित्तं मी वा न मक्खितं अत्थि उल्लं वा [५७८] सच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो । आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अणुन्ना उ [५७९] अच्चित्तमक्खियंमि उ चउसु वि भंगेसु होइ भयणा उ । अगरहिएण उ गहणं पडिसेहो गरहिए होइ [५८०] संसज्जिमेहिं वज्जं अगरहिएहिंपि गोरसदवेहिं । महुघयतेल्ल गुलेहि य मा मच्छिपिवीलियाघाओ [५८१] मंसवससोणियासव लोए वा गरहिएहिं विवज्जेज्जा । उभओऽवि गरहिएहिं मुत्तुच्चारेहिं छित्तंपि [५८२] सच्चित्तमीसएस दुविहं काएसु होइ निखितं । एक्केक्कं तं दुविहं अनंतर परंपरं चेव [५८३] पुढवी आउक्काए तेउ वाऊ वणस्सइ तसाणं । एक्केक्क दुहाऽनंतर परंपरऽगणिमि सत्तविहा [५८४] सच्चित्तपुढविकाए सच्चित्तो चेव पुढवि निक्खित्तो । आऊ ते वणस्सइ समीरण तसेसु एमेव [५८५] एमेव सेसयाणवि निक्खेवो होइ जीवकायका सुं । एक्केक्को सट्ठाणे परठाणे पंच पंचेव [५८६] एमेव मीसएसु वि मीसाण सचेयणाण निखेव । मीसाणं मीसेसु य दोण्हंपिय होइ अच्चित्ते [५८७] जत्थ उ सचित्तमीसे चउभंगो तत्थ चऊसु वि अगिज्झं । तं तु अनंतर इयरं परित्तऽनंतं च वनकाए [५८९] जं [५८८] अहवण सचित्तमीसो उ एगओ एगओ उ अच्चित्तो | एत्थवि चउक्कभंगो तत्थाइतिए कहा नत्थि पुण अचित्तदव्वं निक्खिप्पड़ चेयणेसु दव्वेसु । हिं मग्गणा उ इणमो अनंतरपरंपरा होइ [५९०] ओगाहिमायनंतरं परंपरं पिढरगाइ पुढवीए । नवनीयाइ अनंतर परंपरं नावामाई [५९१] विज्झायमुम्मुरिंगालमेव अप्पत्तपत्तसमजाले । वोक्कंते सत्तदुगं जंतोलित्ते य जयणाए [५९२] विज्झाउत्ति न दीसइ अग्गी दीसे इंधणे छूढे । [36] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || || || || || || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45