Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ गाहा ५४३ दडुं कुच्छ पसंसा थेरसमीवे उवालंभो [५४२] जे विज्जमंतदोसा ते च्चिय वसिकरणमाइचुण्णेहिं । एगमनेग पओस कुज्जा पत्थरओ वाऽवि [५४३] सूभगदुब्भग्गकरा जोगा आहारिमा य इयरे य । आघंसधूववासा पायपलेवाइणो इयरे [५४४] नइकण्हबिन्न दीवे पंचसया तावसाण निवसति । पव्वदिवसेसु कुलवई पालेवुत्तार सक्का [५४५] जन सावगाण खिंसण समियsक्खण माइठाण लेवेण । सावय पयत्तकरणं अविनय लोए चलणधोए [५५६] उप्पायणाए दोसे साहूउ समुट्ठिए या इमे भणिया । दसएसणाइ दोसे आयपर समुट्ठिए वोच्छं [५५७] दोन्नि उ साहुसमुत्था संकिय तह भावओsपरिणयं च । सेसा अट्ठवि नियमा गिहिणो य समुट्ठिए जा [५५८] नामं ठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयव्वा । [34] || [दीपरत्नसागर संशोधितः ] || || || [५४६] पडिलाभिय वच्चंता निब्बड नइकूल मिलण समियाऽऽओ । विम्हिय पंचसया तावसाण पव्वज्ज साहा य || [५४७] अकुमार खयं जोणी विवरीयट्ठा निवेसणं वाऽवि । गम्मपए पायं वा जो कुव्वइ मूलकम्मं तं [५४८] अधिई पुच्छा आसन्न विवाहे भिन्नकन्नसाहणया । आयमणपियण ओसह अक्खय जज्जीवअहिगरणं [५४९] जंघा परिजिय सड्ढी अद्धि आणिज्जए मम खवत्ती । जोगो जोणुग्घाडण पडिसेह पओस उड्डाहो || [५५०] मा ते फंसेज्ज कुलं अदिज्जमाणा सुया वयं पत्ता । धम्मो यलोहियस्सा जड़ बिंदू तत्तिया नरया [५५१] किं न ठविज्जइ पुत्तो पत्तो कुलगोत्तकित्तिसंताणो । पच्छाविय तं कज्जं असंगगहो मा य नासिज्जा [५५२] किं अद्धि इत्ति पुच्छा सवित्तिणी गब्भिणित्ति से देवी । गब्भाहाणं तुज्झवि करोमि मा अद्धिइं कुणसु [५५३] जइवि सुओ मे होही तहवि कणिट्ठोत्ति इयर जुवराया । देइ परिसाडणं से नाए य पओस पत्थारो || [५५४] संखडिकरणे काया कामपवित्तिं च कुणइ एत्थ । एगत्थुड्डाहाई जज्जिय भोगंतरायंच [५५५] एवं तु गविट्ठस्सा उग्गमउप्पायणाविसुद्धस्स । गहणविसोहिविसुद्धस्स होइ गहणं तु पिंडस्स || || || || || || || || || || [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45